सचिन और कोहली की तुलना ठीक नहीं : वीरेंद्र सहवाग
वीरेंद्र सहवाग ने कहा है कि सचिन तेंदुलकर की विराट कोहली से तुलना करना ठीक नहीं है।
आगरा। क्रिकेट की दुनिया के बड़े सितारे वीरेंद्र सहवाग ने कहा है कि सचिन तेंदुलकर की विराट कोहली से तुलना करना ठीक नहीं है। साथ ही कहा कि दक्षिण अफ्रीका जा रही भारतीय टीम में टेस्ट मैचों में लगातार 10 सीरीज जीतने का विश्व रिकॉर्ड बनाने की क्षमता है।
सोमवार को जागरण कार्यालय में आए सहवाग ने बातचीत के दौरान याद दिलाया कि ऑस्ट्रेलिया के विजय रथ को भी भारत ने ही रोका था, भारतीय टीम इस बार भी इतिहास रचेगी। वीरू ने कहा कि मैं आज में जीता हूं। सभी को आज में जीना चाहिए और खुश रहना चाहिए। दक्षिण अफ्रीका में ओपनर के रूप में मुरली विजय, शिखर धवन और केएल राहुल में से किस पर दांव खेलना चाहिए, के जवाब में सहवाग ने कहा कि आखिरी मैच में मुरली और धवन की जोड़ी ने धाक जमाई थी। मुझे लगता है कि आगामी सीरीज में इसी जोड़ी पर दांव लगाया जाना चाहिए। इस सवाल पर कि कोटला में विराट जब तिहरे शतक के लिए बढ़ रहे थे, तब आपके दिमाग में यह सवाल था कि वे आपके (319) और करुण नायर (303) के भारतीय रिकॉर्ड को तोड़ सकते हैं। सहवाग ने कहा, रिकॉर्ड तो टूटने के लिए ही बनते हैं। विराट मेरा रिकॉर्ड तोड़ते, तो बहुत खुशी होती। अपनी सबसे बेहतरीन पारी उन्होंने अपने पहले टेस्ट मैच में खेली गई शतकीय पारी को बताया।
सचिन मेरे रोल मॉडल
दैनिक जागरण कार्यालय पहुंचे सहवाग से सवाल पूछने की शुरुआत जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल की छात्रा आस्था ने की। आस्था ने पूछा कि क्रिकेट की ओर रुझान किस कक्षा से और कैसे आ गया। इस पर सहवाग ने जवाब दिया कि क्रिकेट उनका पैशन है। कक्षा दस से इस ओर मुड़ गए और फिर पीछे नहीं देखा। डॉ. एमपीएस की दिशा ने पूछा कि यादगार लम्हा कौन सा है, इस पर वीरू ने बेहिचक टेस्ट मैच में बनाया गया पहले शतक को यादगार बताया। सहवाग का कहना था कि क्रिकेट खेलने की सही उम्र छह वर्ष है। बैलेंस डाइट जरूरी है। हालांकि क्रिकेटर के रूप में निखरने के लिए 15 से 20 साल का वक्त लगता है। मैं भी इसी तरह खिलाड़ी बना। एक सवाल के जवाब में सहवाग ने सचिन को अपना रोल मॉडल बताया। कहा कि वह सचिन के बैटिंग के वीडियो देखते थे और उनसे सीखने का प्रयास करते थे। सचिन से बहुत कुछ सीखा है। छात्र-छात्राओं ने महिला क्रिकेट के अधिक लोकप्रिय न होने पर सवाल पूछा। सहवाग ने कहा कि महिला क्रिकेट का भविष्य बेहतर है। लोगों का नजरिया बदल रहा है।