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युवराज कभी द्रविड़ नहीं और द्रविड़ कभी युवराज नहीं बन सकते, सौरव गांगुली ने पढ़ाया लीडरशिप का पाठ

सौरव गांगुली ने लीडरशिप के बारे में बात करते हुए कहा कि वो नहीं चाहेंगे कि राहुल द्रविड़ जैसा खिलाड़ी युवराज सिंह जैसा बर्ताव करे।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Thu, 04 Jun 2020 01:24 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jun 2020 01:24 PM (IST)
युवराज कभी द्रविड़ नहीं और द्रविड़ कभी युवराज नहीं बन सकते, सौरव गांगुली ने पढ़ाया लीडरशिप का पाठ
युवराज कभी द्रविड़ नहीं और द्रविड़ कभी युवराज नहीं बन सकते, सौरव गांगुली ने पढ़ाया लीडरशिप का पाठ

नई दिल्ली, जेएनएन। टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट टीम के बेस्ट कप्तानों में से एक माने जाते हैं। मैच फिक्सिंग के काले साए के बाद गांगुली को टीम की कमान सौंपी गई थी और उन्होंने अपनी सोच और मेहनत के दम पर टीम को फिर से खड़ा किया और खोया सम्मान वापस दिलाया। उन्होंने टीम की कप्तानी बेहतरीन तरीके से की और कई जबरदस्त कामयाबियां टीम को दिलाई। 

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गांगुली की कप्तानी में भारत ने साल 2002 में नेटवेस्ट सीरीज का खिताब जीता साथ ही 2003 आइसीसी वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल तक पहुंची। गांगुली ने भारतीय टीम में अपनी छाप एक आक्रामक कप्तान के तौर पर छोड़ी। यही नहीं उन्होंने अपनी कप्तानी के दौरान कई युवा खिलाड़ियों को भरपूर सपोर्ट किया जिसकी वजह से उन खिलाड़ियों ने अपना नाम तो बनाया ही साथ ही साथ उनके दम पर ही भारत क्रिकेट के हर प्रारूप में दुनिया में हावी होने लगा। 

भारतीय टीम के पूर्व ऑल राउंडर युवराज सिंह भी उन युवा खिलाड़ियों में से एक थे जिन्हे गांगुली ने खूब सपोर्ट किया था। ये गांगुली के ही सपोर्ट का नतीजा था कि युवी दुनिया के इतने बड़े खिलाड़ी बने और अपनी टीम के लिए एक ऑल राउंडर के तौर पर 2011 वनडे वर्ल्ड कप में जबरदस्त भूमिका निभाई। उन्होंने इस वर्ल्ड कप में 362 रन बनाए और 15 विकेट भी लिए और प्लेयर ऑफ द सीरीज चुने गए। 

सौरव गांगुली ने एक ऑन लाइन लेक्चर के दौरान लीडरशिप के बारे में बात करते हुए युवराज सिंह का उदाहरण दिया। बीसीसीआइ के मौजूदा अध्यक्ष गांगुली ने कहा कि एक कप्तान के तौर पर आप ऐसी आशा कतई नहीं कर सकते हैं कि युवराज सिंह जैसा खिलाड़ी राहुल द्रविड़ जैसा बर्ताव करे। युवराज सिंह एक आक्रामक खिलाड़ी के तौर पर जाने जाते थे तो वहीं द्रविड़ बेहद शांत किस्म के खिलाड़ी थे। 

उन्होंने कहा कि किसी भी बड़े लीडर की सफलता की सबसे बड़ी कुंजी है उनकी अनुकूलनशीलता यानी वो किसी भी माहौल में खुद को एडजस्ट कर ले। एक लीडर को अपने टीम के खिलाड़ियों की प्रतिभा का सही इस्तेमाल करना आना चाहिए। आप युवराज सिंह को राहुल द्रविड़ नहीं बना सकते और राहुल द्रविड़ को युवराज सिंह नहीं बना सकते। एक बेस्ट लीडर हमेशा ही अपनी गलतियों से सीखता है और असफलता उसे आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती। असफल होने पर हताश नहीं होना चाहिए और असफलता से मिली सीख ही आपको सफल बनाएगी। 


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