फालोअर्स बढ़ाने के लिए भारतीय क्रिकेट पर प्रतिक्रिया देते हैं विदेशी खिलाड़ी: सुनील गावस्कर
सुनील गावस्कर ने अपने कालम मे कहा कि भारत में क्रिकेट बड़े पैमाने पर फालो किया जाता है। ऐसे में दूसरे देश के क्रिकेटरों को भारतीय क्रिकेट पर टिप्पणी करने से भारतीय मीडिया में जगह मिल जाती है। यही कारण है कि वे ऐसा करते हैं।
सुनील गावस्कर का कालम। भारत में क्रिकेट बहुत लोकप्रिय है जिसे बड़े पैमाने पर फालो किया जाता है। इस खेल में रुचि रखने वाले और खेलने वाले, किसी भी व्यक्ति के बारे में टिप्पणियों की कमी नहीं है। आइपीएल में यह देखने को मिला है कि भारतीय प्रशसंक उन खिलाड़ियों को चाहते हैं और पसंद करते हैं जिन्हें फ्रेंचाइजी अच्छे से समर्थन करती हैं, लेकिन किसी फ्रेंचाइजी टीम का खिलाड़ी अच्छा नहीं कर पाता है जबकि वह देश के लिए खेल रहा हो तब भी उसका कोई समर्थन नहीं करता है। यह पहली बार नहीं है।
पिछले कुछ समय में यह घटना कम हुई है जब व्यक्तिगत खिलाड़ियों के समर्थक अपने खिलाड़ी से अच्छा प्रदर्शन चाहते हैं जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी से खराब प्रदर्शन की उम्मीद करते हैं। उदाहरण के रूप में मंसूर अली खान पटौदी बनाम अजीत वाडेकर और जीआर विश्वनाथ बनाम गावस्कर और गावस्कर बनाम कपिल देव और द्रविड़ बनाम तेंदुलकर व अब कोहली बनाम रोहित शर्मा। इन खिलाड़ियों के प्रशंसक चाहते थे कि उनका खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन करे, लेकिन उसका प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी भी फेल हो जाए जबकि दोनों ही भारत के लिए खेल रहे हों। भारत में इस खेल को लेकर इस तरह का जुनून पैदा होता है।
इस पटकथा में प्रिंट या इलेक्ट्रानिक मीडिया को जब तक दर्शकों की प्रतिक्रिया अच्छी मिलती है तब तक वे कोई भी सामग्री डालने से खुश हैं। इसका यह भी मतलब है कि दूसरे देश के क्रिकेटरों को भारतीय क्रिकेट पर टिप्पणी करने से भारतीय मीडिया में जगह मिल जाती है। जैसा कि भारत और इंग्लैंड के बीच जारी टेस्ट सीरीज में देखने को मिल जाता है। अन्य देशों के कई लोग हैं जो अपनी बात रखते हैं और भारत में सुर्खियों बटोर रहे हैं। उनमे से कुछ अपने देशों में ही जाने जाते हैं जबकि वे इस खेल से संन्यास ले चुके हैं, लेकिन भारतीय मीडिया स्पेस में वे काफी नियमित हैं।
सोझी-समझी रणनीति के साथ इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट डालते हैं
कुछ तो भारत से प्रतिक्रिया पाने के लिए एक सोझी-समझी रणनीति के साथ इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट डालते हैं क्योंकि इससे उनके फालोअर्स बढ़ जाते हैं। यह बहुत ही मूर्खतापूर्ण है क्योंकि जब वे किसी भी भारतीय खिलाड़ी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण लिखते हैं, तो वे जानते हैं कि उस खिलाड़ी के सैकड़ों भारतीय प्रशंसक मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार बैठे हैं। गाली-गलौज या मुंहतोड़ जवाब उन्हें परेशान नहीं करते क्योंकि वे केवल अपने मीडिया पेजों पर फालोअर्स को बढ़ाने में रुचि रखते हैं।
कड़ी में पूर्व इंग्लिश कप्तान माइकल वान भी
इस कड़ी में पूर्व इंग्लिश कप्तान माइकल वान भी हैं। वह बहुत ही मजाकिया हैं और उनके साथ रहने में बहुत मजा आता है। वह जानते हैं कि किसी एक भारतीय खिलाड़ी या भारतीय क्रिकेट के बारे में लिखने से उन्हें काफी भद्दी प्रतिक्रियाएं मिलेंगी, लेकिन उनके इंटरनेट मीडिया में पेज पर फालोअर्स भी बढ़ जाएंगे। यहां तक कि पड़ोसी (पाकिस्तान) भी हमारे टीम चयन और रणनीति के बारे में सलाह देते रहते हैं जबकि उनका अतीत भी इतना अच्छा नहीं है। वे भी भारतीय मीडिया में जगह बना लेते हैं और अपने विचार रख लेते हैं।
सुरक्षा भंग होना सबसे अधिक परेशान करने वाला
वहीं, ओवल में भारत और इंग्लैंड टेस्ट सीरीज में एक प्रशंसक के मैदान में आने से फिर से सुरक्षा भंग होना सबसे अधिक परेशान करने वाला है। इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड और सुरक्षाकर्मी उनकी पहचान कर सकते हैं जो खिलाड़ियों के पास पहुंच जाते हैं और ऐसे में उन्हें मैदान में आने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। संयोग से कोई भी अनहोनी नहीं हुई। इस तरह की घटना होने से पहले कोई भी उन लोगों का नाम भी नहीं जानता था जो मैदान में घुस जाते हैं लेकिन भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी पहनकर अब वह प्रसिद्ध या बदनाम हो गया है।