फर्जी डिग्री लेकर बने लेक्चरर, खुलासे के बाद पुलिस ने दर्ज किया मामला
फर्जी डिग्रियों के बेस पर सरकारी नौकरियां हासिल करने के मामले का भंडाफोड़ होने के बाद दो लोगों के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया।
रायपुर। फर्जी डिग्रियों के बेस पर सरकारी नौकरियां हासिल करने के मामले का भंडाफोड़ होने के बाद शनिवार को दो लोगों के खिलाफ सिविल लाइन पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया। आरोपी श्रवण देवांगन और खिलावन मिश्रा ने लेक्चरर के पद पर भर्ती हैं और दोनों की डिग्री फर्जी निकली है।
हजारों रुपए वसूलकर फर्जी डिग्रियां लगा दी
पुलिस की प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि एक गिरोह ने स्कूल भी पास नहीं कर पाए युवक-युवतियों को शिक्षा विभाग में नौकरियों का झांसा देकर 60 से 70 हजार रुपए वसूले और इनके नाम गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर की फर्जी डिग्री लगा दी। विशेषज्ञों का कहना है कि एक नजर में इनके फर्जी होने की पहचान करना मुश्किल है। इस खुलासे ने शिक्षा जगत में सनसनी फैला दी है। रायपुर में केस दर्ज होने के बाद फर्जी डिग्रियां बनाने वाले गिरोह की तलाश शुरू कर दी गई है।
ऐसे सामने आया मामला
पुलिस अफसरों ने बताया कि कुछ दिन पहले जिला पंचायत ने शिकायत भेजी कि शिक्षाकर्मी पूजा शर्मा, नारायण प्रसाद, खिलावन मिश्रा और श्रवण देवांगन की ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और बीएड की मार्कशीट संदिग्ध हैं। पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला कि सभी की डिग्रियां एक ही विवि और एक ही कालेज से जारी की गईं हैं।
सेंट्रल यूनिवर्सिटी की डिग्री
पुलिस के अनुसार बीकॉम, एमकॉम, बीएससी, एमएससी और बीएड की अधिकांश डिग्रियां गुरु घासीदास केंद्रीय विवि की हैं। जांच में सामने आया है कि किसी और व्यक्ति की मार्कशीट को दूसरे के नाम से स्कैन करके निकाला गया है। केवल नंबर समान थे, बाकी छात्र की पूरी जानकारी नई डाली गई। इनमें विवि की सील-मुहर भी बाकायदा लगी है।
12वीं पास, स्नातक डिग्री
पुलिस ने बताया कि कांकेर की पूजा की नियुक्ति आरंग के गनौद हायर सेकंडरी स्कूल में हुई थी। उसने 8 माह नौकरी की। उसे वेतन भी मिला। उसने पुलिस को लिखित बयान दिया कि सिर्फ 12वीं पास है, ग्रेजुएशन किया ही नहीं। जबकि नौकरी के उसके आवेदन में बीकॉम, एमकॉम के अलावा बीएड की डिग्री लगी थी।
घर जाकर किया था संपर्क
पुलिस ने बताया कि फर्जी मार्कशीट बनाने वाले गिरोह का सरगना बिलासपुर का है। गिरोह से जुड़े अजय ने एक फर्जी डिग्रीधारी के पिता से संपर्क किया था कि वह डिग्री की व्यवस्था करके नौकरी भी लगा देगा। उसने बुजुर्ग की बिलासपुर निवासी अजय यादव से बात कराई। अजय ने 70 हजार रुपए मांगे। इसके बाद उसने डिग्री बनाई, आवेदन में अटैच की और संबंधित व्यक्ति का शिक्षाकर्मी के रूप में चयन हो गया। इस परिवार से जिस युवक ने संपर्क किया था, वह उनसे पहले नहीं मिला था। पुलिस का अनुमान है कि गिरोह ऐसे लोगों को तलाश करके फांसता रहा, जिन्हें नौकरी की जरूरत थी, पैसे थे लेकिन डिग्री नहीं थी।
दो दर्जन एफआईआर
फर्जी डिग्री मामले में प्रदेश में दो दर्जन से ज्यादा एफआईआर हो चुकी हैं। 20 से ज्यादा मामले जांच में रखे गए हैं। सभी मामलों में डिग्री केंद्रीय विवि की ही है। पुलिस का अनुमान है कि एक ही गिरोह है, जो एक तरीके से ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारों को निशाना बना रहा है।