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Exclusive: रिद्धिमान साहा का खुलासा, बताया क्यों और कब लगाते हैं 'सुपरमैन' वाली डाइव

Exclusive सुपरमैन साहा के टैग पर बोले- मैं योजनाबद्ध तरीके से डाइव नहीं लगाता बस गेंद देखकर शरीर अपने आप यह कर डालता है

By Vikash GaurEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 09:34 AM (IST)Updated: Thu, 05 Dec 2019 09:34 AM (IST)
Exclusive: रिद्धिमान साहा का खुलासा, बताया क्यों और कब लगाते हैं 'सुपरमैन' वाली डाइव
Exclusive: रिद्धिमान साहा का खुलासा, बताया क्यों और कब लगाते हैं 'सुपरमैन' वाली डाइव

नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। भारतीय अनुभवी विकेटकीपर बल्लेबाज रिद्धिमान साहा ने बांग्लादेश के खिलाफ पहले डे-नाइट टेस्ट के दौरान 'सुपरमैन साहा' का तमगा हासिल किया था और उन्हें यह नाम शानदार डाइव लगाकर कैच करने को लेकर दिया गया था। उनके शानदार डाइव कैच को लेकर दिया गया था। 35 वर्षीय साहा ने इस डे-नाइट टेस्ट में अपने टेस्ट करियर के 100 शिकार पूरे किए थे और वह ऐसा करने वाले भारत के पांचवें विकेटकीपर बने थे। उस टेस्ट में साहा के दायें हाथ की अंगुली में चोट लगी उसका सफलतापूर्वक ऑपरेशन भी हो गया है। इस विकेटकीपर का मानना है कि न्यूजीलैंड दौरे पर भारतीय टीम अंडरडॉग की तरह नहीं बल्कि दावेदार के तौर पर जाएंगे। रिद्धिमान साहा से खास बातचीत के मुख्य अंश

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- आपकी चोट कैसी है और न्यूजीलैंड दौरे को देखते हुए अपनी वापसी को कैसे देखते हैं?

अभी न्यूजीलैंड दौरे में समय है और उससे पहले रणजी ट्रॉफी के मैच हो जाएंगे। शायद इस टूर्नामेंट के अंतिम कुछ मैचों में मैं बंगाल की तरफ से खेलूंगा। डॉक्टर ने एक महीने का आराम बोला है। पूरी तरह ठीक होने पर ही रणजी मैच खेलूंगा। मुझे यह चोट बांग्लादेश के खिलाफ सीरीज के आखिरी टेस्ट मैच में लगी थी।

- तो आखिरी के दो या तीन मैच में आप खेल सकते हैं?

यह तो डॉक्टर और फिजियो पर निर्भर है और उनसे सलाह लेकर ही खेलूंगा।

-आजकल आप सुपरमैन साहा के तौर पर जाने जा रहे हैं। आप इतने मुश्किल कैच कैसे लपक लेते हैं?

मैंने सोच समझकर डाइव नहीं लगाई क्योंकि दूधिया रोशनी में गुलाबी गेंद ज्यादा हिल रही थी। रोशनी भी इतनी अच्छी नहीं थी। अगर गेंदबाज की गति कम होती तो एक कदम बढ़कर भी कैच ले सकता था लेकिन 140 किमी प्रति घंटे से ज्यादा गति से गेंद आ रही थी। ऐसे में अगर अचानक से गेंद की दिशा बदल जाए तो शरीर का प्रभाव ही काम करता है तो मैंने वह ही किया। मैंने कोई योजना बनाकर डाइव नहीं लगाई बल्कि सब कुछ खुद-ब-खुद हो गया।

-ये जो आपको सुपरमैन का नया नाम मिला है, उसे कैसे देखते हैं?

ये तो मुझे पता नहीं। ये तो लोगों ने नाम दिया है। मेरा काम तो मैदान पर जाकर गेंद रोकना है। एक-दो बार ऐसा हुआ है कि डाइव लगाने के बाद भी गुलाबी गेंद हाथ से निकल गई। मेरी कोशिश ज्यादा से ज्यादा गेंद पकड़ने की रहेगी।

- इससे पहले जब आपको चोट लगी थी तो आपको ज्यादा समय तक टीम से बाहर रहना पड़ा और उस दौरान रिषभ पंत ने अपनी जगह पक्की कर ली। चोट किसी खिलाड़ी के लिए कितनी खतरनाक हो सकती है?

चोट तो हर खिलाड़ी के साथ जुड़ी रहती है। उसमें कुछ कर नहीं सकते। चोट से खुद को बचाने के लिए डाइव नहीं लगाना और बचकर खेलना मेरे अंदर नहीं है। जब मुझे लगता है कि मैं कुछ कर सकता हूं तो करता हूं।

-टीम में एक ही विकेटकीपर होता है। धौनी के टेस्ट से जाने के बाद आप आए। आपको चोट लगी तो पंत आ गए। इस प्रतिस्पर्धा को आप कैसे देखते हैं। टीम में किसी की जगह सुरक्षित नहीं है?

