समीक्षा: क्या यह टीम जारी रखेगी वनडे चैंपियंस का जलवा?
(शिवम् अवस्थी), नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलिया अब भारत आने को तैयार है, हाल में एशेज सीरीज गंवाने के बाद टीम के मनोबल की धज्जियां उड़ चुकी हैं, यह वह कंगारू टीम नहीं होगी जिससे कभी अपनी जमीन पर भी टीम इंडिया कांपती थी, लेकिन हां, वनडे के जरिए ही सही, जल्द शुरू होने वाले एशेज के दूसरे सत्र से पहले कंगारू टीम के पास यही एक मौका होगा अ
(शिवम् अवस्थी), नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलिया अब भारत आने को तैयार है, हाल में एशेज सीरीज गंवाने के बाद टीम के मनोबल की धज्जियां उड़ चुकी हैं, यह वह कंगारू टीम नहीं होगी जिससे कभी अपनी जमीन पर भी टीम इंडिया कांपती थी, लेकिन हां, वनडे के जरिए ही सही, जल्द शुरू होने वाले एशेज के दूसरे सत्र से पहले कंगारू टीम के पास यही एक मौका होगा अपनी खोई लय को वापस हासिल करने का, ऐसे में क्या आग उगलते घायल कंगारुओं के सामने टीम इंडिया अपने चैंपियन के रुतबे को बरकरार रख पाएगी। चयनकर्ताओं द्वारा चुनी गई इस टीम इंडिया में आखिर क्या है खास जो उन्हें दावेदार बनाता है या फिर क्या हैं वो कमजोरियां जो कहीं ना कहीं धौनी के लिए मुसीबत पैदा कर सकती हैं?
1. बल्लेबाजी:
चयनकर्ताओं ने युवराज सिंह की वापसी करते हुए मिडिल ऑर्डर में एक अलग जान फूंकने का काम किया है। सिर्फ युवी के फॉर्म के लिहाज से नहीं, बल्कि उनके अनुभव के लिहाज से भी। युवराज इस टीम के सबसे अनुभवी खिलाड़ी होंगे, ऐसे में उनका ड्रेसिंग रूम में रहना काफी हद तक कप्तान धौनी की सहायता करेगा। उनका फॉर्म इस समय लाजवाब है और वेस्टइंडीज-ए के खिलाफ एक शतक व अर्धशतक, जबकि चैलेंजर ट्रॉफी में एक धुआंधार अर्धशतक ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि कंगारुओं के लिए युवी के रूप में एक बड़ी मुश्किल सामने खड़ी है। युवराज ने दिनेश कार्तिक की जगह ली है, ऐसे में धौनी को अब अपनी फिटनेस का और ज्यादा ध्यान देना होगा क्योंकि विकल्प के तौर पर अंबाती रायुडू ही पार्ट टाइम कीपिंग कर सकते हैं, वो भी अगर वो टॉप 11 में हुए तब। इसके अलावा मुरली विजय का वनडे से बाहर होना चयनकर्ताओं का एक अच्छा कदम है क्योंकि यह समय रायुडू की प्रतिभा को तराशने का है। टीम का टॉप ऑर्डर बेहद मजबूत है, शिखर धवन, विराट कोहली, सुरेश रैना.सभी लय में हैं, लेकिन रोहित का उठता-बैठता फॉर्म एक चिंता का विषय जरूर हो सकता है क्योंकि धवन के साथ कंगारुओं के खिलाफ ओपनिंग की जिम्मेदारी निभाना आसान नहीं होने वाला। इसके अलावा निचले क्रम में अश्विन या फिर युवा खिलाड़ी भुवनेश्वर की बल्लेबाजी भी समय आने पर काम आ सकती है। कुल मिलाकर बल्लेबाजी में भारत मौजूदा कंगारू टीम को चारों खाने चित करने का दमखम रखता है।
2. गेंदबाजी:
