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रायपुर राउंडटेबल कॉन्फ्रेंसः मार्केट खुद को भी बदले, तो बदल जाएगी रायपुर की तस्वीर

सीएसआइडीसी के जनरल मैनेजर ओपी बंजारे का कहना है कि शहर में कचरा प्रबंधन, ट्रैफिक मैनेजमेंट और पार्किंग इन तीन प्रमुख विषयों पर सुधार करने की जरूरत है।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Sun, 05 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 10 Aug 2018 12:15 PM (IST)
रायपुर राउंडटेबल कॉन्फ्रेंसः मार्केट खुद को भी बदले, तो बदल जाएगी रायपुर की तस्वीर

शहर का विकास इन दिनों चौतरफा हो रहा है और इस बात से बिल्कुल भी इंकार नहीं किया जा सकता कि व्यापार-उद्योग के विकास की रफ्तार भी काफी बढ़ती जा रही है। अगर हमें विकास की इस रफ्तार को बनाए रखना है और रायपुर का नाम पूरे देश में आगे ले जाना है तो अपनी सोच में बदलाव लाना होगा। व्यावसायिक संगठनों को भी शहर के विकास के लिए आगे आना होगा। पूरे व्यापार-उद्योग को व्यवस्थित करने की जरूरत है। छोटे-छोटे व्यावसायिक सेक्टरों को बढ़ावा मिले तथा व्यावसायिक कॉम्पलेक्स बनाया जाए। हमें ज्यादा से ज्यादा जोर स्वरोजगार की ओर देना होगा।

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कुछ इन्हीं सब सुझावों को शनिवार सुबह 11 बजे नईदुनिया कार्यालय में राजधानी के उद्योग व व्यापार से जुड़े लोगों राउंड टेबल कांफ्रेंस में रखा। यह परिचर्चा नईदुनिया द्वारा चलाए जा रहे माय सिटी माय प्राइड अभियान के तहत की गई। कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और जीके होंडा समूह के निदेशक अमर पारवानी ने इस बैठक का संचालन किया।

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व्यापार उद्योग के बढ़ावा के लिए सिंगल विंडो जरूरी- पारवानी
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने कहा कि व्यापार-उद्योग की रफ्तार अगर बढ़ानी है तो शासन को सबसे पहले सिंगल विंडो सिस्टम को लागू करना चाहिए। ऐसा सिस्टम जहां एक साथ ही आपस में कनेक्टेड बहुत से विभागों के काम आसानी से हो जाए और समय भी कम लगे। इससे व्यापार उद्योग को बढ़ावा ही मिलेगा। स्मार्ट टूरिज्म को बढ़ावा देना होगा। शासन के साथ ही आम जनता व व्यावसायिक संगठनों को अपनी जिम्मेदारी अच्छी तरह से समझनी होगी। सभी की बेसिक जवाबदारी तय करनी होगी। आम जनता को सरकार को साथ मिलकर चलना होगा तभी विकास की रप्तार बढ़ेगी।

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि रायपुर की तरक्की को एक नई दिशा देने की जरूरत है। हमें अपनी सोच बदलनी होगी। इसके साथ ही उन्होंने व्यापार-उद्योग की रफ्तार बढ़ाने कनेक्टिविटी बढ़ाए जाने की बात कही। सभी विभागों की भूमिका तय होनी चाहिए। पारवानी ने भी स्वावलंबन को बढ़ावा देने तथा कौशल विकास प्रशिक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बिना इन चीजों के शहर का विकास संभव नहीं है। सेक्टर वाइज मार्केट का ग्रोथ होना बहुत ही ज्यादा जरूरी है।

स्वावलंबन को मिले बढ़ावा, थोक व्यापार जाए शहर के बाहर- मोदी
पंडरी थोक कपड़ा व्यावसायी संघ के पूर्व अध्यक्ष और छत्तीसगढ़ चैम्बर ऑफ कॉमर्स के संरक्षक रमेश मोदी का कहना है कि शहर के विकास की रफ्तार काफी तेज गति से हो रही है। यहां आवश्यकता है थोक व्यवसाय को शहर के बाहर सही ढंग से ले जाने की। जहां आकर्षक कीमतों में कारोबारियों को जगह मिले। इसके साथ ही मुफ्त की योजनाएं देने की अपेक्षा स्वावलंबन पर जोर देना चाहिए। साथ ही सेक्टर वाइज मार्केट की ग्रोथ होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि साथ ही शहर को जंगल की तरह नहीं, बगीचे की तरह विकास चाहिए। जंगल बेतरतीब होता है और बगीचा सुव्यवस्थित, स्थानीय प्रशासन व सरकार को इसका ध्यान रखना चाहिए।

