अरुण जेटली की लीडरशिप में DDCA ने हासिल किया नया मुकाम, BCCI के पूर्व अध्यक्ष ने किया याद
दिवंगत डीडीसीए चेयरमैन और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली की पुण्य तिथि पर बीसीसीआइ के पूर्व अध्यक्ष ने उनसे जुड़ा संस्मरण साझा किया है।
नई दिल्ली, जागरण न्यूज नेटवर्क। यादें रह जाती हैं, याद करने के लिए, और वक्त सब लेकर गुजर जाता है। वक्त का पहिया किस गति से घूमता है यह सिर्फ रिश्तों की कसौटी तय कर सकती है। वो श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स कॉलेज से शुरू हुई दोस्ती वक्त ने आज यादों में तब्दील कर दी है। कॉलेज सहपाठी मैं और स्वर्गीय जेटली जी का क्रिकेट ग्राउंड में एक साथ उतरना, खेलना एवं समय गतिविधियों में बिताना। कॉलेज यूनियन के एक ही कमरे में वह अध्यक्ष और मैं सचिव, विजय गोयल जी संयुक्त सचिव के पद पर हमारी दोस्ती के गवाह थे।
फिर वो वक्त भी आया जब अपने परम मित्र को डीडीसीए में सदस्य, उसके बाद मुख्य संरक्षक, अध्यक्ष और फिर बीसीसीआइ में लाने का सुखद सौभाग्य मुझे मिला। उनके नेतृत्व में डीडीसीए ने नई ऊंचाई छुई। वह डीडीसीए में 2013 तक अध्यक्ष रहे। वक्त ने अपने आप को दोहराया। हम दोनों ने काफी वक्त डीडीसीए में भी एक ही कमरे से अपने कर्तव्यों का निर्वाहन किया। पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल मुशर्रफ डीडीसीए में भारत-पाकिस्तान के मुकाबले के मुख्य अतिथि थे।
मुझे याद है मैच से एक रात पहले फोन आया और मुझे कहा कि सुबह छह बजे फिरोजशाह ग्राउंड पहुंचें। जेटली साहब का व्यक्तित्व ऐसा था कि कोई भी क्रिकेटर निजी जीवन, खेल की कोई भी समस्या हो, उनके समक्ष रख सकता था, स्तर चाहे डीडीसीए हो या फिर बीसीसीआइ क्रिकेट से जुड़ी कोई भी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय समस्या के समाधान के लिए सिर्फ एक नाम था अरुण जेटली जी। कठिन समय चाहे वो डीडीसीए का हो या बीसीसीआइ का, उसके निवारण के लिए वह सदा तत्पर थे।
दिल्ली के प्रथम श्रेणी के खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने में उनका योगदान रहा। समाज के प्रति भी उनके विचार स्पष्ट थे, खासतौर से लड़कियों को लेकर उनका परिदृश्य कुछ यूं था कि लड़कियों को शिक्षा का दहेज देकर सक्षम बनाइए। उनकी पढ़ाई और खेल पर जोर दें। इमरजेंसी में तिहाड़ से छूटने के बाद जब उनसे पूछा गया कि किसे सबसे ज्यादा मिस किया तो जवाब था अपना परिवार और क्रिकेट।
(जैसा सीके खन्ना ने दैनिक जागरण को बताया।)