रायपुरः सरकारी अस्पताल में बना दी 'शर्म की दीवार'
डॉ. चौधरी का कहना है कि पूरे अस्पताल की रोजाना सफाई होती है, लेकिन दीवारें साल में एक बार ही पेंट हो पाती हैं। लोगों की गलती से दीवारें सबसे ज्यादा खराब होती हैं। गंदगी से बैक्टीरिया, वायरस जन्म लेते हैं। जिससे अच्छे भले लोग भी बीमार पड़ सकते हैं।
अभी तक आपने 'नेकी की दीवार' के बारे में सुना होगा। रायपुर स्मार्ट सिटी ने गांधी-नेहरू उद्यान और अनुपम गार्डन में नेकी की दीवार बनवाई। जहां लोग अपने गैर जरूरी सामानों को रखकर चले जाते हैं। इन चीजों को जरूरतमंद लोग ले जाते हैं। यह कॉन्सेप्ट इराक से आया और दुनियाभर में मानवता की सेवा के लिए कारगर साबित हो रहा है, डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल में शर्म की दीवार (सेम वॉल) बनाई गई है। जहां अस्पताल में गंदगी करने वालों की तस्वीर चस्पा की जाती है, ताकि लोग इनके बुरे कामों से सबक लेकर गलती न दोहराएं।
यह कांसेप्ट अस्पताल की दीवारों पर पान, गुटखा खाकर थूकने वालों को रोकने के लिए है, जिनसे अस्पताल की न सिर्फ दीवारें दागदार हो रही थीं, बल्कि इससे यहां आने वाले लोगों पर भी बुरा असर पड़ रहा था। जनवरी 2018 से इसकी शुरुआत हुई।
अस्पताल के ओपीडी गेट के पास ही एक बड़ा बोर्ड लगाया गया है, जिसमें एक नहीं बल्कि 50 से अधिक तस्वीरें लग चुकी हैं। अस्पताल अधीक्षक डॉ. विवेक चौधरी की सोच से यह कॉन्सेप्ट यहां शुरू हुआ। उन्होंने बताया कि चर्चा के दौरान यह कांसेप्ट निकला। वे कहते हैं कि सात महीने में सुधार हुआ है, लेकिन सोच बदलने की जरुरत है।
गंदगी से फैलते हैं बैक्टीरिया-वायरस
डॉ. चौधरी का कहना है कि पूरे अस्पताल की रोजाना सफाई होती है, लेकिन दीवारें साल में एक बार ही पेंट हो पाती हैं। लोगों की गलती से दीवारें सबसे ज्यादा खराब होती हैं। गंदगी से बैक्टीरिया, वायरस जन्म लेते हैं। जिससे अच्छे भले लोग भी बीमार पड़ सकते हैं।
दीवारों के कोनों पर रखे गमले
देखने में यह आता है कि आने-जाने वाले लोग कोना ढूंढकर गुटखा-पान थूकते हैं। इसलिए अस्पताल प्रबंधन ने ऐसे सभी स्थानों पर गमले रखवा दिए, ताकि आदत में सुधार हो। इससे भी फर्क पड़ रहा है।
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