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अधिक जोखिम लेने वाले FPI को लेकर सख्त हुई SEBI, डिस्कलोजर लिमिट को लेकर नया प्रस्ताव

SEBI Consultation Paper सेबी ने एक प्रस्ताव पेश किया है जिसके लिए लोगों से राय भी मांगी है। सवाल उठता है कि सेबी ने किन कारणों की वजह से ये प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव को लेकर सेबी का उद्देश्य क्या है?

By Priyanka KumariEdited By: Priyanka KumariPublished: Wed, 31 May 2023 02:23 PM (IST)Updated: Wed, 31 May 2023 02:23 PM (IST)
अधिक जोखिम लेने वाले FPI को लेकर सख्त हुई SEBI, डिस्कलोजर लिमिट को लेकर नया प्रस्ताव
अधिक जोखिम लेने वाली FPI को लेकर सख्त हुई SEBI

 नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। New Rules for FPIs in SEBI Consultation Paper: मार्केट रेगुलेटर सेबी ने ज्यादा जोखिम वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के लिए अतिरिक्त डिसक्लोजर का प्रस्ताव पेश किया है। इसमें एमपीएस को लेकर किसी भी तरह की कोई छूट नहीं दी जाएगी। सेबी के प्रस्ताव के अनुसार, कुछ एफपीआई ने अपने इक्विटी पोर्टफोलियो का एक बड़ा हिस्सा एक कंपनी में केंद्रित किया हुआ है। कुछ मामलों में यह हिस्सेदारी लंबे समय से है।

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इसको लेकर सेबी ने कहा है कि

इस तरह के केंद्रित निवेश से यह चिंता और संभावना बढ़ती है। कई कॉरपोरेट ग्रुप्स के निवेशक न्यूनतम पब्लिक शेयरधारिता जैसी आवश्यकताओं से बचने के लिए एफपीआई का उपयोग कर रहे हैं।

सेबी ने अपने प्रस्ताव में हाई रिस्क वाले एफपीआई से बारीकी से जानकारी प्राप्त करने का प्रस्ताव किया है, जिनका निवेश एकल कंपनियों या कारोबारी समूहों में केंद्रित हैं। इस प्रस्ताव के तहत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को स्वामित्व, आर्थिक हित और ऐसे कोषों के नियंत्रण के बारे में अतिरिक्त खुलासा करने की जरूरत होगी।

सेबी ने 3 कैटेगरी का प्रस्ताव पेश किया है

नियामक ने जोखिम के आधार पर एफपीआई को तीन कैटेगरी में बांटने का सुझाव दिया है। इसमें सरकार और संबंधित यूनिट मसलन केंद्रीय बैंक और सॉवरेन संपदा कोष को कम जोखिम वाली श्रेणी में रखा गया है। वहीं पेंशन कोष और सार्वजनिक खुदरा कोष को मध्यम जोखिम के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इनके अलावा अन्य सभी एफपीआई को उच्च जोखिम वाली श्रेणी में रखा गया है।

कितनी है डिस्कोलजर लिमिट?

सेबी ने प्रस्तावित सीमा में, सिंगल कॉर्पोरेट ग्रुप में संपत्ति का 50 फीसदी और मौजूदा हाई रिस्क वाले एफपीआई आएंगे। जिनकी भारतीय बाजार में कुल मिलाकर 25,000 करोड़ रुपये से अधिक की हिस्सेदारी है। ऐसे में विदेशी निवेशकों को ज्यादा डिस्क्लोजर देना होगा।

इसका मतलब है कि विदेशी निवेशक जितना ज्यादा निवेश करेंगे, उतनी ही सेबी को जानकारी देनी जरूरी होगी।

सेबी ये प्रस्ताव क्यों लेकर आया है?

सेबी ने ये प्रस्ताव इसलिए किया है, ताकि निवेश पर रिस्क को सीमि​त किया जा सके। इस प्रस्ताव में विदेशी निवेशकों के लिए अतिरिक्त ट्रांसपैरेंसी बढ़ाने की भी बात कही गई है।

 


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