जानिए, क्या है कैश मैनेजमेंट बिल
कैश मैनेजमेंट बिल के जरिए थोड़े समय के लिए धनराशि उधार लेने की शुरुआत 2010 में हुई थी
नई दिल्ली (हरिकिशन शर्मा)। केंद्र सरकार उधार लेने के लिए बांड और ट्रेजरी बिल (टी-बिल) जैसी गवर्नमेंट सिक्युरिटीज जारी करती है। बांड एक वर्ष या इससे अधिक अवधि के लिए धनराशि उधार लेने के मकसद से जारी किए जाते हैं, जबकि टी-बिल एक साल से कम अवधि के लिए जारी किए जाते हैं। लेकिन सरकार को जब महज कुछ हफ्ते या एक-दो महीने जैसी छोटी अवधि के लिए धनराशि उधार लेने की जरूरत पड़ती है तो वह ‘कैश मैनेजमेंट बिल’ का सहारा लेती है।
कई बार ऐसा होता है कि किसी महीने में टैक्स, खासतौर पर एडवांस टैक्स का संग्रह सरकार की अपेक्षा के अनुरूप नहीं होता है। उस माह के दौरान विकास कार्यो पर पहले से निर्धारित खर्च की भरपाई के लिए सरकार थोड़े समय के लिए सीएमबी के जरिये उधार लेती है।
2010 में हुई थी सीएमबी की शुरुआत:
भारत में ‘कैश मैनेजमेंट बिल’ के जरिए थोड़े समय के लिए धनराशि उधार लेने की शुरुआत 2010 में हुई थी। सरकार ने बैंकिंग क्षेत्र के नियामक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) से विचार विमर्श कर यह नया इंस्ट्रूमेंट शुरू किया था। अमेरिका में भी यूएस ट्रेजरी थोड़े समय के लिए धनराशि उधार लेने को कैश मैनेजमेंट बिल जारी करता है।
डिस्काउंट ही होता है निवेशक का लाभ
सीएमबी और टी-बिल में दूसरी समानता यह है कि इन पर ब्याज नहीं दिया जाता, बल्कि ये डिस्काउंट पर बेचे जाते हैं। हालांकि इसे फेस वैल्यू पर भुनाया जा सकता है। ऐसे में डिस्काउंट मूल्य और इनकी फेस वैल्यू के बीच जो अंतर होता है, वह निवेशक के लिए ब्याज की तरह होता है। उदाहरण के लिए किसी ‘कैश मैनेजमेंट बिल’ का अंकित मूल्य 100 रुपये है और उसे 98.20 रुपये में बेचा जाता है तो इस पर निवेशक को 1.80 रुपये रिटर्न मिलेगा, जो उसके लिए ब्याज की तरह होगा।
सिर्फ 91 दिन से कम अवधि के लिए ही जारी होता है
असल में ‘कैश मैनेजमेंट बिल’ बिल्कुल टी-बिल की तरह ही होते हैं। फर्क बस इतना है कि ये सिर्फ 91 दिन से कम की अवधि के लिए ही जारी किए जाते हैं। उदाहरण के लिए चालू वित्त वर्ष में सरकार ने चार जून को 21 दिन की परिपक्वता अवधि का कैश मैनेजमेंट बिल जारी कर 20,000 करोड़ रुपये उधार लिए। इसी तरह सरकार ने 11 जून को 70 दिन, 25 जून को 45 दिन और 10 जुलाई को फिर 70 दिन की अवधि के सीएमबी जारी किए। माना जा रहा है कि चालू वित्त वर्ष के शुरुआती महीनों में जीएसटी संग्रह और अग्रिम कर भुगतान अपेक्षानुरूप न रहने तथा अधिक राशि के रिफंड जारी करने के चलते नकद उपलब्धता में अंतर की स्थिति बनी थी, जिसे दूर करने के लिए सीएमबी जारी किए गए।