बदल रहे हैं नौकरी तो जरूर याद रखें ये तीन बातें होगा आपका फायदा
नौकरी बदलने का विचार बना रहे हैं तो आपके लिए ये तीन बातें याद रखना बेहद जरूरी है क्योंकि ये आपको फायदा दिला सकती हैं
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। अगर आप नौकरीपेशा हैं और जल्द ही नौकरी बदलने की योजना बना रहे हैं तो यह खबर आपके काम की हो सकती है। नौकरी बदलने के दौरान अक्सर लोग कुछ अहम बातों को भूल जाते हैं। इनके चलते उन्हें नई कंपनी में दिक्कतों का सामना करना पड़ जाता है। हम अपनी इस खबर में आपको ऐसे तीन कामों के बारे में बता रहें हैं जिन्हें आपको नौकरी छोड़ते ही जल्द से जल्द पूरा कर लेना चाहिए।
नई कंपनी को जरूर बताएं अपना पुराना यूएएन: नई कंपनी से जुड़ते ही अपने नियोक्ता को पुराने यूएएन नंबर के बारे में सूचना जरूर दें। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपको बाद में मुश्किल हो सकती है। क्योंकि ऐसी सूरत में आपका नियोक्ता आपके लिए नया यूएएन नंबर जेनरेट कर सकता है। ऐसे में आपको पुराने यूएएन को नए में मर्ज कराने या फिर उसका पैसा निकालने में तमाम तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए बेहतर होगा कि ज्वाइनिंग के दिन ही आप अपने नियोक्ता को बताएं कि पुरानी कंपनी में आपका यूएनएन (UAN) नंबर है जो कि एक्टिवेट भी है लिहाजा आप उसी को जारी रखें। ऐसा कर आप तमाम झंझटों से बच सकते हैं।
हालांकि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) खातों को मर्ज करने की सुविधा या फिर आंशिक निकासी या फिर ट्रांसफर सुविधा देता है लेकिन इसकी एक लंबी प्रक्रिया है। साइट पर जाकर विभिन्न फॉर्म भरने व अनिवार्यताओं को पूरा करना होता है। इन सब दिक्कतों से बचने और पुराने खाते में योगदान जारी रखने के लिए अपना पुराना यूएएन की नई कंपनी में जमा कराएं।
सैलरी अकाउंट को जरूर बंद कराएं: सामान्य तौर पर बैंक सैलरी अकाउंट में लगातार तीन महीने तक सैलरी न आने की सूरत में उसे समान्य सेविंग अकाउंट में बदल देते हैं और इसमें पर्याप्त राशि मेंटेन न करने पर बैंक आपसे पेनल्टी भी वसूलते हैं। बैंकों की ओर से इस संबंध में वसूली जाने वाली पेनल्टी और सैलरी अकाउंट को सेविंग अकाउंट में बदलने की अवधि अलग अलग हो सकती है। कुछ बैकों में 6 महीने तक मिनिमम बैलेंस मेंटेन न करने के बाद बैंक आपसे शुल्क वसूलते हैं। ऐसे में बेहतर होगा कि आप नौकरी छोड़ते ही अपनी पुरानी कंपनी की ओर से खुलवाए गए सैलरी अकाउंट को बंद करवा दें ताकि आप खुद को बैंक के जुर्माने से बचा पाएंँ।
नौकरी छोड़ने से पहले लें फॉर्म 16: नौकरी छोड़ते समय कंपनी के एचआर के पास नो ड्यूज और एनओसी तो सब जमा कराते ही है, लेकिन इस बीच हम कुछ जरूरी कागजात लेना भूल जाते हैं। इनमें सबसे जरूरी फॉर्म 16 होता है। फॉर्म 16 की जरूरत निवेश प्रमाण और कर भुगतान के समय पड़ती है। आपको बता दें कि फॉर्म 16 न होने की स्थिति में कर की सटीक गणना में दिक्कत होती है। इसलिए कपंनी छोड़ते समय अपने नियोक्ता से यह फॉर्म जरूर ले लें। इससे आईटीआर फाइलिंग में भी सहूलियत होती है। गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2018 के लिए रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई, 2018 है।