वर्तमान टीम में दो या तीन खिलाड़ी को छोड़ दिया जाए तो किसी की जगह सुरक्षित नहीं है। हर कोई अच्छा प्रदर्शन करके जगह बचाना चाहता है और मैं भी यही करता हूं। हर कोई अपनी टीम या देश के लिए अच्छा करने की कोशिश करता हूं और मैं भी यहीं करता हूं।

-जब आप और पंत एक-साथ होते हैं तो आपके बीच में क्या बात होती है और जब धौनी या आप थे तो तब क्या होती थी?

जब मैं और पंत या धौनी भाई साथ होते हैं तो यही बात करते हैं कि हम क्या अच्छा कर सकते हैं। हमेशा यही कोशिश रहती है सकारात्मक वातावरण रहे। हमारे बीच में द्वेष जैसा कुछ नहीं है।

-विश्व टेस्ट चैंपियनशिप शुरू होने के बाद सबसे मुश्किल दौरा न्यूजीलैंड का है। आप न्यूजीलैंड टीम को कैसे आंकते हैं और अपनी टीम को कैसे देखते हैं?

विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में हमारा प्रदर्शन सबसे अच्छा चल रहा है और हमने बांग्लादेश को लगभग दो दिन में ही हराया है। जब हम पिछले विदेशी दौरों पर खेले, जैसे ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड में तो वहां भी एक ही मैच ऐसा होगा जो एकतरफा गया हो। हमने वहां भी हर विभाग में उन्हें कड़ी टक्कर दी है। तो जब हम बाहर जाएंगे तो ऐसा नहीं है कि हम अंडरडॉग होकर जाएंगे बल्कि हम दावेदार के तौर पर जाएंगे। हमारे पास भी मजबूत बल्लेबाजी और गेंदबाजी है। हम किसी भी हालात में शानदार प्रदर्शन कर सकते हैं।

-पहले भारतीय विकेटकीपरों को भारत में कुंबले, हरभजन, अश्विन और जडेजा जैसे स्पिनरों की गेंद पकड़ने में मुश्किल होती थी क्योंकि वह बहुत घूमती थीं। अब यही हाल भारतीय तेज गेंदबाजों के सामने होता है। मौजूदा आक्रमण के सामने विकेट के पीछे गेंद को पकड़ना कितना मुश्किल होता है?

हमें हर गेंद पर ध्यान देना होता है और यह थोड़ा चुनौतीपूर्ण होता है। तेज गेंदबाजों में जैसे बुमराह, इशांत, शमी इन तीनों की गेंद विकेट क्रॉस करने के बाद अपनी दिशा बदलती है तो मेरे लिए यह चुनौतीपूर्ण तो होता ही है। स्पिनरों में अभी कुंबले या हरभजन नहीं है, लेकिन रवींद्र जडेजा, अश्विन, कुलदीप हैं, लेकिन चुनौती हर गेंद के सामने है। कुंबले की तो बात ही अलग थी। वर्तमान तेज गेंदबाजी आक्रमण अद्भुत है। इनके सामने गेंद लपकने का कोई अभी अच्छा मौका होता है तो स्लिप में या विकेटकीपर के लिए चुनौती होती है लेकिन हम इसे प्रेरणा के रूप में देखते हैं। हम हमेशा सोचते हैं कि इनके सामने अच्छा करेंगे।

- आपको सबसे मुश्किल गेंदबाज कौन लगता है। ऐसा गेंदबाज जिसके सामने विकेटकीपिंग करना आसान नहीं हो?

जसप्रीत बुमराह हैं, जो अलग-अलग एंगल से गेंद डालते हैं। हर बार कुछ नया करने की कोशिश करते हैं। मुहम्मद शमी और इशांत शर्मा भी बढ़िया गेंदबाजी कर रहे हैं। इनकी गेंदों में काफी तेजी और उछाल है।

- मौजूदा भारतीय टीम और विराट कोहली की कप्तानी को कैसे देखते हैं?

2015 के बाद से जो दौर शुरू हुआ उसमें हम श्रीलंका में पहला मैच हार गए थे। फिर हमारी टीम की बैठक हुई और उसके बाद से हमने फैसला किया कि हम हर हालात में तालमेल बैठाकर एक टीम के रूप में खेलेंगे। कोहली का इसमें योगदान अहम रहा है। वह कप्तान के तौर पर हर किसी को छूट देते हैं, चाहे वह गेंदबाज हो या बल्लेबाज। कोई भी कुछ भी सलाह दे सकता है। जब वह इतनी छूट देते हैं तो मुझे भरोसा है कि जो भी टीम में होगा, वह अच्छा ही करेगा। 


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