सफारी में दहाड़ेंगे कानन के टाइगर
कानन पेंडारी के सामने प्रस्तावित टाइगर सफारी में जू के ही टाइगर दहाड़ेंगे। सफारी के अस्तित्व में आते ही यहां के चार टाइगर को छोड़ा जाएगा। इनके बीच ब्रीडिंग से धीरे- धीरे कुनबा बढ़ेगा। पहले चरण में जगह को संरक्षित करने के लिए बाउंड्रीवाल उठाने की योजना है। टाइगर सफारी
बिलासपुर। कानन पेंडारी के सामने प्रस्तावित टाइगर सफारी में जू के ही टाइगर दहाड़ेंगे। सफारी के अस्तित्व में आते ही यहां के चार टाइगर को छोड़ा जाएगा। इनके बीच ब्रीडिंग से धीरे- धीरे कुनबा बढ़ेगा। पहले चरण में जगह को संरक्षित करने के लिए बाउंड्रीवाल उठाने की योजना है। टाइगर सफारी वन विभाग की बड़ी योजना है। पर्यटकों के लिए यह सौगात है।
धीरे- धीरे यह गति भी पकड़ने लगी है। शुरुआत में जब टाइगर सफारी बनाने का निर्णय लिया गया तो उसमें सबसे बड़ी परेशानी चिंहित जमीन के हस्तानांतरण की थी। प्रमुख सचिव आरपी मंडल व कमिश्नर सोनमणि बोरा की पहल के बाद जमीन हस्तानांतरण में कुछ खास समय नहीं लगा। पिछले दिनों 32.867 हेक्टेयर जमीन वन विभाग को हस्तानांतरित हो चुकी है। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब विभाग बजट स्वीकृति के लिए प्रोजेक्ट लगभग तैयार हो चुका है।
इसका निर्माण कैंपा मद होगा। एडिशनल पीसीसीएफ (कैंपा) ने पिछले दिनों बिलासपुर वनमंडल कार्यालय को पत्र भी भेजा था। इसमें उन्होंने टाइगर सफारी के लिए पहले साल किए जाने वाले कार्य की तकनीकी स्वीकृति मांगी। इसके बाद प्रशासकीय स्वीकृति मिलेगी। पहले साल 32.867 हेक्टेयर की इस जमीन को घेराबंदी की जाएगी। इसमें करीब 6 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। 3 फीट बाउंड्रीवाल के ऊपर करीब ढाई फीट का गोल जालीदार तार बिछाया जाएगा।
इन तैयारियों के बीच अटकलें लगाई जा रही थी कि आखिर इस सफरी के लिए टाइगर कहां से लाए जाएंगे। अब यह भी दिक्कतें समाप्त हो गई है। कानन पेंडारी जू के टाइगर को ही यहां छोड़ा जाएगा। कानन पेंडारी में वर्तमान में 8 टाइगर हैं। इनमें से चार को सफारी में शिफ्ट करने के बाद पर्यटक दोनों जगह टाइगर का दीदार कर पाएंगे। अंतर केवल इतना रहेगा कि कानन पेंडारी में टाइगर केज के अंदर होंगे और सफारी में पर्यटक केज के अंदर होंगे और टाइगर खुले नजर आएंगे।
टाइगर सफारी का एक कांसेप्ट ब्रीडिंग भी है। यहां ब्रीडिंग के बाद टाइगर की संख्या धीरे- धीरे बढ़ेगी। आवास व अस्पताल का भी होगा निर्माण पहले साल केवल बाउंड्रीवाल का निर्माण होगा। वहीं दूसरे साल 28 हेक्टेयर क्षेत्र को चारों ओर से 18 फीट ऊंची जाली से घेरा जाएगा। इसके अंदर टाइगर नजर आएंगे। इसके अलावा केज का भी निर्माण किया जाएगा।
शेष चार हेक्टेयर क्षेत्र में कर्मचारियों के लिए आवास व अस्पताल आदि बनाए जाएंगे। सीजेडए से अनुमति में नहीं आएगी अड़चन टाइगर सफारी के लिए सीजेडए की अनुमति जरूरी है। बिना उनके मंजूरी के वन विभाग इस महत्वपूर्ण योजना को पूरी नहीं कर सकती है।
जिस दिन से जमीन हस्तानांतरित हुई विभाग सीजेडए के अधिकारियों से इस संबंध में चर्चा भी कर रहे हैं। तकनीकी समिति के सदस्य अशोक मल्होत्रा से मागदर्शन भी लिया जाएगा। उनके मुताबिक ही टाइगर सफरी को बनाया जा रहा है। श्री मल्होत्रा ने कानन के ले- आउट व मास्टर प्लान पर भी सहयोग दिया है। इसी के आधार पर एप्रूवल में कोई खास दिक्कतें नहीं आईं।