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सुनील गावस्कर ने कहा कि, मैंने बच्चे के जन्म के लिए छुट्टी नहीं मांगी थी

सुनील गावस्कर ने कहा कि मेरा नाम भी ऐसे व्यक्ति के रूप में उल्लेखित किया गया जिसे बीसीसीआइ ने मेरे नवजात पुत्र को देखने के लिए दौरे से घर लौटने की इजाजत देने से इन्कार कर दिया था।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 06:02 PM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 06:02 PM (IST)
सुनील गावस्कर ने कहा कि, मैंने बच्चे के जन्म के लिए छुट्टी नहीं मांगी थी
टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर सुनील गवस्कर (एपी फोटो)

(सुनील गावस्कर का कॉलम)

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पिछले कुछ दिनों में आइपीएल की समाप्ति और भारतीय टीम के ऑस्ट्रेलिया दौरे की शुरुआत के बीच कुछ लेख व बयान आए कि कैसे अतीत में कुछ भारतीय और विदेशी खिलाड़ी अपनी राष्ट्रीय टीमों के लिए खेल रहे थे और अपने बच्चों के जन्म के लिए मौजूद नहीं थे। मेरा नाम भी ऐसे व्यक्ति के रूप में उल्लेखित किया गया जिसे बीसीसीआइ ने मेरे नवजात पुत्र को देखने के लिए दौरे से घर लौटने की इजाजत देने से इन्कार कर दिया था। हालांकि, यह सही है कि उस अनुरोध के समय परिस्थितियां स्पष्ट नहीं हो पाई थीं और इसलिए यहां उस बात को स्पष्ट करने की कोशिश की जा रही है।

सबसे पहले तो यह कि मैंने बच्चे के जन्म के लिए अपनी पत्नी के पास लौटने की अनुमति नहीं मांगी थी। जब मैं न्यूजीलैंड और वेस्टइंडीज के दोहरे दौरे के लिए भारतीय टीम के साथ गया, तो मुझे पता था कि मेरे दूर रहने के दौरान बच्चे का जन्म होगा। मैं भारत के लिए खेलने को प्रतिबद्ध था और मेरी पत्नी ने इसके लिए मेरा समर्थन किया था। आखिरकार हम भारतीय क्रिकेट की बदौलत मिले थे, वर्ना मुंबई का एक लड़का दिल्ली में पढ़ रही कानपुर की लड़की से कैसे मिलता इसलिए बच्चे के लिए उसके अलावा भारत के लिए नहीं खेलने के बारे में कभी नहीं सोचा था।

चूंकि हमारे दोनों परिवार किसी भी जरूरत के लिए मौजूद थे और उसकी देखभाल विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा की जा रही थी, इसलिए मैं बिना किसी चिंता के उसे छोड़कर खेलने जा सका। आखिरकार वहां रहकर मैं क्या करने वाला था? उसकी छोटी अंगुली पकड़कर कहता, 'श, श, गहरी सांस लो?' दूसरा, न्यूजीलैंड दौरे के तीसरे और अंतिम टेस्ट मैच में मैं चोटिल हो गया। हेलमेट से पहले के दिनों में फॉरवर्ड शॉर्ट लेग पर फील्डिंग करते वक्त मेरे जबड़े की हड्डी टूट गई थी। बड़े मजबूत लांस के‌र्न्स ने स्वीप किया और गेंद मेरे बायें गाल से टकराई और हड्डी टूट गई। डॉक्टरों ने मुझे खेल से चार सप्ताह तक के लिए ब्रेक लेने की सलाह दी।

अगला टेस्ट मैच करीब तीन सप्ताह बाद वेस्टइंडीज में था और मैं खेलने में सक्षम नहीं था। मैंने हमारे मैनेजर दिग्गज पॉली उमरीगर से पूछा, क्या मैं अपने खर्चे पर कुछ दिनों के लिए वापस जा सकता हूं और पहले टेस्ट से पहले वेस्टइंडीज में टीम के साथ फिर से जुड़ सकता हूं इसलिए मेरे चोटिल होने के अलावा मेरे उस टेस्ट मैच का हिस्सा नहीं होने के पीछे कोई सवाल नहीं था। सच्चाई यह है कि डॉक्टर के एक सप्ताह और आराम करने की सलाह के बावजूद मैं पहला टेस्ट मैच खेला।

यह अच्छा था कि मुझे वापस जाने की अनुमति नहीं मिली थी, क्योंकि रोहन अपने जीवन के उन शुरुआती दिनों में काले और नीले रंग के गाल व बंद आंख वाले सूजे हुए व्यक्ति को देखकर घबरा जाता। इस तथ्य के बावजूद कि मैंने डॉक्टरों से अनुरोध किया था कि क्या वे मुझे पॉल न्यूमैन की तरह का लुक दे सकेंगे। उन्होंने मुझसे कहा कि उन्हें मेरी कनपटी की साइड काटने के लिए प्लास्टिक सर्जरी करने की जरूरत पड़ी और तब हड्डी को वापस अपनी जगह पर लाया जा सका इसलिए अनंतकाल तक के लिए आशावादी बने रहने के लिए उन्होंने मुझसे न्यूमैन लुक देने के लिए पूछा।

मैंने पहली बार रोहन को लगभग तीन महीनों के बाद देखा था, लेकिन ऑल इंडिया रेडियो टीम के दिवंगत सुरेश सरैया उसकी पहली झलक पाने के लिए मेरे लिए बारबाडोस में उसकी कुछ तस्वीरें लेकर आए थे। मैं एक सुरक्षित प्रसव के लिए विशेष रूप से भगवान का शुक्रगुजार था, क्योंकि वे लाइव टेलीविजन से पहले के दिन थे और रेडियो कमेंटेटर वेलिंगटन में थे, जहां मुझे चोट लगी थी और वे मुझे स्ट्रेचर पर मैदान से बाहर ले जाने का वर्णन कर रहे थे और कोई भी इस बात की कल्पना कर सकता है कि इसका मेरी पत्नी पर क्या प्रभाव पड़ रहा होगा, जो कभी भी बच्चे को जन्म दे सकती थी। रोहन का जन्म इसके पांच दिन बाद हुआ।

तो यह कहानी है। मैं तब भी वही था और अभी भी वही हूं जो मैं भारतीय क्रिकेट की वजह से हूं और सिर्फ इस जिंदगी के लिए नहीं, बल्कि कई जिंदगियों के लिए भारतीय क्रिकेट का ऋणी हूं। निश्चित रूप से परिवार के मायने हैं, वे ही हैं जो हमें प्रोत्साहित करते हैं, हमारा समर्थन करते हैं और कठिनाइयों को सहन करते हैं ताकि हम बाहर जाकर अपनी जिम्मेदारियों को निभा सकें। परिवार जीवन भर के लिए है और उस जीवनकाल में यदि भारतीय क्रिकेट जो कि परिवार का मुख्य कारण है, थोड़ा समय मांगता है तो ऐसा करना एक परम आनंद और सौभाग्य की बात है।


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