बॉल टैंपरिंग मामले में कम सज़ा को लेकर भड़के भज्जी, ICC पर जमकर निकाला गुस्सा
हरभजन सिंह को बॉल टैंपरिंग करने पर ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को दी गई ये सजा कम लगी और इसी वजह से टर्बनेटर ने ट्वीटर पर अपनी भड़ास निकाली।
नई दिल्ली, जेएनएन। केपटाउन टेस्ट मैच के दौरान हुए बॉल टैंपरिंग मामले में आइसीसी ने ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव स्मिथ और कैमरन बैन्क्रोफ्ट को सुना दी है, लेकिन उन्हें दी गई इस सजा पर हरभजन सिंह ने काफी नाराजगी जताई है। भज्जी ने एक ट्वीट करते हुए आइसीसी को कम सजा के लिए आड़े हाथों लिया। हरभजन का कहना है कि क्रिकेट को चलाने वाली संस्था के अलग देशों के खिलाड़ियों के लिए अलग नियम होते हैं।मइसके साथ ही साथ भज्जी ने आइसीसी को अपने ऊपर लगाया गया बैन भी याद दिलाया।
भज्जी ने अपने ट्वीट में कहा कि, वाह आइसीसी, बैन्क्रोफ्ट के खिलाफ साफ़ तौर पर सबूत मिलने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई और हमने 2001 के दक्षिण अफ़्रीकी दौरे पर अत्यधिक अपील की थी और छह खिलाड़ियों पर बैन लगाया गया था। इसके अलावा भज्जी ने 2008 के सिडनी टेस्ट पर कहा कि वहां मेरे खिलाफ सबूत नहीं होने के बाद भी 3 मैचों का बैन लगाया गया था। अलग लोगों के लिए अलग नियम होते हैं।
wow @ICC wow. Great treatment nd FairPlay. No ban for Bancroft with all the evidences whereas 6 of us were banned for excessive appealing in South Africa 2001 without any evidence and Remember Sydney 2008? Not found guilty and banned for 3 matches.different people different rules— Harbhajan Turbanator (@harbhajan_singh) 25 मार्च 2018
आपको बता दें कि दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीसरे मैच के तीसरे दिन बॉल टैंपरिंग होने के बाद स्टीव स्मिथ और कैमरुन बैन्क्रोफ्ट ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया था। इसके बाद स्मिथ को कप्तानी छोड़नी पडी थी और चौथे दिन ऑस्ट्रेलिया की तरफ से कप्तानी का जिम्मा टिम पेन ने संभाला था। आइसीसी ने बॉल टैंपरिंग में शामिल होने के लिए स्टीव स्मिथ पर एक मैच का बैन लगाया तो वहीँ बॉल टैंपरिंग करने वाले कैमरुन बैन्क्रोफ्ट पर 75 फीसदी मैच फीस का जुर्माना और 3 डीमेरिट पॉइंट दिए गए। इसके साथ ही साथ स्मिथ की पूरी मैच फीस काटी गई।
हरभजन सिंह को बॉल टैंपरिंग करने पर ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को दी गई ये सजा कम लगी और इसी वजह से टर्बनेटर ने ट्वीटर पर अपनी भड़ास निकाली। साथ ही साथ भज्जी ने इस सर्वोच्च संस्था पर भेदभाव करने का आरोप लगाया।