ऑनलाइन कंपनियों पर लगे लगाम- जैसिंघ
चेम्बर के कार्यकारी अध्यक्ष और हिन्दुस्तान यूनीलिवर के डीलर ललित जैसिंघ का कहना है कि दूसरे राज्यों की तुलना में राजधानी में एफएमसीजी सेक्टर का भी विकास काफी हुआ है। जीएसटी आने के बाद सारे उत्पादों की कीमतों में भी गिरावट आई है। बड़ी-बड़ी हाइपर मार्केट कंपनियों के साथ ही लोकल संस्थान भी है। विकास की रफ्तार को बनाए रखना है तो आवश्यकता है ऑनलाइन कंपनियों पर लगाम कसने की। ऑनलाइन कंपनियों पर भी कड़े व सख्त नियम-कानून होने चाहिए।

आरटीओ टैक्स में मिले राहत- खेमानी
सिटी होंडा के संचालक कैलाश खेमानी का कहना है कि रायपुर में ऑटोमोबाइल की अधिकांश सभी कंपनियां आ चुकी हैं और इस क्षेत्र में इसका विकास भी बड़ी तेजी से हो रहा है, लेकिन ऑटोमोबाइल सेक्टर की सबसे बड़ी दिक्कत इन दिनों आरटीओ की मार है। आरटीओ की मार का खामियाजा कारोबारियों के साथ ही आम उपभोक्ताओं को भी भुगतना पड़ता है। आरटीओ में राहत के साथ ही आयकर की मार व्यक्ति के ऊपर न कर फर्मो पर कर दिया जाए तो इस सेक्टर का ग्रोथ और होगा।

कोलकाता, हैदराबाद जैसे शहरों से मैनेजमेंट सीखना होगा- गुप्ता
उद्योगपति विवेक रंजन गुप्ता का कहना है कि व्यापार-उद्योग के क्षेत्र में राजधानी का चौतरफा विकास हो रहा है। इसके विपरीत ट्रैफिक, सड़क के मामले में हर जगह मैनेजमेंट का अभाव दिखता है। जहां विकास की जरूरत नहीं है, वहां विकास की रफ्तार दिखती है। सरकार को समझना होगा कि ऐसा विकास करें कि उसका फायदा अधिक से अधिक लोगों को मिले। आज के दौर में उद्योगों की सबसे बड़ी परेशानी बिजली की बढ़ती दरें है। ऐसी सरकारी नीतियां होनी चाहिए जिनसे शहर के विकास के साथ व्यापार-उद्योग की रफ्तार बढ़े।

व्यावसायिक संगठनों को भी आना होगा आगे- डॉ. पारख
अर्थशास्त्री डॉ. अशोक पारख का कहना है कि शहर के विकास के लिए व्यावसायिक संगठनों को भी आगे आना होगा। हालांकि शहर के विकास के लिए निगम व जनप्रतिनिधि की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। लेकिन फिर भी हर काम सरकार पर नहीं छोड़ना चाहिए। व्यापार उद्योग को बढ़ावा देने यहां बड़े-बड़े व्यावसायिक कॉम्पलेक्स बनाने के साथ ही लाइसेंस राज से मुक्ति दिलाई जाए। छोटे उद्योगों को बढ़ावा दिया जाए। शहर के विकास के लिए शासन के साथ आम जनता व व्यावसायिक संगठनों को मिलकर चलना होगा।

जवाबदारी तय हो- यूएन अग्रवाल
उद्योगपति यूएन अग्रवाल का कहना है कि उद्योगों को प्रदूषण फैलाने के लिए बदनाम किया जाता है। उद्योगों से रोजगार भी मिलता है। जहां तक सवाल प्रदूषण का है तो इस पर शासन को मॉनीटरिंग करनी होगी। उद्योगों के विकास के बगैर कहीं का विकास संभव नहीं है। इसके साथ प्रदेश में सबसे पहले सरकार को शराबबंदी करना चाहिए। शहर के सड़कों पर जिस प्रकार से ट्रैफिक व्यवस्था अनियंत्रित है। उस पर नियंत्रण करने की जरूरत है।

