कांग्रेस-बसपा गठजोड़ से निपटने भाजपा ने बाबा बालदास से बढ़ाई नजदीकियां
वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में बाबा बालदास की पार्टी के उम्मीदवारों के चुनाव मैदान में उतरने के कारण भाजपा को अनुसूचित जाति की दस में से नौ सीटों पर जीत मिली थी।
मृगेंद्र पांडेय। रायपुर, नई दुनिया। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और बसपा के गठजोड़ की खबरों के बीच भाजपा भी बड़ा दांव खेलने जा रही है। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो कांग्रेस-बसपा गठजोड़ से पार पाने के लिए भाजपा धर्मगुरु बाबा बालदास का सहारा लेगी। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में बाबा बालदास की पार्टी के उम्मीदवारों के चुनाव मैदान में उतरने के कारण भाजपा को अनुसूचित जाति की दस में से नौ सीटों पर जीत मिली थी। यही नहीं, कांग्रेस के दिग्गज नेता रविंद्र चौबे, धरमजीत सिंह सहित कई अन्य नेताओं को हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा भले ही बाबा बालदास की पार्टी से कोई चुनावी समझौता नहीं करने जा रही है, लेकिन कांग्रेस के अनुसूचित जाति के वोटों के बंटवारे के लिए बाबा बालदास को अपने पाले में करने की कवायद में जुटी है।
सूत्रों की मानें तो भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से बाबा बालदास की तीन दौर की बातचीत हो चुकी है। बाबा बालदास का असर मैदानी क्षेत्र में है। यही कारण है कि भाजपा मैदानी सीट बचाने के लिए बाबा बालदास को किसी भी कीमत पर कमजोर होने नहीं देना चाहती।
राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो बाबा बालदास का बालोद, बेमेतरा, बिलासपुर, मुंगेली और दुर्ग जिले की 20 विधानसभा सीटों पर खासा प्रभाव है। यहां उनके हजारों अनुयायी हैं, जो उनके उम्मीदवार के पक्ष में वोट डालते हैं। बाबा बालदास के रसूख का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पिछले विधानसभा में उन्होंने 20 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे और उनके लिए हेलीकाप्टर से प्रचार किया था।
इन सीटों पर दिखा बाबा बालदास का असर
बाबा बालदास का असर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट के अलावा साजा, लोरमी, तखतपुर, दुर्ग शहर, बिल्हा में देखने को मिला। बताया जा रहा है कि पामगढ़ और सरायपाली में भाजपा उम्मीदवार की जीत का अंतर बाबा बालदास के उम्मीदवार को मिले वोट के बराबर था। आरंग में कांग्रेस के स्र्द्र गुस्र् की हार में भी उनके उम्मीदवार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मैदानी इलाकों की सीटों से भाजपा को उम्मीद
वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में बस्तर और सरगुजा के आदिवासी बहुल सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। इस बार चुनाव में जाने से पहले भाजपा आदिवासी वोटबैंक को साधने की कोशिश कर रही है, वहीं मैदानी इलाकों में पिछले विधानसभा चुनाव में जीती सीटों को बचाने के लिए भी खासी मशक्कत कर रही है।
अनुसूचित जाति के वोटों में त्रिकोणीय संघर्ष
विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जाति के वोटों के बीच त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बन रही है। कांग्रेस और बसपा के साथ आने से 14 विधानसभा सीटों पर उनकी स्थिति मजबूत हो जाएगी। इसमें से आठ सीट सारंगढ़, बेलतरा, सक्ती, चंद्रपुर, पामगढ़, बिलाईगढ़, कसडोल और नवागढ़ भाजपा के पास है। वहीं, भाजपा और बाबा बालदास के बीच अंदस्र्नी गठजोड़ होने से भाजपा को अनुसूचित जाति बहुल 20 सीटों पर सीधा फायदा मिलेगा। छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के मैदान में उतरने के बाद अनुसूचित जाति बहुल आरंग, बिलाईगढ़, लोरमी, पंडरिया, मस्तुरी में उनका भी असर देखने को मिलेगा।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने मिशन 65 प्लस का टार्गेट दिया है। इसको लेकर संगठन काम कर रहा है। अभी किसी भी दल के साथ चुनावी गठबंधन पर चर्चा नहीं हो रही है। पार्टी सभी 90 सीट पर उम्मीदवार उतारेगी।
- धरमलाल कौशिक, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा