विराट कोहली ने खोला टीम इंडिया के तेज गेंदबाजों की सफलता का राज, बताई ये सच्चाई
India vs South Africa भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली ने इस राज से पर्दा उठा दिया है कि कैसे उनकी कप्तानी में गेंदबाजी का स्तक सुधरा है।
नई दिल्ली, जेएनएन। बीते कुछ सालों से टीम इंडिया की गेंदबाजी शानदार रही है। मैच घरेलू पिचों पर हों या फिर विदेशी पिचों पर, भारतीय गेंदबाज अपनी तेज और स्पिन गेंदबाजी के मिश्रण के साथ दुनिया भर में कामयाब हुए हैं। टेस्ट मैच में 20 विकेट निकालना अब टीम इंडिया के गेंदबाजों के लिए कोई चुनौतीभरा काम नहीं लगता। विशाखापत्तनम टेस्ट में भारत ने मेहमान दक्षिण अफ्रीका को 203 रन से मात दी। इस जीत के टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने भारतीय टीम की गेंदबाजी की कामयाबी का राज साझा किया।
खुद बदलाव लाए हैं गेंदबाज- कोहली
घरेलू सपाट पिचों पर भारतीय तेज गेंदबाजों की कामयाबी का राज बताते हुए कोहली ने कहा, मैं मानता हूं कि हमारे तेज गेंदबाज पिछले दो साल में अपने व्यवहार और मानसिक स्थिति में जो बदलाव लाए हैं वो शानदार है। अगर तेज गेंदबाज मैदान से बाहर आते हैं तो फिर ऐसा लगता है कि यह सारा काम अब स्पिनरों को ही करना होगा। ऐसे में अंतिम एकादश में उन्हें खिलाना न्यायसंगत नहीं है। अब वे भारत में भी अपना योगदान देने की कोशिश करते हैं।
ऐसा नहीं है कि अगर गर्मी और उमस भरा माहौल है तो वे हार मान लें। वे छोटे स्पैल के लिए जरूर कहते हैं, ताकि मैच में वे अपना 100 प्रतिशत झोंक सकें, ये जरूरी संवाद है जो दोनों ही ओर से जरूरी होता है। मैं मानता हूं कि टीम के लिए ऐसा करते हुए उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया है। ये सब नजरिये की वजह से है। शमी, इशांत, जसप्रीत और उमेश ये सभी वो सब जरूरी काम कर रहे हैं जो खेल में हम उनसे चाहते हैं। यहां तक छोटे-छोटे स्पैल में एक-दो विकेट निकालने से स्पिनरों को भी मदद मिलती है, जो दूसरे छोर से अपना दबदबा बना रहे होते हैं। इससे टीम को थोड़ी-बहुत और राहत मिलती है। ये शानदार है कि हमारे तेज गेंदबाज भी विपरीत परिस्थितियों में भी टीम के लिए विकेट निकालने को आतुर रहते हैं।
एसजी गेंद में हुआ सुधार
जब पिछली बार हम यहां (घरेलू सत्र में) खेले थे उसकी तुलना में इस बार की एसजी गेंद बहुत शानदार है। इसमें कुछ हद तक सुधार किया गया है। हम चाहते हैं कि यह गेंद 80 ओवरों तक सख्त बनी रहे। अगर यह 40-45 ओवरों में ही नरम होने लगेगी तो फिर खेल में कुछ होता नहीं दिखेगा। यह स्थिति टेस्ट क्रिकेट के लिए आदर्श नहीं है। सख्त गेंद स्वभाविक रूप से थोड़ी ज्यादा उछलती है।
इससे बल्लेबाजों को मुश्किलें आती हैं। हम इसे लगातार होते देखना चाहते हैं। अगर 80 नहीं तो करीब 60 ओवरों तक तो गेंद सख्त रहनी ही चाहिए। इससे हम खेल में लगातार बने रहेंगे। गेंदबाज आपकी ओर आते रहते हैं और आपके लिए मुश्किलें खड़ी करते रहते हैं, तब आपको रन बनाने में सक्षम रहना होता है। यही टेस्ट क्रिकेट का असली रोमांच और सारांश है।
शानदार रहे अश्विन व जडेजा
कोहली ने मुख्य स्पिनरों रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा के प्रदर्शन को लेकर कहा, हम हमेशा जानते हैं कि दूसरी पारी में जाकर ही खेल निर्णायक होगा। जड्डू और ऐश (जडेजा और अश्विन) दोनों ने ही बहुत शानदार प्रदर्शन किया। पहली पारी में अश्विन ने हमें सही स्थिति में पहुंचाया। पिच सपाट थी और उन्हें कुछ बाउंड्री भी मिल गई थीं। लेकिन, आपको यह भी मानना होगा कि हमने भी यहां 500 रन बनाए थे। इसलिए पिच में कोई खराबी नहीं थी। सच यह है कि अश्विन ने हमें उस पारी में सात विकेट दिलाए, जो उनके शानदार प्रयासों का नतीजा था और दूसरी पारी में जडेजा ने अपने एक ही स्पैल में हमें जल्दी-जल्दी सफलताएं दिलाईं।
बल्लेबाजों के प्रदर्शन पर
पहले टेस्ट में भारतीय बल्लेबाजों के प्रदर्शन पर कोहली ने कहा, रोहित दोनों पारियों में उम्दा खेले। पहली पारी में उनके साथ मयंक भी शानदार थे। दूसरी पारी में भी उन्होंने शानदार शुरुआत की। पुजारा सही ताल के साथ खेले, जिन्होंने हमारे लिए ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार किया कि जब हम बल्लेबाजी पर आए तो हम कुछ और अतिरिक्त रन बना पाए, जिससे हम विरोधी टीम को एक चुनौती भरा लक्ष्य दे पाए। यह मुश्किल काम था क्योंकि यहां मौसम भी चुनौतीपूर्ण था और पिच भी लगातार धीमी होती जा रही थी।