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World Cup 2019: इन वजहों से विश्व कप जीतने का हकदार है क्रिकेट का जनक इंग्लैंड!

world cup 2019 इस विश्व कप में अपने शानदार खेल के दम पर इंग्लैंड की टीम फाइनल में पहुंची है और वो खिताब जीतने से एक कदम दूर है।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sat, 13 Jul 2019 03:20 PM (IST)Updated: Sat, 13 Jul 2019 03:20 PM (IST)
World Cup 2019: इन वजहों से विश्व कप जीतने का हकदार है क्रिकेट का जनक इंग्लैंड!
World Cup 2019: इन वजहों से विश्व कप जीतने का हकदार है क्रिकेट का जनक इंग्लैंड!

नीरज प्रसाद का कॉलम। क्रिकेट विश्वकप 2019 के लिए लॉर्ड्स में इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के बीच होने वाले फाइनल मैच को लेकर खेल विशेषज्ञ नीरज प्रसाद ने राय दी है। आइए पढ़ते हैं कि उन्होंने फाइनल के लिए दोनों टीमों का आकलन किस तरह किया है...।

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एक नया वर्ल्ड कप चैंपियन

''अंतत: ये फाइनल के लिए है। 47 बार दिल की धड़कने बढ़ाने के बाद विश्व कप का 48वां मैच क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लार्ड्स के मैदान में खेला जाएगा और पूरा विश्व एक नए चैंपियन का गवाह बनने जा रहा है। इंग्लैंड आक्रमक दौड़ में है, लगातार पिछले तीन मैचों में इस टीम ने जबरदस्त संघर्ष किया और एक योद्धा की तरह जीत हासिल की है। वो न्यूजीलैंड को कुचल देंगे, ठीक उसी तरह जैसे तीन जुलाई को हुई पिछली भिड़ंत में 119 रनों के एक बड़े अंतर से हराया था। सेमीफाइनल में भी उन्होंने 224 रन का लक्ष्य पूरा करने में स्टार्क के नौ ओवरों में 70 रन बनाकर ऑस्ट्रेलियाई खिलाडिय़ों के घमंड को अपनी तलवार से चूर-चूर कर दिया था।

वहीं दूसरी ओर भारत जैसी सशक्त टीम से जीतने के बाद न्यूजीलैंड फाइनल में पहुंचकर खासा खुश नजर आ रहा है, आखिर क्यों नहीं, वो सलामी के पात्र हैं। उनकी मजबूती ट्रेंट बोल्ट, लॉकी फर्गुसन, मिचेल सैंटनर और हेनरी निकोलस की मजबूत गेंदबाजी है। देखा जाए तो इन्हें पूरे विश्वकप टूर्नामेंट में केवल इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया ही संभाल सकी है, अन्य टीमें इन गेंदबाजों की तेजी और घुमाव का सामना नहीं कर सकी हैं। हालांकि कई मौकों पर बल्लेबाजी उनकी कमजोरी बनकर उभरी है। उनके ओपनिंग बल्लेबाज बेहतर योगदान नहीं दे रहे हैं। गप्टिल और मुनरो विफल साबित हुए और उनकी जगह लेने वाले हेनरी भी अपना बेहतर नहीं दे सके। वहीं विलियमसन और टेलर का खेल धीमा है। ऐसी स्थिति में उनकी स्थिर पारी से ही 250 के आसपास स्कोर करने का भरोसा किया जा सकता है।

इंग्लैंड एकदम अलग टीम है, यदि जेसन रॉय खेलते हैं। वो आगे बढ़ते हैं और अपने तेज हाथों से तीस यार्ड की दूरी को तुरंत पार कर देते हैं। रूट और मोर्गन की जोड़ी का खेल तो रनों को झोंकने जैसा है। बटलर, वोक्स और प्लंकेट भी उनका अनुसरण करते हैं। जोफ्रा आर्चर भी अब तक पिटे नहीं है, इसलिए उनकी आक्रामक गेंदबाजी ज्यादा रन नहीं देगी। इसके अलावा वो अपनी शैली से शुरुआती विकेट भी निकालते हैं। प्लंकेट की गेंदबाजी में गति परिर्वतन एक कांटे की तरह है। आदिल राशिद उस समय विकेट लेते हैं, जब बल्लेबाज उनके खिलाफ रन बनाने की कोशिश करता है। इस तरह ये एक सशक्त टीम बनकर उभर रही है।

लार्ड्स की पिच बल्लेबाजी के लिए मददगार है, इसलिए टॉस जीतने वाली टीम को पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लेना होगा। यदि न्यूजीलैंड टॉस जीत जाती है तो 250 के आसपास स्कोर बनाएगी, वह भी तब जब ग्रैंडहोम और नीशाम तेजी से अपने 50 रन पूरे करें। इंग्लैंड भी इस लक्ष्य को तभी पाने में सक्षम होगी, जब भारत की तरह पांच रन पर तीन विकेट की स्थिति न हो।

यदि इंग्लैंड पहले बल्लेबाजी करता है तो 300 से ज्यादा स्कोर करेगा और ये लक्ष्य पहुंच से दूर होगा। वोक्स और आर्चर निश्चित ही शुरुआत में विकेट लेने में तेजी दिखाएंगे, इस तरह वुड और राशिद को आराम हो जाएगा।

मैं आशा करता हूं कि इस बार 3-1 के अंतर के साथ इंग्लैंड अपना पहला वर्ल्ड कप उठाए। अपने आक्रामक मनोरंजक खेल के कारण क्रिकेट के जनक इसके हकदार हैं। इसलिए मोर्गन और उनकी टीम को नमन और ऐसी घड़ी लाने वाले जेसन रॉय को मेरा सलाम। 


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