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नेहरा व भज्जी ने बाहरी चीज से गेंद को चमकाने का विरोध किया, दिए कमाल के तर्क

Nehra and Bhajji opposed polishing the ball with an object आशीष नेहरा ने कहा कि गेंद को रिवर्स स्विंग कराने के लिए थूक और पसीने की जरूरत होती है।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sat, 25 Apr 2020 07:26 PM (IST)Updated: Sat, 25 Apr 2020 07:26 PM (IST)
नेहरा व भज्जी ने बाहरी चीज से गेंद को चमकाने का विरोध किया, दिए कमाल के तर्क
नेहरा व भज्जी ने बाहरी चीज से गेंद को चमकाने का विरोध किया, दिए कमाल के तर्क

नई दिल्ली, प्रेट्र। कोविड 19 महामारी की वजह से गेंद को चमकाने के लिए थूक का इस्तेमाल किए जाने पर पूरी तरह से रोक लगाई जा चुकी है। वहीं आइसीसी अब इस बात पर विचार कर रही है कि गेंद को चमकाने के लिए अंपायर की देखरेख में किसी कृत्रिम पदार्थ का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। अब भारतीय क्रिकेट टीम के पू्र्व तेज गेंदबाज आशीष नेहरा व स्पिनर हरभजन सिंह ने इसका विरोध किया है। उनका मानना है कि गेंद को चमकाने के लिए थूक का इस्तेमाल जरूरी है। 

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आशीष नेहरा ने अपना तर्क देते हुए कहा कि अगर आप गेंद पर पसीना या फिर थूक का इस्तेमाल नहीं करेंगे तो गेंद स्वींग नहीं करेगी। गेंद को स्विंग कराने के लिए ये सबसे अहम चीज है। जब गेंद एक तरफ से खुरज जाती है तो दूसरी तरफ से उस पर पसीना या फिर थूक लगाना पड़ता है। वहीं उन्होंने ये भी कहा कि वैसलीन से तेज गेंदबाजों को मदद नहीं मिलती है। 

नेहरा ने समझाया कि गेंद को स्विंग कराने के लिए थूक क्यों जरूरी है। उन्होंने कहा कि पसीना थूक से ज्यादा भारी होता है, लेकिन जब दोनों मिल जाते हैं तो ज्यादा भारी हो जाते हैं और गेंद को एक तरफ से और भारी कर देते हैं। रिवर्स स्विंग के लिए ये बेहद जरूरी होता है। वैसलीन इसके बाद ही इस्तेमाल की जा सकती है इनसे पहले नहीं क्योंकि ये हल्की होती है। वैसलीन से गेंद चमक तो सकती है, लेकिन इससे गेंद में भारीपन नहीं आ सकता।

हरभजन सिंह ने भी नेहरा की बात के साथ अपनी सहमति जाहिर की और कहा कि थूक ज्यादा भारी होता है और अगर किसी ने मिंट चबाई हो तो ये और ज्यादा भारी हो जाता है क्योंकि इसमें शर्करा होती है। उन्होंने कहा कि जिस कृत्रिम पदार्थ से गेंद को चमकाने की बात हो रही है वो है क्या।  

उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि ‘मिंट’ को मुंह में डाले बिना ही इस्तेमाल किया जाए। शर्करा के थूक में मिलने से यह गेंद को भारी बनाता है। खुरची हुई गेंद भी स्पिनरों के लिए अच्छी होती है जिससे इसे पकड़ना बेहतर होता जबकि चमकती हुई गेंद ऐसा नहीं कर सकती। लेकिन मेरा सवाल है कि अगर आप अनुमति देते हो तो इसकी सीमा क्या होगी। 


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