जमाना अब रेड कॉरीडोर का नहीं, रेड कॉरपेट का है : रमन सिंह
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ड़ा. रमन सिंह ने कहा कि नक्सलियों के 'रेड कॉरीडोर" का जमाना अब दूर की बात हो गई है।
नई दिल्ली, रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ड़ा. रमन सिंह ने कहा कि नक्सलियों के "रेड कॉरीडोर" का जमाना अब दूर की बात हो गई है। आज जमाना है सिर्फ विकास और निवेश के रेड कॉरीडोर का। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अब नक्सलियों से खौफजदा होने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि पहले जो क्षेत्र नक्सलबाद से प्रभावित थे, आज वहां तेजी से विकास पहुंच रहा है।
ताजा उदाहरण बस्तर के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में स्टील प्लांट की स्थापना सहित कई नए प्रोजेक्टों का शुरूआत है। मुख्यमंत्री ड़ा. सिंह ने नईदिल्ली के एक होटल में आयोजित ग्लोबल इंवेस्टर मीट को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने इस दौरान देश और विदेश के तमाम निवेशकों संबोधित किया और कहा कि अब किसी को छत्तीसगढ़ की नक्सल समस्या से डरने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने निवेशकों से कहा कि वह बेधड़क होकर छत्तीसगढ़ आए और प्रदेश में मौजूद निवेशक की बेहतर संभावनाओं को देखे। एक सवाल के जबाव में मुख्यमंत्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ में निवेश को लेकर दुनिया के जिन देशों ने रुचि दिखाई है, उनमें चीन के साथ जापान,कोरिया आदि देश शामिल है।
निवेश को लेकर अब दूताबासों के सीधी बात करेंगे प्रदेश के अधिकारी
मुख्यमंत्री ड़ा सिंह ने एक सवाल के जबाव में बताया कि प्रदेश में निवेश को लेकर प्रदेश के अधिकारी अब नईदिल्ली में स्थित प्रमुख देशों के दूतावासों से सीधी बात करेंगे। इस दौैरान वह उन्हें प्रदेश में निवेश की संभावनाओं के साथ ही राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं से भी रुबरू कराएंगे।
सुरक्षा की गारंटी भी देंगे। नक्सलियों को नहीं पसंद थी बस्तर में टाटा की आमद, वर्ना उस क्षेत्र में पीएसयू के कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं। मुख्यमंत्री ड़ा सिंह ने बस्तर से टाटा कंपनी के हटने के सवाल पर कहा कि नक्सलियों का बस्तर में टाटा की आमद को लेकर कुछ अलग ही दिक्कत थी। अन्यथा वही आसपास के क्षेत्र में पीएसयू के कई प्रोजेक्ट चल रहे है।नक्सलियों को उन प्रोजेक्टों को लेकर कोई आपत्ति नहीं है।
ऐसे में सरकार उस क्षेत्र में अब सिर्फ पीएसयू को भी लाने पर जोर दे रही है।उन्होंने कहा कि पीएसयू कंपनियों को लेकर नक्सलियां को कोई विरोध नहीं है। एक सवाल के जबाब में उन्होंने कहा कि टाटा को राज्य सरकार ने पूरा सपोर्ट किया। फिर भी वह पीछे हट गए।