इस भारतीय ओपनर को 8 साल की उम्र में सचिन तेंदुलकर से गिफ्ट में मिला था बैट
क्रिकेट में अपनी सफलता के सफ़र के बारे में पृथ्वी शॉ ने बताया कि जब वे 8 साल के थे तो सचिन सर ने उनको एक बल्ला दिया था। तभी मुझे समझ आ गया था कि मुझे यह कर दिखाना है।
नई दिल्ली, जेएनएन। बेहद साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले भारतीय बल्लेबाज पृथ्वी शॉ का क्रिकेटिंग स्टारडम सालों की कड़ी मेहनत और समर्पण का परिणाम है। पृथ्वी शॉ ने अपने जीवन के हर मोड़ पर किए गए उन बलिदानों के बारे में बात की, जिसकी वजह से आज वे एक सफल क्रिकेटर बन पाए हैं। उनको एक क्रिकेटर बनाने में उनके पिता की भी बड़ी भूमिका रही है। पृथ्वी शॉ ने इसी समर्पण के बारे में क्रिकबज के स्पेशल शो में खुलकर बात की।
पृथ्वी शॉ ने बताया, "मेरी प्रैक्टिस के लिए हमें हर रोज विरार से निकलना होता था, हर रोज सुबह लगभग साढ़े चार बजे हम उठ जाते और देर रात बारह से एक बजे के बीच लौटते। यहां तक कि रविवार को भी, मैच न भी होता तो भी मैं मैदान पर जाता और अपनी फिटनेस पर काम करता। मेरे खेल के लिए पिताजी ने सब कुछ छोड़ दिया था, अपना कारोबार और करियर भी।" पृथ्वी शॉ के पिता को उनका खेल पसंद था, लेकिन बेटा थोड़ा नर्वस हो जाता था।
शॉ के पिता बताते हैं, "मुझे याद है, सचिन तेंदुलकर मेरे बेटे की बल्लेबाजी में विशेष दिलचस्पी ले रहे थे, लेकिन उन्होंने महसूस किया कि मेरे हस्तक्षेप करने से मेरे बेटे का प्रदर्शन प्रभावित होने लगा है। ऐसे में एक दिन सचिन मेरे पास आए और बोले कि मुझे थोड़ा दूर बैठ कर खेल देखना चाहिए। मेरी उपस्थिति मेरे बेटे की मनःस्थिति को प्रभावित कर रही थी, जिसकी वजह से उसका प्रदर्शन प्रभावित हो रहा था। उस दिन से, मैंने हमेशा दूर से ही पृथ्वी के मैच देखे हैं।"
पृथ्वी शॉ के जीवन में तेंदुलकर का काफी योगदान रहा है। भारतीय ओपनर ने बताया, "उन्होंने(सचिन तेंदुलकर) पहली बार मुझे खेलते हुए तब देखा था जब मैं सिर्फ आठ साल का था। मेरा खेल अभी आधा ही खत्म हुआ था, इसलिए उन्होंने मेरे खेल के खत्म होने का इंतजार किया और चुपचाप मैच देखते रहे। मैच खत्म होने के बाद जब मैं उनसे मिला, उन्होंने मुझसे कहा कि यदि मैं ऐसे ही बल्लेबाजी करता रहा तो बहुत दूर तक जा सकता हूं और फिर उन्होंने मुझे एक शानदार बैट उपहार में दिया। मैं कुछ भी बोल नहीं पाया था, बस उन्हें धन्यवाद कहा और हां में अपना सिर हिला दिया था।"
भारतीय टीम के लिए टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू मैच में ओपनिंग करते शतक जमाने वाले पृथ्वी शॉ बताते हैं, "जब मैंने उस बैट को उठाया, तब मुझे पता था कि मुझे कुछ कर दिखाना है। मुझे अभी भी याद है कि वह बैट कितनी शानदार थी। वह मेरे द्वारा इस्तेमाल की गई किसी भी बैट से बहुत अच्छी थी। वह पल मेरे जीवन का निर्णायक पल बन गया, उस पल ने मुझे एक ऐसे क्रिकेटर बनने के लिए प्रेरित किया जैसा कि आज मैं हूँ।"