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Ind vs WI: दीपक चाहर ने बताया क्या है टीम इंडिया में एंट्री का सबसे आसान रास्ता

Ind vs WI दीपक चाहर ने बताया कि टीम इंडिया में एंट्री के लिए आइपीएल में प्रदर्शन करना सबसे अहम है।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Tue, 17 Dec 2019 07:16 PM (IST)Updated: Tue, 17 Dec 2019 07:17 PM (IST)
Ind vs WI: दीपक चाहर ने बताया क्या है टीम इंडिया में एंट्री का सबसे आसान रास्ता
Ind vs WI: दीपक चाहर ने बताया क्या है टीम इंडिया में एंट्री का सबसे आसान रास्ता

विशाखापत्तनम, प्रेट्र। भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज दीपक चाहर ने कहा कि उन्हें अपने करियर के शुरुआत में ही ये बात समझ में आ गई थी कि उन्हें सिमित ओवरों के प्रारूप में ज्यादा ध्यान देना होगा साथ ही आइपीएल टीम इंडिया में जगह बनाने का आसान रास्ता है। 

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दीपक चाहर ने राजस्थान राजस्थान की तरफ से पहले रणजी मैच खेला और इस मैच में हैदराबाद के विरुद्ध दस रन देकर आठ विकेट लिए थे। वैसे उन्हें ये अहसास हो गया था कि 125 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करके उन्हें टीम इंडिया में जगह नहीं मिल सकती है। उन्होंने बताया कि मैंने तेज गति से गेंद डालने के लिए एक्शन में बदलाव किया, लेकिन इसके बाद मुझे रणजी टीम में बने रहने के लिए भी संघर्ष करना पड़ा। मुझे ये लगने लगा कि टीम इंडिया में जगह बनाना आसान नहीं है। मुझे ऐसा लगा कि अगर मैं रणजी के भरोसे रहूंगा तो मुझे लंबा रास्ता तय करना पड़ेगा। 

चाहर ने कहा कि अगर आप आइपीएल में अच्छा करते हो तो आपको जल्द ही भारतीय टीम की तरफ से खेलने का मौका मिल सकता है। अपने करियर के उस दौर में फिर मैंने उजले गेंद के क्रिकेट की तरफ ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया। इसके बाद चाहर ने चेन्नई के लिए दो सीजन खेलने के बाद भारतीय टीम में जगह बनाई। अपने कमजोरी के बारे में चाहर ने कहा कि जब मैंने रणजी ट्राफी में प्रवेश किया तो मैं 125 किमी की रफ्तार से गेंदबाजी करता था। अपनी तेजी बढ़ाने के प्रयास में मैं चोटिल भी रहा। मैं जानता था कि इस तेजी से मैं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में नहीं बने रह सकता हूं। मुझे इसे 140 तक बढ़ाना होगा और इसमें स्विंग को जोड़ना होगा।

इसके बाद चाहर ने बताया कि स्विंग लेती गेंद जो 135 से 137 किमी की रफ्तार से की गयी हो वह किसी भी बल्लेबाज के लिये बेहद मुश्किल गेंद होती है। अगर विकेट सपाट है तो 150 किमी की गेंद भी आसानी से खेली जा सकती है। चाहर का ध्यान अब सफेद गेंद का अच्छा गेंदबाज बनने पर है और उन्हें लगता है कि लाल गेंद की तुलना में सफेद गेंद को स्विंग करना अधिक मुश्किल है। उन्होंने कहा कि लाल गेंद का अगर एक छोर चमकीला है तो वह (रिवर्स) स्विंग लेगी। यही वजह है कि रणजी स्तर पर कई गेंदबाज गेंद को दोनों तरफ मूव कर सकते हैं। सफेद गेंद से स्विंग चमक के कारण नहीं मिलती। यह आपके एक्शन से मिलती है। इसलिए मैंने अपनी तेजी बढ़ाने के साथ इस पर भी काम किया।

चाहर ने कहा कि वनडे सबसे मुश्किल प्रारूप है। आपको यहां पर रन भी रोकने होते हैं और विकेट भी निकालना होता है। मैं अब वनडे में अच्छी गेंदबाजी कर सकता हूं क्योंकि मैंने भारत ए के लिए कई लिस्ट ए मैच खेले हैं। मैं अब अपने यार्कर पर काम कर रहा हूं और धीमे बाउंसर अच्छी तरह से कर सकता हूं। 


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