रेहड़ी-पटरी वालों को बड़ी राहत, अब PM SVANidhi के तहत मिल सकता है एक लाख तक का लोन
रेहड़ी-पटरी पर दुकान लगाने वाले दुकानदारों को सरकार ने अब पीएम स्वनिधि (PM SVANidhi) के तहत एक लाख रुपये तक के लोन देने दे सकती है। फिलहाल इस योजना के तहत इन दुकानदारों को दस हजार रुपये तक का ब्याजमुक्त कर्ज दिया जा रहा है।
मनीष तिवारी, नई दिल्ली: रेहड़ी-पटरी वालों को कोरोना महामारी के बाद फिर से अपना व्यवसाय शुरू करने का अवसर देने वाली प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना को संसदीय समिति ने समाज में सबसे पीछे खड़े वर्ग के उत्थान के लिए बेहद अहम माना है और इसके तहत एक लाख रुपये तक का लोन देने की सिफारिश की है।
योजना को पूरे होंगे तीन साल
पीएम स्वनिधि योजना गुरुवार यानी 1 जून को तीन साल पूरे हो जाएंगे। इसके तहत 42 लाख से अधिक रेहड़ी-पटरी दुकानदारों को कम से कम दस हजार रुपये तक का ब्याजमुक्त कर्ज दिया गया है। इस योजना के संचालन में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना जैसे राज्य सबसे आगे हैं। संसदीय समिति ने कहा कि इस योजना के लिए धन की कमी नहीं होगी।
1 लाख रुपये का मिल सकता है लोन
योजना की सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि रेहड़ी-पटरी वाले लाखों दुकानदार औपचारिक रूप से बैंकिंग व्यवस्था से जुड़े हैं। अगर कोई दुकानदार अपने व्यवसाय का विस्तार करना चाहता है और लोन लौटाने के मामले में उसकी साख अच्छी है तो उसे एक लाख रुपये का लोन भी मिलना चाहिए।
50 हजार तक मिल सकता है लोन
अभी पीएम स्वनिधि योजना के तहत शुरुआती लोन दस हजार रुपये मिलता है। इसके बाद कोई दुकानदार अपनी क्रेडिट रेटिंग के आधार पर बीस हजार और पचास हजार रुपये तक का लोन ले सकता है। समिति ने आवास और शहरी कार्य मंत्रालय से इस योजना के असर का आकलन करने के लिए अध्ययन कराने की भी सिफारिश की है।
योजना के लिए आवंटित किए गए 468 करोड़ रुपये
रेहड़ी-पटरी दुकानदारों को सीधा लाभ पहुंचाने वाली इस योजना को पहले केवल मार्च 2022 तक ही चलना था, लेकिन इसके महत्व और सफलता को देखते हुए इसे 2024 के अंत तक बढ़ा दिया गया है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में पीएम स्वनिधि योजना के लिए 468 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
इस अवधि में आठ लाख लोन वितरित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वैसे 2024 के अंत तक पहली, दूसरी और तीसरी किस्त वाले कुल 57 लाख लोन वितरित करने का जो लक्ष्य रखा गया है, उसे पाना मंत्रालय के लिए आसान नहीं होगा, क्योंकि अप्रैल 2023 तक कुल 42.70 लाख लोन ही दिए जा सके हैं।
शहरी कार्य मंत्रालय के प्रवक्ता राजीव जैन के अनुसार इस योजना की मदद से वित्तीय समावेशन और रेहड़ी-पटरी वालों को मुख्यधारा में लाने के लिए तमाम मील के पत्थर स्थापित किए गए हैं। हमारे लिए यह लक्ष्य हासिल करना कठिन नहीं होगा। सभी पीएम स्वनिधि लाभार्थियों को डिजिटल लेन-देन के लिए तैयार करने तथा उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए शहरी कार्य मंत्रालय कई कदम उठा रहा है।
निजी बैंकों को जोड़ना चुनौती
इस योजना के तहत निजी बैंकों ने केवल 93,164 लोन ही रेहड़ी-पटरी वालों को दिए हैं, जो कि कुल ऋण का केवल 2.21 प्रतिशत हैं। मंत्रालय ने इसको लेकर बैंकों और अन्य कर्जदाताओं के साथ कई समीक्षा बैठकें की हैं, लेकिन निजी बैंकों की हिचक कायम है।