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पोस्ट ऑफिस के नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट में करना चाहते हैं निवेश तो ये 5 बातें आपको जाननी चाहिए

नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट में किया गया निवेश आयकर की धारा 80C के अंतर्गत कर छूट प्राप्त करने योग्य होता है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Fri, 25 Jan 2019 09:02 AM (IST)Updated: Sun, 27 Jan 2019 01:57 PM (IST)
पोस्ट ऑफिस के नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट में करना चाहते हैं निवेश तो ये 5 बातें आपको जाननी चाहिए
पोस्ट ऑफिस के नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट में करना चाहते हैं निवेश तो ये 5 बातें आपको जाननी चाहिए

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट या एनएससी इंडिया पोस्ट की ओर से पेश की जाने वाली नौ छोटी बचत योजनाओं में से एक है, जिसका संचालन आर्थिक मामलों का विभाग करता है। सरकार तिमाही आधार पर छोटी बचत योजनाओं पर मिलने वाली ब्याज दरों में संशोधन करती रहती है। 31 मार्च को खत्म होने वाली तिमाही के लिए पोस्ट ऑफिस की एनएससी पर 8 फीसद का ब्याज दिया जा रहा है। यह जानकारी इंडिया पोस्ट की आधिकारिक वेबसाइट indiapost.gov.in में दर्ज है। इस स्कीम पर मिलने वाली ब्याज दर की गणना सालाना आधार पर की जाती है लेकिन इसका भुगतान मैच्योरिटी पर होता है।

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पोस्ट ऑफिस के नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट से जुड़ी इन पांच बातों की जानकारी आपको होनी चाहिए:

  • योग्यता: एक एकल धारक प्रकार का प्रमाणपत्र एक वयस्क की ओर से खुद के लिए या नाबालिग के लिए और नाबालिग की ओर से खरीदा जा सकता है। यह जानकारी इंडिया पोस्ट की वेबसाइट पर दर्ज है, जो कि देशभर में 1.5 लाख पोस्ट ऑफिसेज का संचालन करता है।
  • मैक्सिमम निवेश: एनएससी खाता खोलने के लिए आप 100 रुपये या फिर इसके गुणकों में न्यूनतम निवेश के साथ शुरुआत कर सकते हैं। वहीं एनएससी में निवेश की कोई उच्चतम सीमा नहीं है।
  • मैच्योरिटी पीरियड: एक 100 रुपये का एनएससी आपको पांच वर्षों बाद मैच्योरिटी पर 146.93 रुपये दे सकता है। नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट में पांच वर्षों का लॉक इन पीरियड होता है। यह जानकारी भी इंडिया पोस्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
  • आयकर लाभ: नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट में किया गया निवेश आयकर की धारा 80C के अंतर्गत कर छूट प्राप्त करने योग्य होता है। आयकर की धारा 80C के अंतर्गत आप एक वित्त वर्ष के दौरान 1.5 लाख रुपये की कर छूट प्राप्त कर सकते हैं।
  • ट्रांसफर ऑफ सर्टिफिकेट: एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को प्रमाणपत्रों के हस्तांतरण के समय पुराने प्रमाणपत्रों का खारिज नहीं किया जाता है। पुराने होल्डर के नाम पर गोला बना दिया जाता है और पुराने प्रमाणपत्र पर नए होल्डर का नाम लिख दिया जाता है।

टैक्स बचाने के लिहाज से कैसा?

फाइनेंशियल प्लानर जितेंद्र सोलंकी ने बताया कि जैसा कि राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र पर मिलने वाला रिटर्न पूरी तरह से टैक्सेबल होता है लिहाजा यह हायर टैक्स स्लैब में आने वाले करदाताओं के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है। हां अगर आप किसी टैक्स स्लैब में नहीं और या तो फिर आप 10 फीसद की टैक्स स्लैब में है तो यह जरूर आपके लिए फायदे का सौदा हो सकता है। नहीं तो एनएससी की तुलना में आपको म्युचुअल फंड बेहतर रिटर्न दे सकता है।


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