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अब आरबीआई ने भी दी पेट्रोल-डीजल पर टैक्स घटाने की नसीहत!

पेट्रोल डीजल को जीएसटी यानि गुड्स एन्ड सर्विसेज के दायरे में लाने की लगातार मांग उठ रही है जिससे दोनों ईंधन पर टैक्स का बोझ कम हो सके। लेकिन जीएसटी कॉउंसिल की बैठक में कई राज्यों ने पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का विरोध किया।

By Vineet SharanEdited By: Published: Sat, 09 Oct 2021 02:18 PM (IST)Updated: Sun, 10 Oct 2021 08:05 AM (IST)
अब आरबीआई ने भी दी पेट्रोल-डीजल पर टैक्स घटाने की नसीहत!
अक्टूबर माह में पेट्रोल 2.20 रुपये और डीजल 2.60 रुपये प्रति लीटर महँगा हो चुका है।

नई दिल्ली, जेएनएन। लगातार मंहगे हो रहे पेट्रोल डीजल ने आम आदमी की जेब तो ढीली कर ही दी है। पर महँगे ईंधन ने भारतीय रिजर्व बैंक की भी परेशानी बढ़ा दी है। यही वजह है शुक्रवार को आरबीआई की द्विमासिक कर्ज नीति का एलान करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास को अप्रत्यक्ष तौर पर सरकार से पेट्रोल डीजल पर टैक्स घटाने की अपील करनी पड़ी।

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आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि ईंधन पर अप्रत्यक्ष करों को चरणबद्व तरीके से नियंत्रित करने के प्रयास से मुद्रास्फीति को कम करने और मुद्रास्फीति की संभावित आशंका को कम करने में मदद मिलेगी। दरअसल केवल अक्टूबर महीने में ही अब आठ बार पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ चुके हैं। राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 103.84 रुपये और डीजल 92.47 रुपये प्रति लीटर में मिल रहा।

तो भोपाल में पेट्रोल 112.38 रुपये और डीजल 101.54 रुपये प्रति लीटर में मिल रहा। केवल अक्टूबर माह में पेट्रोल 2.20 रुपये और डीजल 2.60 रुपये प्रति लीटर महँगा हो चुका है।

महँगे पेट्रोल डीजल के अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में आई तेजी जिम्मेदार है हालांकि यह भी सच है कि पेट्रोल डीजल की कीमतों में आधा हिस्सा इसपर केंद्र और राज्यों द्वारा वसूले जाने वाले टैक्स का है। केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी तो राज्य सरकारें वैट वसूलती है।

कोविड महामारी के दौरान जब कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई थी तब सरकार ने पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में बेतहाशा बढ़ोतरी कर दी जिसे अब तक वापस नहीं लिया गया है। पिछले वर्ष कोरोना काल के दौरान केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर 13 रूपये और डीजल पर 16 रूपये एक्साइज ड्यूटी और इंफ्रास्ट्रक्चर सेस के नाम पर टैक्स बढ़ाया था। जैसे ही पेट्रोल डीजल महँगा होता है एड वेलोरम वैट वसूले जाने के कारण राज्यों द्वारा वसूला जाने वाला वैट भी अपने आप बढ़ जाता है।

पेट्रोल डीजल को जीएसटी यानि गुड्स एन्ड सर्विसेज के दायरे में लाने की लगातार मांग उठ रही है जिससे दोनों ईंधन पर टैक्स का बोझ कम हो सके। लेकिन हाल ही में हुए जीएसटी कॉउंसिल की बैठक में कई राज्यों ने पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का पुरजोर विरोध किया। क्योंकि राज्यों के राजस्व का ये बड़ा स्रोत है।

वहीं पेट्रोल डीजल पर टैक्स नहीं घटा तो आम लोगों को इसकी महँगाई और परेशान कर सकती है क्योंकि कई जानकार कच्चे तेल के दामों में भारी उछाल की आशंका जाहिर कर रहे हैं। गोल्डमैन सैक्स ने तो कच्चे तेल की कीमतों के 90 डॉलर प्रति बैरल पर जाने की भविष्यवाणी की है। ऐसा हुआ तो जाहिर है महँगाई लोगों को सता सकती है। साथ ही सस्ते ब्याज दर का दौर भी खत्म हो सकता है। 


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