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अजिंक्य रहाणे ने सुनाई अपने संघर्ष की कहानी, कहा- मां किट लेकर 8 किलोमीटर पैदल चलती थीं

Ajinkya Rahane struggle अजिंक्य रहाणे ने बताया कि वो अपनी मां की वजह से क्रिकेटर बने हैं। उनका ये सपना पूरा करने में उनकी मां का हाथ है।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sun, 01 Mar 2020 05:48 PM (IST)Updated: Mon, 02 Mar 2020 12:04 AM (IST)
अजिंक्य रहाणे ने सुनाई अपने संघर्ष की कहानी, कहा- मां किट लेकर 8 किलोमीटर पैदल चलती थीं
अजिंक्य रहाणे ने सुनाई अपने संघर्ष की कहानी, कहा- मां किट लेकर 8 किलोमीटर पैदल चलती थीं

नई दिल्ली, जेएनएन। Ajinkya Rahane struggle: भारतीय क्रकेट टीम में ऐसे खिलाड़ियों की कोई कमी नहीं है जिन्होंने कड़े संघर्ष के बाद अपना मुकाम हासिल किया। टीम इंडिया के बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे के बारे में तो सब जानते हैं, लेकिन उनके संघर्ष के बारे में किसी को पता नहीं था। अब खुद रहाणे ने अपनी जिंदगी के मुश्किल दिनों के बारे में बात की और बताया कि उन्होंने किस तरह संघर्ष किया था। 

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इंडिया टूडे से बात करते हुए रहाणे ने बताया कि वो अपनी मां की वजह से क्रिकेटर बने हैं। उनका ये सपना पूरा करने में उनकी मां का हाथ है। उन्होंने बताया कि उनकी ट्रेनिंग के लिए उनकी मां आठ किलोमीटर पैदल चलती थी क्योंकि उनका परिवार रिक्शा का खर्च उठाने में सामर्थ नहीं था। उन्होंने बताया कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी और वो ट्रेनिंग के लिए अपनी माता के साथ ही जाते थे। उनकी मां एक हाथ में उनके छोटे भाई को और दूसरे हाथ में उनका किट बैग उठाकर लगभग आठ किलोमीटर तक पैदल चलती थी। परिवार के हालात ज्यादा अच्छे नहीं थे तो इसकी वजह से वो सप्ताह में सिर्फ एक बार ही मुश्किल से रिक्शे से सफर कर पाते थे।

अजिंक्य रहाणे ने बताया कि वो कई बार इतना अधिक थक जाते थे कि अपनी मां से रिक्शे पर चलने की जिद करते थे, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिल पाता था। इस वजह से वो सप्ताह में सिर्फ एक बार ही रिक्शे का इस्तेमाल करते थे। रहाणे ने बताया कि वो अपने माता-पिता की वजह से ही आज यहां पर हैं और उनके लिए आज भी वही पुराने रहाणे हैं। 

रहाणे ने अपने ट्रेन के सफर के बारे में बात करते हुए कहा कि जब वो सात साल के थे तब उनके पिता ने उन्हें पहले दिन डोंबिवली से सीएसटी तक उन्हें छोड़ा और फिर काम पर गए। पर अगले ही दिन उनके पिता ने उन्हें अकेले सफर करने को कहा। रहाणे के पिता उन्हें डोंबिवली स्टेशन छोड़ देते थे जहां को वो ट्रेन लेते थे और ट्रेनिंग सेंटर तक जाते थे। बाद में रहाणे को पता चला कि उनके पिता पिछले डब्बे में रहते थे और ये देखते थे कि वो अकेले सफर कर सकते हैं या नहीं। रहाणे ने बताया कि मुझे अपने परिवार की हर बातें, उनका त्याग सबकुछ याद है जो उनके लिए किया। 


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