हितों के टकराव को लेकर सौरव गांगुली पर सख्त लोकपाल, BCCI को दिया ये आदेश
लोकपाल डीके जैन ने कहा कि बीसीसीआइ सुनिश्चित करे गांगुली एक पद से ज्यादा पर न रहें।
नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) के लोकपाल डीके जैन ने बोर्ड से साफ कह दिया है कि सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) के हितों का टकराव का मुद्दा आसानी से प्रभावित होने वाला है और वह अपने पदों को चयन करने पर ध्यान दें। वह इस बात का ख्याल रखें कि एक से ज्यादा पद पर न रहें। लोकपाल डीके जैन ने कहा कि बीसीसीआइ सुनिश्चित करे गांगुली एक पद से ज्यादा पर न रहें।
हालांकि जैन ने हितों के टकराव के मुद़्दे पर गांगुली को संदेह का लाभ दिया है लेकिन साथ ही कहा है कि उन्हें एक पद से ज्यादा पर सवार नहीं रहना चाहिए। इसे लेकर जैन ने बीसीसीआइ को एक पत्र लिखा है। उन्होंने लिखा है कि हालिया मामले में, गांगुली को नोटिस दिया गया था। उसमें लिखा था कि अगर लोकपाल को लगा कि नियम 38 के तहत क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) में उनका रहना हितों के टकराव का मुद्दा है तो ऐसे में इन शिकायतों को लेकर उनका जवाब तुरंत प्रभाव से उनके इस्तीफे के तौर पर मान लिया जाएगा, दूसरा यह कि उनका आइपीएल फ्रेंचाइजी से करार तुरंत प्रभाव से खत्म होगा। मैं यह साफ करता हूं कि इस मामले में हितों का टकराव आसानी से प्रभावित करने वाला है। उन्होंने कहा कि यह साफ है कि कानून का ज्ञान न होना बहाना नहीं हो सकता।
गांगुली को 38(2) के नियम के तहत जरूरी जानकारी देनी थी, लेकिन इस बात को ध्यान में रखते हुए कि नियम अगस्त 2018 से अस्तित्व में आया, मैं गांगुली को संदेह का लाभ दे रहा हूं कि शायद उन्होंने पद स्वीकार करते हुए यह पता न हो कि यहां हितों का टकराव है। मैं बीसीसीआइ को निर्देश देता हूं कि वह इस बात को सुनिश्चित करे कि गांगुली ऐसी स्थिति से बचें, जहां हितों का टकराव आड़े आए। बीसीसीआइ उन्हें नियम 38 (4) के मुताबिक एक पद पर ही बने रहने दें।
ये है पूरा मामला
सौरव गांगुली पर बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष, सीएसी सदस्य और आइपीएल फ्रेंचाइजी दिल्ली कैपिटल्स के सलाहकार के तौर पर तीन भूमिका निभाने के लिए हितों के टकराव का आरोप लगा था। नियम के मुताबिक कोई भी बीसीसीआइ में एक से अधिक पद पर नहीं रह सकता। मामला सामने आने के बाद गांगुली सीएसी से अलग हो गए थे। बता दें कि इसी तरह के विवाद में मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण पर भी फंस चुके हैं।
पर्यवेक्षक नियुक्त करने पर सीओए का यूटर्न
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त की गई प्रशासकों की समिति (सीओए) ने राष्ट्रीय राजधानी में बैठक की और राज्य संघों द्वारा रखे गए मुद्दों पर चर्चा की। रोचक बात यह है कि सीओए के अध्यक्ष विनोद राय ने साफ किया है कि 10 राज्यों के कामकाज पर पर्यावेक्षक नजर नहीं रखेंगे न ही वह राज्य संघों के किसी भी फैसले में दखल देंगे। राय से जब 10 राज्यों आंध्र प्रदेश, नागालैंड, सिक्किम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, बिहार, चंडीगढ़, उत्तराखंड, पुडुचेरी में पर्यावेक्षक नियुक्त करने और बीसीसीआइ के संविधान में इसकी इजाजत होने पर सवाल किए गए तो उन्होंने कहा कि पर्यावेक्षकों की नियुक्ति सिर्फ राज्य संघों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए की गई थी। यह फैसला इसलिए लिया गया था क्योंकि हमारे पास कई तरह के सवाल आ रहे थे। यह सिर्फ मदद करने के लिए लिया गया फैसला था। वह एक पर्यावेक्षक हैं, वह किसी तरह के फैसले लेने में हिस्सा नहीं लेंगे। यह साफ है कि वह फैसले नहीं लेंगे और न ही किसी तरह के निर्देश देंगे। वह बैठेंगे और सिर्फ चीजों को देखेंगे। यह जवाब देने वाला सवाल ही नहीं है। राज्य संघों को जो मेल किया गया है उसमें साफ लिखा है कि पर्यवेक्षक राज्य संघों को क्रिकेट संबंध मसलों में मार्गदर्शन देंगे।
30 राज्य संघ हुए बीसीसीआइ के संविधान से संबद्ध
करीब ढाई साल पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त सीओए के प्रमुख विनोद राय ने कहा कि 22 अक्टूबर को बीसीसीआइ के प्रस्तावित चुनाव को लेकर प्रक्रिया सही तरीके से चल रही है। चुनाव नियत समय पर हो जाएंगे। राय ने यह भी कहा कि लगभग 30 राज्य क्रिकेट संघ अब बीसीसीआइ के संविधान के अधीन आ चुके हैं। राज्य क्रिकेट संघों का बीसीसीआइ के संविधान के अधीन काम करना इस पूरी प्रक्रिया का अहम हिस्सा था। यह काफी अच्छी संख्या है। कुछ राज्यों जैसे कि मध्यप्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ के साथ कुछ समस्याएं थीं, लेकिन हमने वे मुद्दे सुलझा लिए हैं। यह पूछे जाने पर कि कौन से राज्य अभी बीसीसीआइ से संबद्ध नहीं हुए हैं। राय ने कहा कि हरियाणा और तमिलनाडु हमारे पास नहीं आए, इसलिए हम इस मामले में कुछ नहीं कह सकते, लेकिन जिस तरह से राज्य संघ हमसे जुड़े हैं, हमें उम्मीद है कि चुनाव नियत तिथि पर हो जाएंगे। राय ने बताया कि सीओए आगामी 16 सितंबर को एक बैठक आयोजित करेगी। सीओए ने राज्य संघों को संबद्धता संबंधी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए आखिरी तारीख 28 सितंबर तक बढ़ा दी थी। राय ने कहा कि अब इस तारीख को आगे बढ़ाना मुमकिन और उचित नहीं है क्योंकि बीसीसीआइ चुनाव के लिए एजीएम (सालाना आम बैठक) के लिए 21 दिन पहले नोटिस जारी होना जरूरी है जो कि इस मामले में 30 सितंबर की तारीख है। बीसीसीआइ के चुनाव के लिए राज्य संघों को अपने प्रतिनिधियों के नाम भेजने होंगे।