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सचिन बढ़ रहे थे शतक की तरफ और साइमन टफेल ने उन्हें दे दिया था गलत आउट, फिर हुआ कुछ ऐसा

साइमन टफेल ने बताया कि किस तरह से उन्होंने सचिन को गलत आउट दे दिया था और फिर दोनों पक्के दोस्त बन गए।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sat, 08 Aug 2020 01:48 PM (IST)Updated: Sat, 08 Aug 2020 01:48 PM (IST)
सचिन बढ़ रहे थे शतक की तरफ और साइमन टफेल ने उन्हें दे दिया था गलत आउट, फिर हुआ कुछ ऐसा
सचिन बढ़ रहे थे शतक की तरफ और साइमन टफेल ने उन्हें दे दिया था गलत आउट, फिर हुआ कुछ ऐसा

नई दिल्ली, जेएनएन। क्रिकेट के मैदान पर अंपायरों का काम आसान नहीं होता और कई बार कुछ ऐसे फैसले हो जाते हैं जिसकी वजह से मैच की दिशा ही बदल जाती है। दुनिया के कई क्रिकेटरों को अंपायर के गलत फैसले का शिकार होना पड़ा है। सचिन तेंदुलकर के करियर में भी कई ऐसे मौके आए जब उन्हें भी अंपायर के गलत फैसलों का शिकार होना पड़ा था। कई अंपायरों ने हाल ही में इस बात का खुलासा भी किया कि उन्होंने एकाध मौकों पर सचिन के खिलाफ गलत फैसला किया, लेकिन ये सब खेल का हिस्सा था। अब अंपायर साइमन टफेल ने भी एक खुलासा किया है। 

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साइमन टफेल ने बताया कि साल 2007 में ट्रेंट ब्रिज में भारत व इंग्लैंड के बीच खेले जा रहे टेस्ट मैच के दौरान उन्होंने सचिन तेंदुलकर को गलत आउट दे दिया था। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि उस घटना के बाद मैं और सचिन अच्छे दोस्त बन गए थे। हाल ही में टफेल ने गौरव कपूर के मशहूर पॉडकास्ट प्रोग्राम के दौरान बताया कि सचिन को उन्होंगे गलत आउट दे दिया था, लेकिन उसके बाद दोनों के बीच की दोस्ती और गहरी हो गई थी। हुआ ये था कि 2007 में खेले गए उस टेस्ट मैच में टफेल भी अंपायरिंग कर रहे थे। उस मैच में जब सचिन अपने शतक की तरफ बढ़ रहे थे तब टफेल ने पॉल कॉलिंगवुड की गेंद पर एलबीडब्ल्यू आउट दे दिया था। हालांकि टीवी रिप्ले में ये साफ तौर पर नजर आ रहा था कि गेंद ऑफ स्टंप से दूर थी। 

टफेल ने बताया कि मैच के अगले दिन जब सचिन के पास से गुजर रहा था तो मैंने उन्हें कहा कि कल मेरा जो फैसला था वो गलत था और ये आपको पता है। मैंने इसे देखा और खुद को गलत पाया। इसके बाद सचिन ने मुझसे कहा कि आप एक अच्छे अंपायर हैं और आप गलतियां नहीं करते हैं। अब इस बात को लेकर ज्यादा चिंता मत करें। उन्होंने कहा कि मैं सचिन से अपने फैसले के लिए माफी नहीं मांग था कि मैं या वो बेहतर महसूस करें। ये इसलिए था कि मैं और वो दोनों ही अपना काम बेहतर तरीके से कर रहे थे। मुझे पता था कि मेरे इस फैसले से वो खुश नहीं थे, लेकिन मैं उन्हें भरोसा दिलाना चाहता था कि इस तरह की गलती दोबारा नहीं होगी। हालांकि इसके बाद भी एक-दो बार कुछ गलतियां हुईं, लेकिन हम एक-दूसरे का काफी सम्मान करने लगे थे और हमारी दोस्ती बनी रही। 


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