झीरम की बरसी से पहले नक्सली कर सकते हैं हिंसक वारदात
झीरम घटना की दूसरी बरसी से पहले माओवादी बस्तर में बड़ी हिंसक वारदात को अंजाम दे सकते हैं। गत दिनों दरभा के जंगलों में माओवादियों की टेक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव कैम्पेन [टीसीओसी] की एक समीक्षा बैठक भी हुई है।
रायपुर, दंतेवाड़ा [ब्यूरो]। झीरम घटना की दूसरी बरसी से पहले माओवादी बस्तर में बड़ी हिंसक वारदात को अंजाम दे सकते हैं। गत दिनों दरभा के जंगलों में माओवादियों की टेक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव कैम्पेन [टीसीओसी] की एक समीक्षा बैठक भी हुई है। इस बैठक में माओवादियों के कई शीर्ष नेता उपस्थित थे। यह खुलासा किया है बस्तर आईजी एसआरपी कल्लूरी ने। उन्होंने आशंका जताई है कि 25 मई से पहले नक्सली बस्तर में बड़ी वारदात की फिराक में हैं। दहशत फैलाने के मकसद से वे ऐसा कर सकते हैं। उनका कहना है हालांकि इसकी सूचना मिलने के बाद पुलिस पूरी तरह मुस्तैद है।
आईजी के मुताबिक दरभा, झीरम, टहकवाड़ा, तोंगपाल, सुकमा आदि स्थानों पर हिंसक वारदात की आशंका है। फिलहाल पुलिस पूरी सतर्कता बरत रही है। सुकमा एसपी समेत संबंधित थानों को अलर्ट किया गया है। आईजी की मानें तो दरभा इलाके में शीर्ष माओवादी लीडर डेरा डाले हुए हैं। बैठक में निर्मला, विनोद, देवा, भगत समेत अन्य माओवादी कमांडरों के शामिल होने की जानकारी पुलिस को मिली है। जिनके द्वारा बड़ी हिंसक वारदात की योजना बनाई जा रही है।
एसएलआर के साथ माओवादी कमांडर ने किया समर्पण
दंतेवाड़ा [ब्यूरो]। माओवादियों को मुख्यधारा में लाने की दिशा में बुधवार को दंतेवाड़ा पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। मलांगिर एरिया कमेटी का सक्रिय एलजीएस कमांडर किरण उर्फ कमलेश ने एसएलआर हथियार, 2 नग मैगजीन समेत 47 जिंदा राउंड के साथ पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया है। बस्तर आईजी एसआरपी कल्लूरी ने इसे पुलिस की बड़ी कामयाबी बताया है।
कारली पुलिस मेस में आयोजित पत्रवार्ता के दौरान हार्डकोर नक्सली ने आईजी श्री कल्लूरी को हथियार सौंपा। प्रोत्साहन राशि के रूप में उसे डेढ़ लाख रुपए नकद प्रदान किए गए। वहीं शासन की पुनर्वास नीति के तहत् घोषित इनामी राशि आठ लाख रुपए एक माह के भीतर खाते में जमा करवाने की बात भी उन्होंने कही।
आईजी ने बताया कि ग्राम कोरचेली थाना गंगालूर निवासी कमलेश 2005 में नक्सली संगठन में शामिल हुआ था। डीवीसी सेक्रेटरी निर्मला जो मूलत: तेलंगाना राज्य की है की प्रताडऩा से तंग आकर कमलेश ने संगठन छोडऩे का मन बनाया था।
पुलिस की पर्चा मुहिम से उसे पुनर्वास नीति के बारे में जानकारी मिली थी। इसके माध्यम से पुलिस से संपर्क कर समर्पण की इच्छा जताई थी।गत दिनों दरभा क्षेत्र में टीसीओसी की समीक्षा बैठक के दौरान कमलेश संतरी ड्यूटी पर तैनात था। इस दौरान साथी नक्सलियों को चकमा देकर हथियार समेत भागने में कामयाब हुआ। आईजी ने समर्पित नक्सली को पुलिस प्रोटेक्शन का भरोसा दिलाया है। साथ ही सरेंडर पॉलिसी के तहत् तमाम सुविधाएं मुहैया कराने की बात कही है।
पत्रकारों से चर्चा करते हुए आईजी ने कहा कि माअवोदी संगठन में महिला नेतृत्व का दखल काफी बढ़ चुका है। बड़े लीडर पड़ोसी राज्यों के हंै, जो बस्तर के माओवादियों पर हुकूमत कर रहे हैं, इससे बस्तर के माओवादी संगठन में फूट की स्थिति है। उनका संगठन लगभग खात्मे की ओर है। पत्रवार्ता के दौरान कलेक्टर केसी देव सेनापति, दंतेवाड़ा एसपी कमलोचन कश्यप, बीजापुर एसपी व सीआरपीएफ के आला अधिकारी मौजूद थे।
झीरम, चोलनार की घटनाओं में था शामिल
आईजी श्री कल्लूरी ने बताया कि समर्पित नक्सली कमलेश 25 मई झीरम घाटी समेत चोलनार ब्लास्ट तथा वर्ष 2006 में गंगालूर राहत शिविर पर हमले की घटना शामिल था। संगठन में शामिल रहते वर्ष 2006 में दरभा डिवीजन सीएनएम सदस्य के रूप में एक वर्ष तक कार्य किया। वर्ष 2007 में कटेकल्याण आर्गनाइजिंग सदस्य के रूप में सक्रिय रहा। सितंबर 2008 से 2011 तक मलांगिर एरिया कमेटी का सीएनएम कमांडर रहा। वर्तमान में कमेटी का एलजीएस कमांडर के रूप में वह सक्रिय था।