चयनकर्ताओं ने गेंदबाजी के क्षेत्र में कुछ बदलाव किए हैं जिसमें इरफान पठान की जगह मोहम्मद शमी और उमेश यादव की जगह जयदेव उनादकट को जगह दी गई है। इन दो बदलावों की बात करें तो इसमें ऐसा कुछ खास नजर नहीं आता जो कि अकेले दम पर कंगारुओं को बैकफुट पर ढकेलने का काम कर दे जो कि एक समय जहीर और हरभजन जैसे गेंदबाज किया करते थे, लेकिन शमी और उनादकट के लिए ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने घर में अच्छा प्रदर्शन कर, आगे के सीजन में चयनकर्ताओं के दिल में बसने का मौका जरूर होगा। यह साफ है कि उमेश यादव को उनकी फिटनेस की वजह से बाहर नहीं निकाला गया है, क्योंकि वह चैलेंजर ट्रॉफी में खेले हैं और पूरी तरह फिट भी हैं, उनको बाहर निकालने का कारण शायद उनका चैंपियंस ट्रॉफी का प्रदर्शन है जहां वह सिर्फ 4 विकेट हासिल करने में सफल रहे थे। वहीं, टीम की गेंदबाजी की असल कमान जिन तीन गेंदबाजों के हाथों में होगी वो हैं इशांत शर्मा, भुवनेश्वर कुमार और रविचंद्रन अश्विन। तीनों खिलाड़ी लगातार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल रहे हैं और उन्हें अंदाजा रहेगा कि इस चैंपियन टीम को रफ्तार और फिरकी के दम पर कब, कैसे और कहां जकड़ना है। टीम में अमित मिश्रा और विनय कुमार के रूप में दो ऐसे गेंदबाज भी होंगे जिनकी भूमिका काफी हद तक धौनी की रोटेशन पॉलिसी पर निर्भर करेगी क्योंकि टी इंडिया में कई बार कुछ खिलाड़ी (जैसे हाल में परवेज रसूल) पूरा टूर्नामेंट बेंच पर ही गुजार देते हैं। जिंबॉब्वे दौरे पर अमित मिश्रा ने शानदार प्रदर्शन किया था और 5 मैचों में 4.40 की इकॉनमी रेट से 18 विकेट झटके थे, ऐसे में उस समय कप्तानी से दूर रांची में बैठे धौनी क्या अमित मिश्रा को लेकर उस दौरान रहे कप्तान कोहली की राय लेंगे, यह एक बड़ा सवाल रहेगा।
3. ट्रंप कार्ड:
टीम के ट्रंप कार्ड एक बार फिर रवींद्र जडेजा ही रहेंगे। धौनी का यह पत्ता बहुत कम ही चूकता देखा गया है। शुरुआती ओवरों में प्रयोग करना हो या फिर सीधे 30 ओवर के बाद, जडेजा अपनी बेहतरीन गेंदबाजी से विरोधी बल्लेबाजों के लिए हमेशा मुसीबत बने हैं। चैंपियंस ट्रॉफी में भारत की ऐतिहासिक खिताबी जीत में धौनी का ट्रंप कार्ड यही खिलाड़ी था, जडेजा ने उस टूर्नामेंट के दौरान इंग्लैंड की पिचों पर सभी को चौंकाते हुए 5 मैचों में 3.75 की औसत से सर्वाधिक 12 विकेट झटके थे और उनका बेस्ट रहा था 36 रन देकर 5 विकेट। इसके अलावा मिडिल ऑर्डर में उपयोगी बल्लेबाजी भी इस ऑलराउंडर की खूबी है और इस क्षेत्र में भी उनका प्रदर्शन लाजवाब रहा है। गेंदबाजों की आइसीसी रैंकिंग में इस समय वह संयुक्त तौर पर सुनील नरेन के साथ पहले स्थान पर हैं जबकि ऑलराउंडर की आइसीसी रैंकिंग्स में वह इस समय चौथे स्थान पर हैं। कंगारुओं के लिए इस खिलाड़ी से पार पाना सबसे मुश्किल काम होगा।
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