रायपुरः सेंसर सिस्टम से घटायी बिजली की खपत, बिजली विभाग को मुनाफा
हैदराबाद से लौटकर पार्षद कुकरेजा ने अपने वार्ड के सतनामीपारा और आनंद नगर में सेंसर सिस्टम लगाने का फैसला किया।
बिजली की बचत के लिए हैदराबाद की तर्ज पर रायपुर का एक कोना सेंसर पद्धति से काम करने लगा है। स्ट्रीट लाइट में अनावश्यक बिजली की खपत रोकने के लिए पार्षद अजीत कुकरेजा ने सेंसर सिस्टम लगवाया है। 140 स्ट्रीट लाइट से बिजली विभाग को श्रम व्यय खर्च करने में फायदा तो हो ही रहा है, बल्कि समय पर बिजली व्यवस्था संचालित हो रही है।
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हैदराबाद से लौटकर पार्षद कुकरेजा ने अपने वार्ड के सतनामीपारा और आनंद नगर में सेंसर सिस्टम लगाने का फैसला किया। आज साल भर से स्ट्रीट लाइट समय से चालू और बंद होकर बिजली विभाग को मुनाफा दे रहे हैं।
पार्षद कुकरेजा का कहना है कि आम तौर पर बिजली विभाग के कर्मचारियों की लेटलतीफी की वजह से परेशानी होती थी। कई बार ऐसा होता था, जब कर्मचारी नहीं पहुंचने की वजह से क्षेत्र अंधेरे में डूबा रहता था। ऑन-ऑफ मैन्युअल सिस्टम की जवाबदारी संभालने की वजह से परेशानी होती थी। समय पर बटन नहीं दबाने की वजह से अनावश्यक दिन में भी लाइट नहीं बुझती थी, इस वजह से अतिरिक्त बिजली व्यय होता था।
सेंसर बोर्ड लगाने के बाद से सब कुछ कंट्रोल में चल रहा है, बल्कि अंधेरा होते ही स्ट्रीट से रोशनी मिल रही है। वहीं, उजाला होते ही सिस्टम खुद बंद हो जाता है। मैन्युअल तरीके से सिस्टम चलाने की व्यवस्था खत्म हो गई है। पार्षद कुकरेजा का कहना है कि अगर यह सिस्टम पूरे शहर में लागू होता तो अनावश्यक बिजली की खपत कम हो पाती।
ऐसे काम करता है सेंसर फॉर्मूला
पार्षद कुकरेजा कहना है कि उन्होंने जो तकनीक 140 स्ट्रीट लाइट में उपयोग की है, उसे संचालित करना बेहद आसान है। सभी स्ट्रीट लाइट के लिए एक सेंसर सिस्टम लगा हुआ है, जो दिन और रात होने पर लाइट को बंद-चालू कर देता है। अगर अंधेरा हुआ, तो सारे बल्ब प्रकाशित हो उठेंगे। सेंसर सिस्टम मैनुअल स्विच बटन से कनेक्ट है, जो अपने हिसाब से काम करता है। इसकी जानकारी मोबाइल के जरिए भी मिल जाती है।
करोड़ों रुपये की बचत हैदराबाद में
बड़े शहरों में सेंसर तकनीक कारगर है। पार्षद अजीत कुकरेजा ने बताया कि जब वे हैदराबाद गए थे, तब इस तकनीक की जानकारी हुई थी। रायपुर लौटने के बाद अपने वार्ड में प्रयोग शुरू किया। पहले 70 सड़कों की स्ट्रीट लाइट में इस्तेमाल किया, बाद में दूसरी जगह की यूनिट के लिए भी तकनीक शामिल की।
उन्होंने कहा कि अगर सेंसर तकनीक हर जगह ऑपरेट हो, तो सालभर में करोड़ों रुपये की बिजली खपत कम होगी। मैन्युअल तरीके से कई हिस्से छूट जाते हैं, जहां समय पर पावर सप्लाई का सिस्टम बंद-चालू किया जा सके। दिन के उजाले में जलने वाली बत्तियों से नुकसान होता है।
खर्च केवल 18 हजार रुपये
सेंसर पद्धति से सिस्टम लगाने का खर्च मात्र 18 हजार रुपये है। एक सिस्टम से 70 सड़कों की स्ट्रीट लाइट में पावर सप्लाई सिस्टम कंट्रोल करना आसान है। बिजली की खपत रोकने के लिए नए सिस्टम की कीमत बहुत ही कम है। सेंसर तकनीक का मेंटेनेंस भी सरल है। किसी भी हिस्से में इसका इस्तेमाल करना आसान है। ऑपरेट करने के लिए एक्सपर्ट की जरूरत नहीं होती।