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पुलिस जवान भर रहे स्कूली बच्चों में देशभक्ति का जज्बा, आर्थिक रूप से कमजोर 300 बच्चों को दी जा रही 'कमांडो ट्रेनिंग'

भारत माता की जय वंदे मातरम सहित देशभक्ति के नारे इन दिनों रायपुर में गूंज रहे हैं। छत्तीसगढ़ के पुलिसकर्मियों की सामाजिक संस्था श्री पुलिस परिवार संगठन द्वारा गरीब बच्चों के लिए संचालित श्री प्रयास स्कूल में पिछले एक महीने से कमांडो ट्रेनिंग शुरू हो चुकी है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Wed, 20 Oct 2021 06:41 PM (IST)Updated: Wed, 20 Oct 2021 06:41 PM (IST)
पुलिस जवान भर रहे स्कूली बच्चों में देशभक्ति का जज्बा, आर्थिक रूप से कमजोर 300 बच्चों को दी जा रही 'कमांडो ट्रेनिंग'
रायपुर के श्री प्रयास स्कूल में ट्रेनिंग लेते बच्चे।

दीपक शुक्ला, रायपुर! भारत माता की जय, वंदे मातरम सहित देशभक्ति के नारे इन दिनों रायपुर में गूंज रहे हैं। छत्तीसगढ़ के पुलिसकर्मियों की सामाजिक संस्था श्री पुलिस परिवार संगठन द्वारा गरीब बच्चों के लिए संचालित श्री प्रयास स्कूल में पिछले एक महीने से 'कमांडो ट्रेनिंग' शुरू हो चुकी है। राजधानी रायपुर के टिकरापारा थाना क्षेत्र स्थित भैरव नगर में 300 बच्चों को प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी पुलिस के जवानों और अधिकारियों ने खुद संभाली है। इन बच्चों के अंदर देशभक्ति का जज्बा देखते ही बनता है। पुलिस परिवार द्वारा किए जा रहे इस काम को देखते हुए बच्चों में भी देश सेवा की एक अलग चाहत जगी है।

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तीन साल पहले शुरू हुआ स्कूल:

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 से पुलिसकर्मियों और अधिकारियों के आर्थिक सहयोग से संचालित इस स्कूल में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। चौथी से 12वीं कक्षा तक संचालित स्कूल में फिलहाल 700 से अधिक बच्चे हैं। यहां पुलिस के अधिकारी और जवान समय निकाल कर बच्चों को बच्चों को पढ़ाने पहुंचते हैं। यहां स्कूल की शिक्षा के साथ बच्चों को खेल गतिविधि कराई जाती हैैं और कंप्यूटर ट्रेनिंग भी दी जाती है।

मुख्यमंत्री ने दिए 10 लाख रुपये और जमीन :

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जरूरी सुविधाओं के विकास के लिए इसी वर्ष राखी बांधने पहुंची स्कूल की छात्राओं को 10 लाख रुपये का अनुदान दिया। इसके अलावा स्कूल के विस्तार के डेढ़ एकड़ जमीन आवंटित की है।

प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी :

बच्चों को ट्रेनिंग दे रहे आरक्षक महेश नेताम ने बताया कि एक महीने से कमांडो ट्रेनिंग शुरू की गई है। इसमें 10 से 18 वर्ष के बच्चों को सुबह और शाम दो-दो घंटे ट्रेनिंग दी जाती है। उन्हें अनुशासन के गुर भी सिखाए जा रहे। इसके अलावा बच्चों को पढ़ाई भी करवाई जाती है। 12वीं के छात्रों को जिले में तैनात भारतीय पुलिस सेवा (आइपीएस) अधिकारी बीच-बीच में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी करवाते हैं। बच्चों का मार्गदर्शन करते हैं।

कुछ घुमंतू बच्चे भी हैं यहां :

जानकारी के अनुसार कुछ ऐसे बच्चे हैं जो अनाथ हैं। छोटी-छोटी जरूरत के लिए कभी चोरी करते थे, लेकिन आज उनके हाथ कंप्यूटर के की बोर्ड पर दौड़ रहे हैं। उनके जीवन को पुलिस परिवार ने बदल दिया है।


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