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बैंकों के वित्तीय स्वास्थ्य का हाल पर पेश होगी रिपोर्ट, सरकार और आरबीआइ देश की बैंकिंग व्यवस्था को लेकर सतर्क

शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के समक्ष सरकारी क्षेत्र के बैंकों के वित्तीय स्वास्थ्य की समीक्षा करेंगी। इस बैठक में ही भारतीय बैंक संघ (आइबीए) की तरफ से एक प्रजेंटेशन दिया जाएगा जिसमें सरकारी बैंकिंग सेक्टर में हो रहे लगातार सुधार को दर्शाएगा।

By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarPublished: Fri, 24 Mar 2023 09:24 PM (IST)Updated: Fri, 24 Mar 2023 09:24 PM (IST)
बैंकों के वित्तीय स्वास्थ्य का हाल पर पेश होगी रिपोर्ट, सरकार और आरबीआइ देश की बैंकिंग व्यवस्था को लेकर सतर्क
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के समक्ष सरकारी क्षेत्र के बैंकों के वित्तीय स्वास्थ्य की समीक्षा करेंगी।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार जल्द ही सरकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति पर एक रिपोर्ट जारी करने की तैयारी में है। इस रिपोर्ट के जरिए यह भी बताने की कोशिश होगी कि किस तरह से मोदी सरकार के कार्यकाल में सरकारी बैंकिंग सेक्टर की सूरत बदल गई है और वह मौजूदा वैश्विक बैंकिंग संकट से भी प्रभावित नहीं होंगे।

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सरकार और आरबीआइ देश की बैंकिंग व्यवस्था को लेकर सतर्क

शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के समक्ष सरकारी क्षेत्र के बैंकों के वित्तीय स्वास्थ्य की समीक्षा करेंगी। इस बैठक में ही भारतीय बैंक संघ (आइबीए) की तरफ से एक प्रजेंटेशन दिया जाएगा जिसमें सरकारी बैंकिंग सेक्टर में हो रहे लगातार सुधार को दर्शाएगा।

बैंकिंग सेक्टर के सूत्रों का कहना है कि हाल ही में अमेरिका के सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) और यूरोप के क्रेडिट स्विस बैंक से जुड़े संकट को देखते हुए सरकार और आरबीआइ देश की बैंकिंग व्यवस्था को लेकर सतर्क है। शनिवार को होने वाली बैठक में इससे जुड़े तमाम पहलुओं पर चर्चा होगी।

सरकारी बैंक हर मानक पर वर्ष 2018 के मुकाबले आज ज्यादा मजबूत

आइबीए की तरफ से एक रिपोर्ट भारतीय बैंकों की तरफ से बांड बाजार में किये गये निवेश को लेकर भी तैयार किया गया है। इस रिपोर्ट से यह साफ होगा कि वैश्विक बांड बाजार में उथल-पुथल होने पर भारतीय बैंकों पर कितना असर हो सकता है। वैसे सरकारी बैंक हर मानक पर वर्ष 2018 के मुकाबले आज ज्यादा मजबूत स्थिति में हैं। मसलन, मार्च, 2018 में भारतीय बैंकों के फंसे कर्जे का स्तर 14.6 फीसद थी जो दिसंबर, 2022 में सिर्फ 5.53 फीसद रह गया है।

बैंकों की तरफ से वितरिक कुल लोन की प्रोविजनिंग को देखें तो इस दौरान यह आंकड़ा 46 फीसद से बढ़ कर 89.91 फीसद हो गई है। इसी तरह से पूंजी पर्याप्तता अनुपात 11.5 फीसद से बढ़ कर 14.5 फीसद हो गई है। आरबीआइ के नियमों के मुताबिक यह अनुपात 12 फीसद होनी चाहिए। यह बताता है कि बैंक जोखिम के सापेक्ष लगातार अपनी सुरक्षित राशि के अनुपात को बढ़ा रहे हैं।

भारतीय बैंकों का मुनाफा लगातार बढ़ रहा

आइबीए की तरफ से दिए जाने वाले प्रजेंटेशन में यह भी बताया जाएगा कि भारतीय बैंकों का मुनाफा भी लगातार बढ़ रहा है। जैसे अप्रैल, 2018 में यह मुनाफा 66,543 करोड़ रुपये का था लेकिन दिसंबर, 2023 में बढ़ कर 70,165 करोड़ रुपये का हो गया है।

इसमें एक आंकड़ा बैंकों के संचालन लागत को लेकर भी पेश किया जाएगा। साथ ही पिछले पांच वर्षों में सरकारी क्षेत्र में विलय के बाद इन बैंकों की स्थिति सुधरी है, इसे भी विस्तार से बताया जाएगा।

 


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