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रायपुर : पढ़ाई के लिए खुले द्वार, सुविधाएं बढ़ने से रास्ता होगा आसान

रायपुर में प्राइमरी-मिडिल और हायर सेकंडरी स्तर पर ड्रापआउट की दर महज दो से तीन प्रतिशत है।

By Krishan KumarEdited By: Published: Sat, 28 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 28 Jul 2018 04:13 PM (IST)
रायपुर : पढ़ाई के लिए खुले द्वार, सुविधाएं बढ़ने से रास्ता होगा आसान

संदीप तिवारी, रायपुर 

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राजधानी में स्कूल शिक्षा में लगातार विकास हुआ है। इसी तरह उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज बढ़े हैं। तकनीकी शिक्षा समेत इंजीनियरिंग में एनआईटी, ट्रिपल आईटी, मेडिकल में एम्स, प्रबंधन में आईआईएम, होटल मैनेजमेंट संस्थान, प्लास्टिक इंस्टीट्यूट ने शहर में तकनीकी शिक्षा में नये द्वार खोले हैं, लेकिन अभी भी ऐसी कई जरूरतें हैं, जिन्हें पूरा किया जाये तो शिक्षण व्यवस्था को बेहतर किया जा सकता है।

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मसलन स्कूली शिक्षा में अंग्रेजी, स्मार्ट क्लासेस, अनुभवी शिक्षक, लैब, लाइब्रेरी को मजबूत करने की दरकार है। न सिर्फ स्कूल शिक्षा, बल्कि उच्च और तकनीकी शिक्षा में भी फैकल्टी की कमी दूर करके शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए काम करने की जरूरत महसूस की जा रही है।

स्कूल शिक्षा में बढ़े कदम, अंग्रेजी करनी पड़ेगी मजबूत
स्कूली शिक्षा में बेहतर वातावरण विकसित करने के लिए रायपुर के जिला शिक्षा अधिकारी एएन बंजारा ने 100 स्कूलों को स्मार्ट स्कूल बनाया है। सीमित संसाधनों में कुछ स्कूल बेहतर कर रहे हैं। इनमें देखें तो राजधानी के दानी गर्ल्स स्कूल में लड़कियों का रिजल्ट दसवीं-बारहवीं में हर साल 80 फीसद से ऊपर रहता है।

इस स्कूल में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए स्कूल की जनभागीदारी समिति के फंड से शिक्षकों की नियुक्ति कर पढ़ाई करवाई जा रही है। इन स्कूलों को स्मार्ट क्लास की सुविधा मिल रही है लेकिन अभी भी स्कूलों में भरपूर इंटरनेट की सुविधा बढ़ानी होगी।

आवासीय विद्यालयों में रायपुर में दानी गर्ल्स हायर सेकंडरी स्कूल बालिकाओं के लिए सहारा बना हुआ है। रायपुर से लगे गांवों के बच्चियों के लिए यह स्कूल बेहतर प्रतिसाद दे रहा है। ऐसे ही पीजी उमाठे शांतिनगर स्कूल बालिकाओं के लिए बेहतर है, यहां आवासीय सुविधा को बढ़ाया जाए तो बालिकाओं के शिक्षा स्तर में सुधार हो सकता है।

रायपुर में प्राइमरी-मिडिल और हाई और हायर सेकंडरी स्तर पर ड्रापआउट की दर महज दो से तीन प्रतिशत है। इसे जीरो करने के लिए जिला प्रशासन मिशन 100 का प्लान चला रहा है। इसके तहत ग्रामीण स्तर पर सामाजिक भागीदारी के साथ लोगों को ड्रापआउट रोकने के लिए जोड़ा जा रहा है।

कोचिंग की सुविधा हो तो ज्यादा बेहतर
रायपुर में तीन केंद्रीय विद्यालय, दो प्रयास विद्यालय, 100 स्मार्ट स्कूल, सड्डू और डूंडा में हॉस्टल, सेंट्रल लाइब्रेरी, 59 हाईस्कूल, 131 हायर सेकंडरी, प्राइमरी-मिडिल समेत 2500 स्कूल संचालित हो रहे हैं। इनमें प्रोफेसर जेएन पाण्डेय स्कूल, सप्रे शाला स्कूल, सेंट पॉल स्कूल, राजकुमार कॉलेज, रेडियंट द वे, कांगेर वैली एकेडमी, कृष्णा पब्लिक स्कूल, सेंट जेवियर स्कूल, सालेम स्कूल ऐसे हैं, जहां से बच्चे बेहतर निकल रहे हैं।

