पुलिस नहीं जुटा पाई हिम्मत इसलिए मारे गए कांग्रेस नेता
जगदलपुर । झीरम घाट में कांग्रेस के काफिले पर हमला करने के लिए नक्सलियों ने जहां पुख्ता तैयारी कर रखी थी वहीं सूचना के बाद भी पुलिस कांग्रेस नेताओं को बचाने के लिए हिम्मत नहीं जुटा पाई। सरकार ने कांग्रेस के काफिले को समुचित सुरक्षा नहीं दी थी इसीलिए इतने लोगों की जान गई। उक्त बयान झीरम कांड की सुनवाई कर रहे जस्टिस प्रशांत मिश्रा आयोग के सामने विधायक कवासी लखमा और अन्य गवाहों ने दिया।
कमिश्नर आफिस स्थित आयोग के दफ्तर में चल रही सुनवाई के दूसरे दिन कुल आठ लोगों ने बयान दर्ज कराया जिसमें कवासी लखमा के अलावा वीरेंद्र पांडे, ईश्वर खंबारी, शांति सलाम भी शामिल थे। कांग्रेस विधायक कवासी लखमा ने अपने बयान में कहा कि जिस जगह नक्सलियों ने एंबुश लगाया था वह ऊंची पहा़ि़डयों से घिरी थी। नक्सली चट्टानों के पीछे सुरक्षित जगह से मोर्चा ले रहे थे। लखमा ने कहा कि सरकार ने 25 मई 2013 को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा को कोई सुरक्षा नहीं दी थी। उन्होंने कहा कि पुलिस को घटना की तत्काल सूचना दी गई लेकिन पुलिस थाने में ही दुबकी रही। अगर तोंगपाल व दरभा से फोर्स निकलती या एक हेलिकॉप्टर ही घटनास्थल का चक्कर लगा लेता तो कई लोगों की जान बचाई जा सकती थी। नक्सली खाने पीने का सामान, घायल साथियों को ले जाने के लिए बांस के स्ट्रेचर आदि लेकर पूरी तैयारी से वहां पहुंचे थे। लखमा ने कहा कि वे नंदकुमार पटेल व दिनेश पटेल के साथ ही थे। उन्होंने नक्सलियों से काफी विनती की लेकिन वे नंदकुमार व दिनेश को नहीं बचा पाए जिसका उन्हें जिंदगी भर अफसोस रहेगा।
लखमा ने बताया के उनकी गाड़ी के कांच में गोली लगी थी जिसका एक टुकड़ा उनकी कनपटी पर लगा जिससे वे घायल हो गए थे।