कौशल विकास पर देना होगा ध्यान- ओपी बंजारे
सीएसआइडीसी के जनरल मैनेजर ओपी बंजारे का कहना है कि शहर में कचरा प्रबंधन, ट्रैफिक मैनेजमेंट और पार्किंग इन तीन प्रमुख विषयों पर सुधार करने की जरूरत है। अन्य राज्यों और देशों में जिस प्रकार से इन विषयों पर बेहतर तरीके से वहां का विभाग कार्य कर रहा है। ऐसी व्यवस्था शहर में शुरू होने की जरूरत है। इसमें आइटी सेक्टर की बात हो या यूपीएससी, पीएससी जैसी परीक्षाओं की तैयारी के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। इससे स्किल डेवलपमेंट के साथ मैनपावर की कमी नहीं होगी।

मूलभूत समस्याओं को दूर करना जरूरी- विक्रम सिंहदेव
प्लायवुड कारोबारी व कैट के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव का कहना है कि शहर में सड़क तो बन रही, लेकिन जहां इसकी जरूरत होनी चाहिए नहीं हो रही है। फूलचौक से लेकर शारदा चौक को लीजिए। व्यापारियों के लिए ट्रांसपोर्टिंग करना मुश्किल हो गया है। इस मार्ग पर कोई व्यापारी कैसे व्यापार कर पाएगा। इसके अलावा सुलभ शौचालय, पार्किंग नहीं होने से व्यापारियों सहित आम लोगों को रोजाना दिक्कत हो रही है। विकास के लिए मूलभूत समस्याओं को भी दूर करना होगा।

स्मार्ट टूरिज्म की आवश्यकता- व्यास
व्यास ट्रैवल्स के संचालक कीर्ति व्यास ने कहा कि रायपुर सहित प्रदेश भर में तेजी से विकास हुआ है। आयरन उद्योग के बाद सबसे बड़ा उद्योग टूरिज्म इंडस्ट्रीज है। प्रदेश में स्मार्ट टूरिज्म को बढ़ावा देना होगा तो शासन को राजस्व के साथ कई लोगों को रोजगार मिलेगा। एक तरफ जहां पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होने के साथ ही टूरिस्ट की बुकिंग से लोगों को रोजगार मिल रहा है। सरकार सीएसआर के फंड को सिर्फ कुछ सेक्टर में में नहीं करना चाहिए। बल्कि टूरिज्म व्यापार को प्रमोट करें।

बढ़ती बिजली दरों से राइस मिलों को नुकसान- जैन
राइस मिलर और कैट के कार्यकारी महामंत्री परमानंद जैन का कहना है कि प्रदेश में विकास तो हो रहा है लेकिन सबसे बड़ी चुनौती राइस मिलर उद्योगपतियों के लिए बिजली बिल है। इसमेंप्रति वर्ष यूनिट रेट लगभग 30 फीसदी की बढोतरी से कारोबारियों को नुकसान होता है। शासकीय स्तर पर धान का रेट काफी वर्षो से बढ़ा नहीं है, बिजली रेट तय नहीं होती है। इससे कई राइस मिलें बंद होने के कगार पर हैं। साथ ही लाइसेंस का नवीनीकरण की दर हर वर्ष बढ़ रहे है। इन पर ध्यान देना होगा।

ऑटोमोबाइल में बनाया जाए मैन्युफैक्चरिंग हब- अनिल अग्रवाल
स्कॉय ऑटोमोबाइल्स के संचालक अनिल अग्रवाल का कहना है कि किसी भी राज्य की आर्थिक व्यवस्था वहां के उद्योग पर निर्भर करती है। इसलिए प्रदेश में ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग की शुरूआत होने की जरूरत है। जिससे प्रदेश में बेहतर सर्विस सुविधा के साथ युवाओं को रोजगार मिले। साथ ही बेहतर क्वालिटी व प्रोडक्ट की सस्ते दर पर लोगों को उपलब्ध होने लगेंगे, क्योंकि यह सुविधा नहीं होने के कारण काफी रुपये उत्पादन की ट्रांसपोटिर्ंग में खर्च हो जाती है।