ऐसे में शहर में खासकर कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए कोचिंग की पर्याप्त व्यवस्था करने के लिए जोर देना होगा। ताकि बच्चे स्कूल स्तर पर है, राष्ट्रीय साधन सह छात्रवृत्ति परीक्षा, नेशनल टैलेंट सर्च एग्जाम, नीट, जेईई मेंस, जेईई एडवांस जैसी परीक्षाओं में बेहतर परफार्मेंस कर सकें।

लैब और लाइब्रेरी मजबूत
स्कूली स्तर पर केंद्र सरकार के राष्ट्रीय अविष्कार अभियान को बढ़ावा दिया जा रहा है। अटल ट्रिंकिंग लैब से कुछ हायर सेकंडरी स्कूलों में उच्च स्तर का लैब स्थापित किया गया है। शहर में प्रोफेसर जेएन पाण्डेय स्कूल और दानी गर्ल्स स्कूल की हालत बेहतर हो चुकी है। अब अन्य स्कूलों में भी लैब को मजबूत करने की जरूरत है। शंकर नगर में राज्य स्तरीय स्कूली बच्चों के लिए सेंट्रल लाइब्रेरी बनकर तैयार है। इसी तरह स्कूलों में लाइब्रेरी की व्यवस्था की जा रही है।

अंग्रेजी होगी फर्राटेदार
राज्य सरकार ने इसी साल से अंग्रेजी माध्यम के आठ स्कूल नये स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम बनाया है। यहां बच्चों की संख्या बढ़ गई है। इसके अलावा वोकेशनल कोर्सेस की भी शुरूआत हुई है।

उच्च शिक्षा में कॉलेज बढ़े, अब सीट और शिक्षक बढ़ाने पर हो जोर
रायपुर में निजी और सरकारी मिलाकर 35 कॉलेज हैं। इसी साल राजधानी समेत जिले में तीन नये कॉलेज भाटागांव, समोदा, गुढ़ियारी और बीरगांव में नया कॉलेज खोला गया है। इनमें हर संकाय के लिए 90-90 सीटें हैं। अभी प्रोफेसर्स की भर्ती नहीं हो पाई है। ऐसे में दूसरे कॉलेजों के प्रोफेसर्स यहां पढ़ाएंगे। कॉलेज बढ़ने के साथ-साथ यदि इन कॉलेजों में सीट और शिक्षकों की संख्या बढ़ाई जाए तो युवाओं को उच्च शिक्षा में बेहतर अवसर मिले।

खासकर रायपुर में लॉ और मैनेजमेंट समेत प्रोफेशसनल्स कोर्सेस को बढ़ावा देने की जरूरत है। मेक इन इंडिया के तर्ज पर युवाओं को सीधे रोजगार से जोड़ने के लिए कॉलेज स्तर पर वोकेशनल कोर्सेस का अभी ग्राफ उतना मजबूत नहीं हो पाया है।

हॉस्टल सुविधा में बढ़ोतरी की अपेक्षा
उपरवारा नया रायपुर में 180 सीट के साथ 2003 से हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी संचालित है। बीए एलएलबी के आनर्स के 180, एलएलएम के 45 और पीएचडी के लिए 30 सीटें हैं। यहां हॉस्टल में सीट कम होने के कारण पढ़ाई करने वाले युवाओं के लिए भी कम सीट मिल पा रही है।

बता दें कि सेजबहार रायपुर में 210 सीट के साथ मैनेजमेंट पढ़ने के लिए साल 2010 में आईआईएम स्थापित किया गया। भनपुरी में देश का 28वां सीपेट यानी सेंटर फॉर प्लास्टिक इंस्टीट्यूट और होटल मैनेजमेंट के लिए नया रायपुर के उपरवारा में संस्थान खोला गया है। इन जगहों पर नये डिप्लोमा कोर्सेस की भारी दरकार है।

