चीनी प्रायोजकों को बनाए रखने पर घिरा BCCI, IPL का बहिष्कार करने की अपील की
स्वदेशी जागरण मंच ने लोगों से आइपीएल का बहिष्कार करने की अपील की-सोशल मीडिया पर भी लोगों का गुस्सा फूटा
अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) में चीनी प्रायोजकों को बरकरार रखने के आइपीएल गवर्निग काउंसिल के फैसले के खिलाफ देश में आवाजें उठने लगी हैं। सोशल मीडिया में तो लोग आइपीएल गवर्निग काउंसिल और बीसीसीआइ के इस फैसले का विरोध कर ही रहे हैं, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से संबद्ध संगठन स्वदेशी जागरण मंच और कन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने भी इसका विरोध शुरू कर दिया है।
दरअसल गलवन घाटी में 15 जून की रात भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव बरकरार है। इस घटना के बाद भारत ने चीन को आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए भारत करीब 100 ऐप को बैन कर दिया और कई करार भी रद कर दिए गए। स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ. अश्वनी महाजन ने कहा कि आइपीएल द्वारा चीनी मोबाइल कंपनी को प्रायोजक बनाने का फैसला चकित करने वाला है।
अपने इस निर्णय से आइपीएल गवर्निंग काउंसिल ने चीन के जघन्य कृत्य द्वारा शहीद हुए सैनिकों के प्रति अपना अपमान प्रकट किया है। इस समय देश हमारी अर्थव्यवस्था को बाजारों में चीनी प्रभुत्व से मुक्त बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। सरकार चीनी सामान को हमारे बाजारों से बाहर रखने के लिए सभी प्रयास कर रही है, चीनी निवेश को बाहर रखने और चीनी कंपनियों को को बाहर रखने की कोशिश की जा रही है।
आइपीएल का यह कृत्य न केवल देश की मनोदशा के प्रतिकूल है, बल्कि यह देश की सुरक्षा और आर्थिक चिंताओं का भी अनादर करता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हम आइपीएल आयोजकों से निवेदन करते हैं कि वे चीनी कंपनी को अपने प्रायोजकों के रूप में अनुमति देने के फैसले पर पुनर्विचार करें, यदि ऐसा नहीं किया जाता तो हमें मजबूरन आइपीएल के बहिष्कार का आह्वान करना होगा।
सोशल मीडिया पर भड़के लोग :
सोशल मीडिया पर विदेशी मामलों के जानकार विष्णु प्रकाश ने लिखा कि आइपीएल को करोड़ों भारतीय देखते हैं। हम चीन की ओर से हिंसा भी देख चुके हैं। ऐसे में वीवो को आइपीएल का प्रायोजक देखने की अनुमति देंगे? बीजिंग हम सब पर हंसेगा।
कौन हमें दुनिया में गंभीरता से लेगा? क्यों भारत का अपमान? इसके अलावा भी हजारों की संख्या में लोग आइपीएल गवर्निग काउंसलि के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। आइपीएल का मुख्य प्रायोजक वीवो प्रत्येक साल करब 440 करोड़ रुपये देता है और पांच साल का यह करार 2022 में समाप्त होगा।