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आयकर विभाग के हर नोटिस का होता है अपना मतलब, जानिए इसके बारे में

अगर आप आयकर विभाग की ओर से भेजे जाने वाले मैसेज का मतलब नहीं समझ पाते हैं तो यह खबर आपके काम की है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Fri, 01 Jun 2018 03:51 PM (IST)Updated: Sat, 16 Jun 2018 11:11 AM (IST)
आयकर विभाग के हर नोटिस का होता है अपना मतलब, जानिए इसके बारे में
आयकर विभाग के हर नोटिस का होता है अपना मतलब, जानिए इसके बारे में

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। आयकर विभाग कभी-कभी मोबाइल मैसेज के जरिए तो कभी ईमेल के जरिए लोगों को नोटिस भेजता है। इसमें से आयकर की धारा 143(1) के तहत भेजा गया नोटिस प्रमुख होता है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि आयकर विभाग की ओर से भेजे जाने वाले हर नोटिस का अपना अलग मतलब होता है। आपको बता दें कि आयकर विभाग की ओर से भेजे गए अधिकांश नोटिस आयकर रिटर्न से जुड़े हुए होते हैं। हम अपनी इस स्टोरी में आपको आयकर विभाग की ओर से भेजे जाने वाले अलग-अलग नोटिस का मतलब बता रहे हैं। गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2017-18 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2018 है।

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क्या है 143(1) का मतलब?

टैक्स एक्सपर्ट और चार्टेड अकाउंटेंट अंकित गुप्ता ने बताया कि टैक्स की भाषा में इसे लेटर ऑफ इंटीमेशन (Letter of Intimation) कहा जाता है। यह नोटिस बताता है कि आपकी ओर से भरा गया रिटर्न सही है या गलत। रिटर्न फाइल करने के दौरान अगर आपने इंटरेस्ट की जानकारी (डेटा) गलत भर दी हो या फिर कोई छोटी- मोटी गलती कर दी हो तो भी आपको ऐसा नोटिस भेजा जा सकता है। मूल रूप से यह नोटिस आपसे कहता है कि आपने रिटर्न में जो भी गलतियां की हैं उनमें सुधार कर लें।

मैसेज में क्या भेजता है आयकर विभाग: आयकर विभाग की ओर से भेजे गए इस मैसेज में दो कॉलम होते हैं। एक में आपकी ओर से भरे गए टैक्स की डिटेल होती है और दूसरे कॉलम में आपको आयकर कानून के हिसाब से कितना टैक्स अदा करना था उसकी डिटेल होती है। अगर ये दोनों डेटा समान (एक जैसे) हैं यानी आपकी बैलेंस लायबिलिटी शून्य है तो आपको बिल्कुल भी घबराने की जरूरत नहीं है।

मैसेज आने के बाद आपको क्या करना चाहिए?

143(1) के तहत आने वाले टैक्स नोटिस को नोटिस ऑफ डिमांड कहा जाता है। यानी अगर आपकी कोई टैक्स देनदारी बकाया है तो आप इस मैसेज के मिलने से 20 दिनों के भीतर उसका भुगतान कर दें। अगर आप इसमें देरी करते हैं तो 30 दिन बीत जाने के बाद आपको एक फीसद की दर से मासिक ब्याज अदा करना होगा।

किन सूरतों में आ सकता है नोटिस:

इस तरह का नोटिस आने की तीन सूरतें होती हैं.....

  • अगर आपने रिटर्न के दौरान जो टैक्स भरा है आपकी देनदारी उससे ज्यादा बन रही हो।
  • अगर आपने रिटर्न के दौरान जो टैक्स भरा है आपकी देनदारी उससे कम बन रही हो।
  • या फिर आपने रिटर्न सही भरा है। एक्सपर्ट मानते हैं कि ऐसा नोटिस अमूमन हर करदाता के पास आता है। अगर आपके पास ऐसा नोटिस नहीं आता है तो आप मान सकते हैं कि आपका रिटर्न प्रोसेस नहीं किया गया है।

जानिए किस तरह के नोटिस का क्या मतलब होता है...

सेक्शन 143 (1): आयकर की इस धारा के अंर्तगत भेजे गए नोटिस का मतलब Intimation Notice होता है। यह नोटिस बताता है कि आपकी ओर से फाइल किए गए रिटर्न में क्या गलतियां हैं। इसलिए बेहतर रहेगा कि आप अपने ऊपर बनने वाली कुल टैक्स देनदारी का भुगतान कर दें। ऐसा करने से यह नोटिस अपने आप खारिज हो जाएगा।

सेक्शन 143 (2): इस नोटिस के तहत आयकर विभाग आपसे पूरे साल के दौरान टैक्स से जुड़ी कुछ जानकारियां मांगता है। इस स्थिति में यह बेहतर रहेगा कि आप अपने सीए से संपर्क करें,क्योंकि इस नोटिस का जवाब देने के लिए आपके सीए को ही Appear होना पड़ता है। आप व्यक्तिगत तौर पर इस नोटिस का जवाब देने के लिए प्रत्तुत नहीं हो सकते हैं।

सेक्शन 144: इस प्रकार का नोटिस उस सूरत में आएगा जब आपने रिटर्न फाइल न किया हो या फिर आपने डिपार्टमेंट की ओर से मांगी गई किसी भी जानकारी का जवाब न दिया हो। इस नोटिस के तहत इनकम टैक्स ऑफिस के पास यह अधिकार होता है कि वो आपको बता दें कि आप पर कितनी टैक्स देनदारी है। अगर विभाग ऐसा करता है तो आपको पेनल्टी और इंटरेस्ट के साथ टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा।

सेक्शन 133 (4)/ 142: इस तरह के नोटिस के जरिए टैक्स डिपार्टमेंट आपसे जानकारी मांग सकता है जिसमें आपकी आपके बैंक में आई और बैंक से निकाली गई राशि के संबंध में जानकारी मांगी जाएगी। साथ ही वह शेयर के पर्चेज और डील की जानकारी भी पूछ सकता है। बेहतर होगा कि अपने सीए से सलाह लिए बगैर जवाब न दें क्योंकि एक बार भेजा गया जवाब दोबारा बदला नहीं जा सकेगा।


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