इसी तरह पंडित रविशंकर शुक्ल विवि में शिक्षकों की संख्या बढ़ाने से उच्च शिक्षा में रिसर्च को बढ़ावा करने के लिए पहल की जा सकती है। सामान्य पढ़ाई अलावा सोशल मीडिया के जमाने में पत्रकारिता विवि में में कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विवि ने अपनी अहम पहचान बनाई है। यहां रेडियो स्टेशन छात्र-छात्राओं के स्किल को संवार रहा है। ऐसे में यहां भी प्रोफेसर की कमी न खले इसके लिए सुनियोजित तरीके से कैरियर एडवांस्ड स्कीम के तहत शिक्षकों की भर्ती के लिए रास्ते खुले हैं।

कृषि विवि में कॉलेज बढ़ाने पर बढ़ेगा दायरा
मेडिकल में आयुष विवि बेहतर नतीजा दे रहा है, लेकिन कृषि में इंदिरा गांधी कृषि विवि में एक कॉलेज है। रायपुर में कृषि कॉलेजों की संख्या बढ़ाने की दरकार है। इंदिरा गांधी कृषि विवि परिसर के कॉलेज में 175 सीट , हार्टीकल्चर कॉलेज माना में 45 सीट, कामधेनु विवि के अंतर्गत रायपुर के सेंट्रल इंडिया का एकमात्र डेयरी कॉलेज में 60 सीटें हैं। यहां बायोकंट्रोल लैब, एग्रीकल्चर का फैब्रिक सेंटर, स्वाइल हेल्थ सेंटर प्रमुख हैं।

इंजीनियरिंग में और नये ब्रांच की जरूरत
नया रायपुर में 80 सीट के साथ ट्रिपल आईटी, एनआईटी में 950 इंजीनियरिंग की 18 ब्रांचों में पढ़ाई और पीजी के लिए भी 300 सीटें हैं। एनआईटी में सालों से नये ब्रांच की दरकार है। यहां भी फैकल्टीज और सुविधा बढ़ाने की मांग सालों से चल रही है। रायपुर में गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज सेजबहार में 5 ब्रांचों में मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन और कम्प्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग में 60-60 सीटें, रायपुर में 15 इंजीनियरिंग कॉलेजों में 4 हजार 738 सीटें हैं। सबसे ज्यादा 645 सीटों वाला शंकराचार्य निजी कॉलेज स्थापित है इस कॉलेज में निजी स्तर सबसे अधिक पढ़ने का अवसर मिल रहा है।

लाइवलीहुड कॉलेज से हो रहा कौशल विकास
रायपुर में साधारण पढ़ाई के लिए 35 कॉलेज हैं। युवाओं के कौशल विकास के लिए लाइवलीहुड कॉलेज है। रायपुर में प्रमुख कॉलेजों में छत्तीसगढ़ कॉलेज, साइंस कॉलेज, डिग्री गर्ल्स कॉलेज, महंत कॉलेज आदि हैं। लॉ में एचएनएलयू समेत निजी विवि में मैट्स यूनिवर्सिटी, अमिटी यूनिवर्सिटी, कलिंगा यूनिवर्सिटी, आईटीएम यूनिवर्सिटी, आईसीएफएआई यूनिवर्सिटी स्थित है। यहां तकनीकी शिक्षा समेत उच्च शिक्षा की पढ़ाई होगी।

मूल बेसिक साइंस के लिए सेंट्रल इंडिया का एकमात्र स्थान
रविवि में सेंटर फॉर बेसिक साइंस के लिए अलग से 40 सीटों पर राष्ट्रीय स्तर पढ़ाई हो रही है। यह मध्य भारत का पहला संस्थान है, जहां पर पांच वर्षीय साइंस में इंट्रीग्रेटेड कोर्स कराया जा रहा है। मेडिकल के क्षेत्र में राष्ट्रीय संस्थान एम्स यह न सिर्फ मरीजों को इलाज उपलब्ध करवा रहा है, बल्कि मेडिकल शिक्षा का बेहतरीन विकल्प बन रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर प्रवेश परीक्षा के जरिये यहां युवाओं को दाखिले का अवसर मिल रहा है।

हालांकि एम्स जैसे संस्थानों में सीटों को बढ़ाने से सुविधा और बढ़ेगी। रायपुर में आयुर्वेद कॉलेज 60 सीट, मेडिकल कॉलेज 150 सीट और एक डेंटल कॉलेज 100 सीटों के लिए पढ़ाई होती, होम्योपैथी और यूनानी के लिए भी एक-एक कॉलेज है।

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