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Youtube पर मुफ्त में मिल रही कानूनी सलाह, छत्तीसगढ़ के जज से जानें, 'ऐसा हो तो क्या करें', एक लाख से ज्यादा लाइक

Youtube Channel Chhattisgarh judge छत्तीसगढ़ में नवाचार जिला न्यायालयों के जज स्थानीय भाषा में यूट्यूब पर दे रहे कानूनी जानकारी वनांचल व ग्रामीण क्षेत्रों को मिल रहा लाभ ऐसा हो तो क्या करें प्लेलिस्ट में छोटे-छोटे वीडियों में कानूनी मामलों से जुड़ी जिज्ञासाओं के दिए जाते उत्तर

By Vijay KumarEdited By: Published: Tue, 19 Jul 2022 05:14 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jul 2022 05:14 PM (IST)
Youtube पर मुफ्त में मिल रही कानूनी सलाह, छत्तीसगढ़ के जज से जानें, 'ऐसा हो तो क्या करें', एक लाख से ज्यादा लाइक
न्याय की राह में जज साहब बने आमजन के सलाहकार

राधाकिशन शर्मा, बिलासपुर। भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में न्याय व्यवस्था तक हर व्यक्ति की पहुंच होना आसान नहीं है। एक आंकड़े के अनुसार देश में लगभग चार करोड़ से अधिक मामले अदालतों में लंबित हैं। न्याय की आस में एक और कठिनाई होती है कानूनी प्रक्रिया और अधिकारों की समझ की कमी। छोटे विवादों से लेकर बड़ी घटनाओं तक आमजन के लिए कानूनी प्रक्रिया को समझना और फिर न्याय की गुहार लगाना आसान नहीं होता। इस विकराल समस्या को हल करने की दिशा में एक अहम कदम उठाया है छत्तीसगढ़ के न्यायाधीशों ने। आदिवासी बहुल वनों से आच्छादित इस राज्य में सभी जिला न्यायालयों के न्यायाधीश डिजिटल मंच का प्रयोग कर आमजन को कानूनी व्यवस्था के बारे में आसान तरीके से समझा रहे हैं। विशेष बात है कि जज साहब यह जानकारी ग्रामीणों और वनांचल के निवासियों को छत्तीसगढ़ी भाषा में समझा रहे हैं।

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दूरस्थ क्षेत्रों के लोगों के बीच कानूनी ज्ञान का प्रकाश पहुंचाने में यूट्यूब के माध्यम से राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बड़ी भूमिका निभा रहा है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण 'ऐसा हो तो क्या करें प्ले लिस्ट है। इसमें प्रदेशभर के जिला न्यायालयों के जजों के साथ ही व्यवहार न्यायाधीश व अन्य न्यायिक अधिकारी खुद ही किसी अन्याय, कानूनी मदद, निश्शुल्क अधिवक्ता सेवा, न्याय की राह में आने वाली बाधा आदि से जुड़े व्यावहारिक प्रश्न तैयार करते हैं और फिर स्वयं यूट्यूब के वीडियो पर उनका विस्तार से उत्तर देते हैं। इस जानकारी की मदद से पीडि़त व्यक्ति समस्याओं का न सिर्फ समाधान कर रहे हैं बल्कि कानूनी मदद भी ले रहे हैं। यूट्यूब व अन्य इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म में छत्तीसगढ़ के सभी जिला जजों के छोटे-छोटे वीडियो अपलोड किए गए हैं।

प्रदेश के जशपुर जैसे वनांचल में प्रतिवर्ष मानव तस्करी व देह व्यापार की लगातार मिल रही शिकायतों को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। जशपुर, बस्तर और सरगुजा के वनांचलों के साथ ही छत्तीसगढ़ के मैदानी क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों को कानूनी जानकारी देने और संविधान में प्रदत्त अधिकारों के लिए जागरूक करने का निर्णय लिया। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की पहल पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से जनचेतना अभियान चलाया जा रहा है। जिला एवं सत्र न्यायाधीश व्यावहारिक विषयों को लेकर भी जानकारी देते हैं।

वीडियो में वह पूछते हैं कि आप स्वजन के साथ जा रहे हैं कोई आप से उलझ जाता है तो आप क्या करें। फिर जवाब देते हैं कि आप घबराइए नहीं, नजदीक के पुलिस थाना चले जाइए। शिकायत करिए। वहां आपकी बात नहीं सुनते हैं तो जिला व राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में शिकायत दर्ज कराइए। टोल फ्री नंबर पर काल कर अपनी समस्या बताइए। तत्काल हल मिलेगा। अपने अधिकार के लिए कानूनी लड़ाई लडऩे अगर वकील नहीं तय कर पा रहे हैं तो राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण निश्शुल्क वकील उपलब्ध कराएगा। इसके लिए आपको प्राधिकरण में जानकारी देनी होगी। आपका मामला भी वकील निश्शुल्क लड़ेंगे। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के यूट्यूब चैनल के अब तक 25 हजार से ज्यादा सब्सक्राइबर हो चुके हैं। एक लाख से ज्यादा लोगों ने वीडियो लाइक किए हैं और विभिन्न वीडियो पर अपनी प्रतिक्रिया भी दी है।

छत्तीसगढ़ी भाषा में कर रहे जागरूक:

दूरस्थ वनांचल और ग्रामीण क्षेत्र में रहने वालों को न्यायिक अधिकारियों द्वारा छत्तीसगढ़ी भाषा में यूट्यूब चैनल के जरिए कानून की जानकारी दी जा रही है। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश रायपुर पूजा जायसवाल ने मानव तस्करी व मानव व्यापार से पीडि़त महिलाओं को किस तरह कानूनी लड़ाई लडऩी है, यह जानकारी वीडियो में दी है। वह बताती हैं कि मानव व्यापार से पीडि़त महिलाओं की स्थिति बेहद खराब है। ठेकेदार व दलालों द्वारा महिलाओं को काम के बहाने बेच दिया जा रहा है। अनैतिक कार्य कराया जा रहा है। ये सब मानव व्यापार की श्रेणी में आता है।

क्या करें पीडि़ता:

थाने में फोन कर घटना की सूचना दें या व्यक्तिगत उपस्थित होकर शिकायत दर्ज कराएं। लिखित शिकायत करें और पावती के रूप में एक कापी अपने पास रख लें। यह आपके पास प्रमाण होगा। थाने से किसी तरह की कार्रवाई नहीं हो रही है तो पीडि़त पक्ष खुद कोर्ट पहुंचकर लिखित शिकायत कर सकता है। इस मामले में राजीनामा का प्रविधान नहीं है। सात से 14 वर्ष तक सजा हो सकती है।


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