सीमेंट प्लांट की जहरीली गैंसों से बनेगी बिजली
बिलासपुर [सुनीता ठाकुर]। हवा को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए एक सीमेंट फैक्टरी से निकलने वाली तमाम जहरीली गैसों व धूल कणों से अब बिजली बनाई जाएगी। सीमेंट कंपनी ने ही वायुमंडल को मुक्त रखने के लिए एक नई तकनीक का इस्तेमाल किया है। भीतर उठने वाले धूल कणों को खत्म करने के लिए हाल ही में करोड़ों रुपये के स्थापित यंत्र से अब कंपनी ने प्लांट से निकलने वाली गैसों को बाहर फेंकने के बजाए इनसे भीतर ही बिजली तैयार करने का फैसला किया है। इससे इन जहरीली गैसों के वायुमंडल में न जाने से आसपास के क्षेत्रों के लोगों को लगातार मैले हो रहे वातावरण से भी मुक्ति मिलेगी।
राज्य पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्लांट से निकल रही गैसों से हो रहे नुकसान से बचाव खोजने के लिए दिए गए निर्देशों के बाद ही कंपनी ने यह निर्णय लिया है।
इससे पहले इस तकनीक के आधार पर तमिलनाडु में भी बिजली पैदा की जा रही है। एसीसी कंपनी ने इस हीट बेस्ड पावर प्रोजेक्ट को स्थापित करने के लिए उपकरणों के आयात की तैयारी कर ली है।
दशकों पहले बरमाणा में सीमेंट फैक्टरी की स्थापना की गई थी। इस प्लांट के संचालन से निश्चित तौर पर भीतर व बाहर प्रदूषण तो फैलता ही है। इस संबंध में भीतर काम करने वाले कामगार तो समय-समय पर शिकायत करते ही हैं स्थानीय लोगों का भी कहना है कि फैक्टरी के कारण बढ़ रहे प्रदूषण से उनकी सांसें भी घुटती हैं।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एसडीओ रविंद्र शर्मा, कंपनी के एचआर हेड राजेंद्र ठाकुर व पर्यावरण शाखा के प्रभारी संदीप शर्मा ने बताया कि कंपनी ने प्लांट के भीतर उठने वाले धूल कणों पर काबू पाने के लिए हाल ही में लगभग 18 करोड़ की एक आधुनिक तकनीक वाला बैग हाउस फिल्टर स्थापित किया है। इस यंत्र में सारी धूल समा जाएगी। इससे भीतर काम करने वालों की सेहत बची रहेगी और यह प्रदूषण बाहर के वायुमंडल में भी नहीं जा सकेगा। उन्होंने बताया कि प्लांट की चिमनियों से कुछ गैसें ऐसी निकलती हैं जोकि गर्म होती हैं। ये वायुमंडल में नुक्सान करती हैं। अब तक कुछ और तरीकों से इन पर नियंत्रण किया जा रहा है लेकिन अब कंपनी ने फैसला किया है कि प्लांट की चिमनियों से निकलने वाली तमाम गर्म गैसों को प्लांट के भीतर ही प्रयोग कर लिया जाएगा।
इसके लिए भीतर ही वेस्ट हीट रिकवरी सिस्टम लगाया जा रहा है। इसके जरिये प्लांट में जल्द ही 75 करोड़ रुपये से भी अधिक लागत वाला एक हीट बेस्ड पावर प्लांट लगाया जाना है। गैसों को इस पावर प्लांट में जमा कर इनके भाप से ही पावर हाउस में बिजली तैयार होगी। उन्होंने बताया कि इससे पहले यह प्रयोग तमिलनाडु राज्य में ताड़पतरी क्षेत्र में किया गया है।
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