ज्वैलरी के लिए बने सर्वसुविधायुक्त काम्पलेक्स- मालू
रायपुर सर्राफा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष हरख मालू का कहना है कि सर्राफा व्यवसाय को बढ़ावा देना है तो यहां भी ज्वैलरी क्षेत्र के लिए सर्वसुविधायुक्त कॉम्पलेक्स होना चाहिए। प्रदेश में सात हजार तो रायपुर में 15 सौ सर्राफा करोबारी है, लेकिन राजधानी में एक छत के नीचे पार्किंग व्यवस्था से लेकर प्रशिक्षण केंद्र, सुरक्षा के लिहाज से दोनों टाइम पेट्रोलिंग, सीसीटीवी जैसे सुविधाएं नदारद हैं। जेम्स एंड ज्वैलरी पाठ्यक्रम का त्रिवर्षीय पाठ्यक्रम पं. रविशंकर शुक्ल विवि में शुरू होना चाहिए। इसके अलावा 411 धारा को लेकर कुछ सुधार करने की आवश्यकता है। गलती से भी चोरी का माल कोई सर्राफा कारोबारी खरीद लेता है तो उसे परेशानी होती है।

आरटीसी में आए ये सुझावः
- व्यापार-उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सिंगल विंडो की जरूरत
- कनेक्टिविटी बढ़ाने के साथ ही बढ़ाई जाएं सुविधाएं
- थोक व्यापार शहर के बाहर हो, जहां छोटे-छोटे सेक्टर को बढ़ावा मिले
- ऑटोमोबाइल के लिए बने मैन्युफैक्चरिंग हब
- जेम्स एंड ज्वैलरी में शुरू हो त्रिवर्षीय पाठ्यक्रम
- उद्योगों को बढ़ाने के लिए महंगी होती बिजली से राहत दे सरकार और रॉ मैटेरियल की प्रचुरता हो
- स्मार्ट टूरिज्म को बढ़ावा मिले
- ऑनलाइन कंपनियों के लिए भी कड़े-नियम कानून बनाए जाएं
- आरटीओ टैक्स में मिले राहत
- आम आदमी को छोड़ कर फर्मो पर लगाया जाए आयकर
- बड़ी गाड़ियों विशेषकर ट्रैवल्स गाड़ियों में आरटीओ के टैक्स में राहत मिले

कारोबारी भी उठाएं ये कदम
- शहर के विकास के लिए शासन के साथ ही आम जनता और व्यावसायिक संगठनों को भी आगे आना होगा
- सब कुछ सरकार करेगी, लोगों को अपनी यह सोच बदलनी होगी
- स्वावलंबन को बढ़ावा देना जरूरी है, इससे काफी हद तक बेरोजगारी की समस्या दूर हो जाएगी
- राजधानी के कारोबारियों को भी कोलकाता, हैदराबाद जैसे बड़े शहरों के समान अच्छा मैनेजमेंट सीखना होगा

कंपनियों के सीएसआर फंड से हो सकता है यह
- कॉमन लाइब्रेरी, कौशल प्रशिक्षण केंद्र को बढ़ावा देना होगा
- ट्रैफिक व्यवस्था को बाजार इलाके में दुरुस्त रखने के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराएं
- शहर के चारों इलाकों में समृद्ध लाइब्रेरी हो, जिससे रोजगार के लिए स्किल डेवलप करने में मदद मिले
- एमजी रोड में कहीं पर टायलेट नहीं है, सर्वे कर निर्माण किया जा सकता है
- सड़क किनारे यातायात पुलिस की मदद से येलो लाइन मेंटेन रहे, जिससे पार्किंग में परेशानी न हो

नागरिकों की भागीदारी इस तरह हो
- जनता लाइब्रेरी के नाम से शहर के चारों तरफ लाइब्रेरी बने, इसके लिए जनता से ही किताबें दान में ली जा सकती हैं
- कौशल प्रशिक्षण के लिए कुछ विशेषज्ञ मुफ्त में प्रशिक्षण दे सकते हैं
- मार्केट को साफ-सुथरा रखने के लिए नागरिकों को भी जागरुक करें, यह काम दुकानदार खुद ही कर सकते हैं

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