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जानिए, 'फिक्सिंग' की जांच कर रहे एंटी करप्शन चीफ ने क्यों लिया धौनी और विराट कोहली का नाम

BCCI के एंटी करप्शन यूनिट के चीफ अजीत सिंह ने युवाओं को इस तरह से किसी भी मामले से दूर रहने की सलाह दी है। अजीत ने महेंद्र सिंह धौनी और विराट कोहली के नाम का उदाहरण दिया ।

By Viplove KumarEdited By: Published: Tue, 17 Sep 2019 05:21 PM (IST)Updated: Tue, 17 Sep 2019 05:21 PM (IST)
जानिए, 'फिक्सिंग' की जांच कर रहे एंटी करप्शन चीफ ने क्यों लिया धौनी और विराट कोहली का नाम
जानिए, 'फिक्सिंग' की जांच कर रहे एंटी करप्शन चीफ ने क्यों लिया धौनी और विराट कोहली का नाम

नई दिल्ली, आईएएनएस। तमिलनाडु प्रीमियर लीग (Tamil Nadu Premier League) में लग रहे फिक्सिंग के आरोप के बाद एक बार फिर से यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या ‘जेंटलमैन गेम’ कहे जाने वाले क्रिकेट में यह सब करना इतना आसान है। BCCI के एंटी करप्शन यूनिट (Anti-Corruption Unit) के चीफ अजीत सिंह ने युवाओं को इस तरह से किसी भी मामले से दूर रहने की सलाह दी है।

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अजीत सिंह ने साफ कहा कि विराट कोहली (Virat Kohli) और महेंद्र सिंह धौनी (Mahendra Singh Dhoni) जैसे बड़े खिलाड़ियों के पीछे कभी भी सट्टेबाज या फिक्सर अपना वक्त बर्बाद नहीं करते हैं। युवा या फिर जो क्रिकेटर सफल नहीं हो पाए वो ही इसमें फंसते हैं। युवाओं को पता ही नहीं चलता कि उनके साथ क्या हो रहा है या फिर पैसे इतने ज्यादा होते हैं कि नकार नहीं पाते।

फिक्सिंग पर आईएएनएस से बात करते हुए ACU चीफ ने कहा, "अगर आप मुझसे पूछे तो आज के स्टार खिलाड़ी इस तरह से मामले में शामिल होने से पाने से ज्यादा सबकुछ खो सकते हैं। जरा सोचिए, अगर विराट कोहली या धौनी जैसे खिलाड़ी इसमें शामिल होते हैं तो यहां सिर्फ पैसों की बात नहीं होगी, बल्कि उनका नाम और रुतबा भी दांव पर रहेगा। वो ऐसी चीजों के लिए अपने नाम को कुर्बान नहीं कर सकते हैं। उनका नाम इन सब चीजों से कहीं बड़ा है।" 

अगर सिर्फ पैसे की भी बात हो तो भी क्या आपको लगता है वो इसमें शामिल होंगे। दोनों ही चाहे पैसा हो या फिर इंडोर्समेंट ये उनके नाम की वजह से ही मिलता है। इतना ही नहीं इन सबके अलावा भी जो कुछ उनको हासिल है वो सिर्फ नाम और रुतबे की वजह से। बेटिंग से उनको इसका छोटा सा हिस्सा भी नहीं मिलने वाला।

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ये लोग (फिक्सर और सट्टेबाज) किसी भी तरह से मौके की तलाश में रहत हैं। अगर यह किसी तरह से टूर्नामेंट में शामिल नहीं हो पाते तो फिर अपनी भी लीग की शुरुआत कर सकते हैं। अब ये नए देश की तरफ रूख कर रहे हैं, खेल का प्रमोशन करने के नाम पर टूर्नामेंट का आयोजन करते हैं और अपनी टीम हासिल करते हैं। ये ऐसा दिखात हैं जैसे खेल के लिए काम कर रहे हैं।


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