बढ़ते नकदी संकट से प्रभावित होने लगे छोटे और मझोले कारोबार, बढ़ सकती है बेरोजगारी!
सरकारी बैंकों के साथ हुई बातचीत के बाद आरबीआई के नए गवर्नर शक्तिकांत दास ने जिस तरह से संकेत दिए हैं, उसे देखकर नकदी संकट की समस्या के जल्द खत्म होने की उम्मीद है।
नई दिल्ली (अभिषेक पराशर)। आईएलएंडएफएस (इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज) संकट के बाद बैंकिंग सिस्टम में पैदा हुई नकदी की समस्या अब देश के आम लोगों को प्रभावित करने लगी है।
बैंकों के बढ़ते एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) के बाद आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) की तरफ से 23 में से 11 सरकारी बैंकों के कर्ज बांटने पर प्रतिबंध लगाए जाने की वजह से बैंकिंग सिस्टम पहले से ही नकदी किल्लत का सामना कर रहा था, जिसे आईएलएंडएफएस संकट ने और गंभीर कर दिया है।
एमएसएमई पर असर आईएलएंडएफ संकट का सबसे बड़ा असर नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (एनबीएफसी) पर पड़ा है, जो बड़े पैमाने पर छोटे और मझोले उद्योगों (एमएसएमई) के साथ होम लोन, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स लोन और भारी वाहनों समेत अन्य सहायक आर्थिक गतिविधियों में मददगार इंडस्ट्री की मदद करते हैं।
वरिष्ठ अर्थशास्त्री अरुण कुमार बताते हैं, ‘’नोटबंदी और जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) की वजह से छोटे उद्योग पहले से ही दबाव में थे और अब इस संकट ने उनकी फंडिंग की राहत को मुश्किल कर दिया है, जिसका असर कामगार तबके पर पड़ेगा और बेरोजगारी में इजाफा होगा।’’
थिंक टैंक सीएमआईई के मुताबिक अक्टूबर में बेरोजगारी का आंकड़ा 6.9 फीसदी को छू चुका है, जो दो सालों में सबसे अधिक है।
हाल ही में आए जीडीपी आंकड़ें भी इस तरफ इशारा कर रहे हैं। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की जीडीपी कम होकर 7.1 फीसद हो गई है।
संकट में रियल एस्टेट सेक्टर रोटी, कपड़ा और मकान किसी भी इंसान की बुनियादी जरूरतों में शुमार है। नकदी संकट की स्थिति अब घर के सपने को पूरा करने की स्थिति में बाधा बन रही है।
एनबीएफसी की तरलता संकट प्रॉपर्टी डेवलपर्स के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। एनबीएफसी के पोर्टफोलियो के आधार पर देखा जाए तो इसका करीब 40 फीसद हिस्सा कमर्शियल रियल एस्टेट और हाउसिंग सेक्टर का है।
बैंकों की तरफ से रियल एस्टेट सेक्टर को नजरअंदाज किए जाने के बाद पिछले कुछ वर्षों के दौरान डेवलपर्स को करीब उनकी आधी फंडिंग एनबीएफसी कंपनियों से मिली है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की रिपोर्ट के मुताबिक, रियल एस्टेट (कमर्शियल) और हाउसिंग (रिहायशी) को सबसे ज्यादा लोन एनबीएफसी (कुल पोर्टफोलियो का करीब 70 फीसद) से मिला है।
अरुण कुमार ने कहा, ‘अब एनबीएफसी को हो रही दिक्कतों की वजह से डेवलपर्स के साथ हाउसिंग फाइनेंस की कंपनियों को दिक्कत हो रही है।’ उन्होंने कहा कि रियल एस्टेट सेक्टर संगठित क्षेत्र में रोजगार सृजन का सबसे बड़ा क्षेत्र रहा है। नोटबंदी ने इसे पहले झटका दिया था और अब यह तरलता संकट इसकी रिकवरी में परेशानी खड़ी कर रही है।
कुमार ने कहा, ‘इसकी वजह से बेरोजगारी में भी इजाफा होगा।’
पिछले एक साल में बीएसई के रियलिटी इंडेक्स में भी 35 फीसद से अधिक की गिरावट आई है और इंडेक्स में शामिल कई कंपनियों का बाजार पूंजीकरण घटकर आधा हो चुका है।
घट सकती हैं भारी व्यावसायिक वाहनों की बिक्री आईलएंडएफएस संकट के बाद भारी व्यावसायिक वाहनों की बिक्री कम होने का खतरा मंडरा रहा है। गौरतलब है कि भारी ट्रकों की खरीद का 100 फीसद हिस्सा फाइनेंसिंग के जरिए होता है और कुल व्यावसायिक वाहनों की बिक्री में इसकी हिस्सेदारी 36 फीसद होती है।
भारी वाहनों की बिक्री में हुई कमी का असर सहायक क्षेत्रों में उत्पन्न होने वाले आर्थिक गतिविधियों पर पड़ेगा, जो सीधे तौर पर रोजगार को प्रभावित करेगा।
ग्रोथ की मौजूदा रफ्तार को देखते हुए तरलता संकट का असर अर्थव्यवस्था पर पड़ने की आशंका है। अरुण कुमार बताते हैं कि अगर यह स्थिति लंबे समय तक जारी रही है तो इसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘अर्थव्यवस्था अभी भी सुस्ती के दौर से ही गुजर रही है। ऐसे में नकदी संकट का असर इसे प्रभावित कर सकता है।’
हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले दिनों में बैंकिंग व्यवस्था में नकदी संकट की स्थिति में सुधार आएगा। आरबीआई बॉन्ड खरीददारी कर बाजर में तरलता की स्थिति सामान्य करने की कोशिश कर रहा है। वहीं, विशेषज्ञों के एक धड़े का मानना है कि आरबीआई को पीसीए में कुछ छूट देकर बैंकों को कर्ज देने की अनुमति देनी चाहिए। सरकारी बैंकों के साथ हुई बातचीत के बाद आरबीआई के नए गवर्नर शक्तिकांत दास ने जिस तरह से संकेत दिए हैं, उसे देखकर नकदी संकट की समस्या के जल्द खत्म होने की उम्मीद है।
यह भी पढ़ें: ILFS संकट का असर, DHFL ने की म्युचुअल फंड कारोबार को बेचने की घोषणा