12 जवानों की शहादत से महाराष्ट्र से लेकर पंजाब तक डूबा शोक की लहर में
सुकमा में हुए नक्सली हमले में 12 जवानों की शहादत की खबर से महाराष्ट्र से लेकर राजस्थान, तमिलनाडु से लेकर पंजाब तक शोक की लहर है।
रायपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। सुकमा में हुए नक्सली हमले में 12 जवानों की शहादत की खबर से महाराष्ट्र से लेकर राजस्थान, तमिलनाडु से लेकर पंजाब तक शोक की लहर है। इस हमले ने 11 सुहागिनों से उनका सुहाग छीन लिया, बच्चों से पिता का साया और बुजुर्ग माता--पिता से उनका इकलौता लाल। 'नईदुनिया' ने इन घटना के करीब 12 घंटे बाद शहीदों के परिवारों से मोबाइल पर बात की। 22 साल के नंद के लिए मां ने ल़डकी देख रखी थी तो सुरेश के पिता अपने बेटे की कुर्बानी को सलाम कर रहे हैं। प़ढें उन परिवारों के सदस्यों की जुबानी, जिनसे घटना के कुछ घंटे पहले ही सुकमा से जवानों ने बात की थी। बोले-- यहां सब ठीक है, अपना ख्याल रखना।
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सुनिए रोंगटे ख़डे कर देने वाली शहादत से 24 घंटे पहले की कहानी--
शहीद कांस्टेबल नंदकुमार अतरम, उम्र 22 साल
कहां से-- बोरदा, जिला चंद्रपुर, महाराष्ट्र
पिता देवा अतरम ने कहा-- मेरा इकलौता बेटा था। उसने 4 साल पहले ही तो सीआरपीएफ जॉइन की थी। कहता था-- पापा, देश के लिए बहुत काम करना है, नाम कमाना है। अभी 22 साल का तो था। मां पीछे प़ड गई कि शादी कर ले, ले--देकर तो माना था। ल़डकी देख ली थी। छुट्टियों पर आता तो शादी करते। पर शनिवार दोपहर खबर आई कि वह नहीं रहा। उसकी मां को कैसे बताता, कल रात को ही तो मां से बात जो की थी। अभी तक नहीं बताया।
पिता का संदेश-- हमें अपने लाल पर फख्र है, जिसने देश की सेवा को चुना और देश के लिए कुर्बान हो गया।
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शहीद कांस्टेबल सुरेश कुमार, उम्र 33 साल
कहां से-- सुन्ही, जिला कंगरा, हिमाचल प्रदेश
पिता मस्तराम ने कहा-- एक ही बेटा था, सर। देश के लिए कुर्बान हो गया। 20 दिन पहले आया था छुट्टियों पर और कल रात को ही बहू नीनू से बात की थी। मेरा 2 साल का नाती है। सुरेश को बचपन से वर्दी भाती थी। 2007 में सीआरपीएफ गया था। हम होली की तैयारी कर रहे थे कि दोपहर को रायपुर से फोन आ गया कि आपके बेटे की शहादत हो गई है। पूरा गांव पूछ रहा है हमारे सुरेश के बारे में। उसकी देह कब पहुंचेगी।
पिता का संदेश-- भारत के लिए कुर्बानी से ब़डा कुछ भी नहीं। बेटे को सलाम।
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शहीद इंस्पेक्टर जगजीत सिंह, उम्र 36 साल
कहां से-- कोटला शर्फ, बटला सदर, गुरदासपुर, पंजाब
भाई बलजीत सिंह ने कहा-- रात को उन्होंने भाभी से बात की थी। राजी--खुशी पूछी थी। उनके 2 बेटे हैं, अभी छोटे हैं। ([पूछे जाने पर की गांव से क्या और भी आर्मी बैकग्राउंड से हैं, बोले...)] गांव से कई आर्मी, सीआरपीएफ में हैं। मेरे भाई 2002 से थे, ड़े$ढ साल पहले छत्तीसग़ढ में पदस्थापना हुई थी। वे खुश थे।
भाई का संदेश-- मेरे भाई युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। हम सब उनकी शहादत को सलाम करते हैं।
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शहीद एएसआई हीरा बल्लभ भट्ट
कहां से-- रोपेरा, नैनीताल, उत्तराखंड
चचेरे भाई सुरेश भट्ट ने कहा-- भाभी की स्थिति ऐसी नहीं है कि वे बात कर सकें। कल रात में जब हीरा ने उनसे बात की पूछा था, आप होली पर आओगे क्या? बोले थे-- नहीं आ पाऊंगा। रोजाना ही बात होती थी। उनकी एक छोटी बेटी है। रोपेरा तो फौजियों का गांव है। ([वे पूछने लगा-- शव हमारे गांव, कब तक पहुंचेगा। फ्लाइट से आएगा क्या?)] हीरा से मेरी 4 दिन पहले ही तो बात हुई थी,वह सुकमा के बारे में बता रहा था।
चचेरे भाई का संदेश-- शहीदों की शहादत कभी बेकार नहीं जाती। हमें उन पर फख्र है।
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शहीद हेड कांस्टेबल जगदीश प्रसाद बिश्नोई
कहां से-- नोखा, बिकानेर, राजस्थान
ताऊ के बेटे राजेंद्र बिश्नोई ने कहा-- छत्तीसग़ढ में पोस्टिंग को अभी 2 साल ही हुआ था। रात को बात हुई थी, बोले-- मैं अच्छा हूं, सब अच्छे से रहना। मेरे चाचा ([जगदीश के पिता)] की पिछले साल दीवाली में स़डक हादसे में मृृत्यु हुई थी,ये होली भी...। उनका 2 साल का एक बेटा और 5 साल की बेटी। उनका सपना था कि काबिलियत के दम पर ऊंचे पद पर पहुंचें। नोखा तो दोपहर से ही शोक में डूब गया है। हमें रायपुर से पुलिस वालों का फोन आया था।
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11 डॉक्टर्स की टीम ने संभाला मोर्चा 2 घंटे पीएम--
शहीद जवानों के शवों का पोस्टमार्टम करने के लिए मेडिकल कॉलेज रायपुर के फॉरेंसिक विभाग, जिला अस्पताल रायपुर और दुर्ग, सीएचसी धरसीवां के डॉक्टर्स की टीम बनाई गई। एक डॉक्टर ने एक शव का पीएम किया। फॉरेंसिक साइन्स विभागाध्यक्ष डॉ. उल्लाह गुनाडे के नेतृृत्व में 5 डॉक्टर और सीएमओ ऑफिस में आईडीएसपी नोड्ल अधिकारी डॉ. आरके चंद्रवंशी के नेतृृत्व में 6 डॉक्टर की टीम ने पीएम किया। 2 घंटे में पीएम कर शवों को श्रद्धांजलि के लिए चौथी बटालियन माना रवाना कर दिया गया।