Tokenisation of debit-credit cards: सितंबर तक डेबिट-क्रेडिट कार्ड का टोकेनाइजेशन है जरूरी, जानें स्टेप बाय स्टेप प्रॉसेस
Card Tokenisation डेबिट और क्रेडिट कार्ड से लेन-देन को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने कार्ड टोकेनाइजेशन की शुरुआत की थी। इसकी समयसीमा बढ़ाकर सितंबर तक कर दी गई है। आइए जानते हैं इसके बारे में सभी डिटेल्स।
नई दिल्ली, एजेंसी। Card Tokenization: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस साल 30 सितंबर से डेबिट और क्रेडिट कार्ड के ऑनलाइन, प्वाइंट ऑफ सेल और इन-एप्स ट्रांजैक्शंस के लिए यूनिक टोकन अनिवार्य कर दिया है। डेबिट-क्रेडिट कार्ड का टोकेनाइजेशन वास्तव में ट्रांजैक्शंस के दौरान अतिरिक्त सुरक्षा उपलब्ध कराने का एक जरिया है, इससे लोगों के डिजिटल पेमेंट का अनुभव भी पहले से बेहतर होगा। आइए, विस्तार से जानते हैं कि Debit या Credit Card Tokenisation आखिर है क्या और यह कैसे काम करेगा।
Tokenisation क्या है?
RBI के अनुसार, टोकेनाइजेशन वास्तविक क्रेडिट कार्ड की जानकारियों की जगह इस्तेमाल किया जाने वाला एक कोड है, जिसे Token कहते हैं।
क्या हैं टोकेनाइजेशन के फायदे?
टोकेनाइज्ड कार्ड से लेनदेन ज्यादा सुरक्षित माना जाता है, क्योंकि मर्चेंट के यहां होने वाले ट्रांजैक्शंस के दौरान कहीं भी डेबिट या क्रेडिट कार्ड्स की वास्तविक जानकारी नहीं दी जाती है।
क्या है कार्ड टोकेनाइजेशन की प्रक्रिया?
अगर आप अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड को टोकेनाइज करवाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको टोकेन रिक्वेस्टर द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले एप पर आवेदन करना होगा। टोकेन रिक्वेस्टर आपके इस आवेदन को कार्ड नेटवर्क को फॉरवर्ड करेगा। फिर, कार्ड जारी करने वाले बैंक या एनबीएफसी की अनुमति ली जाएगी। इसके बाद आपको कंबिनेशन ऑफ कार्ड, टोकेन रिक्वेस्टर और डिवाइस के हिसाब से एक टोकेन दिया जाएगा।
कौन उपलब्ध करा सकता है टोकेन?
टोकेनाइजेशन की प्रक्रिया को सिर्फ ऑथराइज्ड कार्ड नेटवर्क ही अंजाम दे सकते हैं। प्राधिकृत इकाइयों के नाम भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।
कितना है टोकेनाइजेशन का शुल्क?
अच्छी बात यह है कि अगर आप अपने डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड का टोकेनाइजेशन करवाते हैं तो इसके लिए आपको किसी तरह के शुल्क का भुगतान नहीं करना होता है।
क्या कार्ड का टोकेनाइजेशन किसी कार्डधारक के लिए अनिवार्य है?
कार्ड का टोकेनाइजेशन करवाना या न करवाना ग्राहक की अपनी इच्छा पर निर्भर करता है। अगर आप कार्ड का टोकेनाइजेशन नहीं करवाना चाहते तो आप पहले की तरह अपने ट्रांजैक्शंस जारी रख सकते हैं।
RBI ने 3 महीने बढ़ाई थी टोकेनाइजेशन की अंतिम तिथि
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने जुलाई में कार्ड टोकेनाइजेशन की अवधि 3 महीने बढ़ा दी थी, ताकि इस अवधि के दौरान उद्योग जगत टोकेनाइज्ड ट्रांजैक्शंस के लिए पूरी तरह तैयार हो जाए। 24 जुलाई को आरबीआई ने कहा था कि लगभग 19.5 करोड़ टोकेन अभी तक दिए जा चुके हैं। आरबीआई ने समयसीमा में इसलिए भी विस्तार किया था, ताकि लोग टोकेनाइजेशन को लेकर जागरूक हों, टोकेन बनाने की प्रक्रिया को समझें और फिर अतिरिक्त सुरक्षा के साथ लेन-देन कर सकें।