रायपुर : युवाओं को नशे से उबार रहा है यह पुलिस अधिकारी
पुलिस सेवा के दौरान शशिमोहन सिंह कई छत्तीसगढ़ी, भोजपुरी फिल्मों में अभिनय करके अभिनय का लोहा मनवा चुके हैं।
छत्तीसगढ़ में एक ऐसे पुलिस अधिकारी हैं, जिन्होंने खाकी वर्दी पहनी है कानून व्यवस्था को सुधारने के लिए, लेकिन वह समाज में फैली कुरीतियों को भी दूर करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं । कड़क मिजाज के पुलिस अधिकारी शशिमोहन सिंह कला-संस्कृति के माध्यम से पिछले कई साल से नशाखोरी के दलदल में फंसे युवाओं को अपराध के रास्ते से दूर कर रहे हैं। उन्होंने अंधविश्वास, जादूटोना, महिलाओं पर घरेलू हिंसा, भ्रूण हत्या, बच्चों के अपहरण, उन्हें भिखारी बनाने जैसे अपराध के खिलाफ मुहिम चली रखी है।
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वर्तमान में पुलिस मुख्यालय की तकनीकी शाखा में पदस्थ एआइजी शशिमोहन सिंह समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने के साथ ही आम जनता में जागरूकता लाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। पुलिस विभाग में व्यस्त ड्यूटी के बाद भी समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी कभी कम नहीं हुई।
पुलिस में रहते हुए सामाजिक सरोकार रखते हुए कला और संस्कृति के जरिए जनचेतना लाने के लिए उनका हरसंभव प्रयास रहता है। नुक्कड़ नाटक, स्टेज शो, शार्ट फिल्मों के माध्यम से समाज में बदलाव लाने के लिए उन्होंने कई संदेश दिए हैं।
संदेश देते नाटक और शार्ट फिल्में
महिला घरेलू हिंसा पर बनी उनकी शॉर्ट फिल्म यातना, भ्रूण हत्या पर मर्मस्पर्शी कहानी आशा, बच्चों का अपहरण कर उन्हे भिखारी बनाने की कहानी तलाश, साइबर ठगी को लेकर बनी वन टू का फोर, जादूटोने पर प्रहार करती गोमती, नशे से होने वाले दुष्परिणाम को बताते नाटक सिसकियां में उन्होंने समाज में व्यापत परेशानियों को दिखाया है।
छत्तीसगढ़ की ज्वलंत नक्सलवाद समस्या पर नाटक मुखबिर के माध्यम से यह संदेश देने का प्रयास है कि नक्सली किस प्रकार से युवाओं को बरगला कर हिंसक रास्ते पर लाकर झूठे सपने दिखाते हैं और हिंसा के रास्ते में ले जाते हैं।
यातना को बेस्ट शॉर्ट फिल्म का अवार्ड
शार्ट फिल्म यातना को पिछले वर्ष विधिक साक्षरता के लिए राष्ट्रीय शॉर्ट फिल्म प्रतियोगिता में बेस्ट फिल्म का अवार्ड दिया गया है। वे कहते हैं- कला-संस्कृति के जरिए समाज में बदलाव लाने की उनकी यात्रा आगे भी जारी रहेगी।
जगह जगह दिखाई जाती हैं
शशिमोहन सिंह ने बताया कि ऐसे ही सामाजिक सरोकार से जुड़ी और कम्युनिटिंग पुलिसिंग के तहत संदेश परक फिल्म यू-ट्यूब, व्हाटसअप प्रोजेक्टर के माध्यम स्कूल-कॉलेज, ग्राम पंचायतों में दिखाई जा रही है। रोचक ढंग से संदेशों की प्रस्तुति का व्यापक असर हो रहा है। कहानी-पात्रों के माध्यम से समस्याओं का निदान भी बताया जाता है।
कॉलर से साझा न करें बैंक से जुड़ी जानकारी
साइबर क्राइम को समझाने के डाक्यूमेंट्री फिल्म वन टू का फोर में युवाओं को साइबर अपराध से जुड़ी जानकारी दी जा रही है। इसमें बताया गया कि किस तरह से एटीएम का पिन नंबर और अन्य जानकारी हासिल कर कॉल करने वाला शातिर ठग आपके खाते से रकम उड़ाकर खाता खाली कर देता है। अंत में यह संदेश भी दिया जाता है कि बैंक से जुड़ी किसी प्रकार की जानकारी अज्ञात के साथ शेयर न करें।
फेक प्रोफाइल के झांसे में न आएं
शशिमोहन के मुताबिक आजकल लोग झांसा देने के लिए फेसबुक में फेक प्रोफाइल बनाते हैं। युवती की फोटो लगाकर युवाओं को रिझाने का काम चल रहा है। झांसे में आने के बाद युवकों को ब्लैकमेल किया जा रहा है। इससे भी युवाओं को बचने की जरूरत है। इसी तरह साइबर से जुड़े अन्य अपराध भी हैं। संबंधित फिल्म दिखाकर लोगों को समझाने और अलर्ट करने की कोशिश की जा रही है।
समाज की भलाई
पुलिस का खौफ हमेशा गुंडों में रहता है। समाज को संचालित भी पुलिस ही करती है। हमारा काम रोकने-टोकने का जरूर है, लेकिन ये काम समाज की भलाई के लिए ही होता है। पुरुष होने के कारण कोई महिला पर अत्याचार नहीं कर सकता। छात्राओं को सेल्फ डिफेंस, मोरल एजुकेशन, स्वच्छता का संदेश देती शार्ट फिल्में, नुक्कड़ नाटक आदि ने शशिमोहन सिंह को रील से लेकर रियल लाइफ का हीरो बना दिया है।
मनवा चुके हैं अभिनय का लोहा
पुलिस सेवा के दौरान शशिमोहन सिंह कई छत्तीसगढ़ी, भोजपुरी फिल्मों में अभिनय करके अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके हैं। कई शॉर्ट फिल्मों की कहानी लिखने के साथ उसमें अभिनय भी उन्होंने किया है। उनका कहना है कि समाज में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से शॉर्ट फिल्मों का निर्माण वह कर रहे हैं।
-शशिमोहन सिंह (एआइजी )
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