अपने इस फैसले के लिए याद किए जाते हैं पूर्व वित्त मंत्री वीपी सिंह, प्रधानमंत्री के तौर पर भी दे चुके हैं सेवाएं
वीपी सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने 31 दिसम्बर 1984 से 23 जनवरी 1987 तक वित्त मंत्री की भूमिका भी निभाई
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। 5 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करेंगी। वित्त मंत्री के तौर पर यह सीतारमण का भी पहला बजट होगा। भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में कई वित्त मंत्रियों का योगदान रहा है। हर किसी ने अपने-अपने तरीके से सुधार किया। हम आज इस खबर में पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की बात कर रहे हैं।
प्रारंभिक जीवन
विश्वनाथ प्रताप सिंह का जन्म 25 जून 1931 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद ज़िले में एक राजपूत ज़मीनदार परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम राजा बहादुर राय गोपाल सिंह था। वीपी सिंह के नाम से पहचाने जाने वाले विश्वनाथ प्रताप सिंह का विवाह 25 जून 1955 को सीता कुमारी के साथ हुआ। इनसे वीपी सिंह को दो पुत्र हुए।
वीपी सिंह की पढाई की शुरुवात देहरादून के कैंब्रिज स्कूल से हुई थी। आगे का अध्ययन इलाहाबाद से पूरा किया। वे पूना विश्वविद्यालय से भी पढ़े। वह 1947-1948 में उदय प्रताप कॉलेज, वाराणसी की विद्यार्थी यूनियन के अध्यक्ष रहे। वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्टूडेंट यूनियन में उपाध्यक्ष भी थे। विश्वनाथ प्रताप सिंह युवा काल में ही राजनीति में दिलचस्पी लेने लगे थे। वे बहुत जल्द ही भारतीय कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़ गए। 1969-1971 में वह उत्तर प्रदेश विधानसभा में पहुंचे। वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। इसके बाद वह केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री बने। विश्वनाथ प्रताप सिंह राज्यसभा के भी सदस्य रहे। जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने 31 दिसम्बर 1984 से 23 जनवरी 1987 तक वित्त मंत्री की भूमिका भी निभाई।
कहते हैं विश्वनाथ प्रताप सिंह जब वित्त मंत्री थे तब राजीव गांधी के साथ में उनका टकराव हुआ। विश्वनाथ प्रताप सिंह को यह खबर मिली थी कि कई भारतीयों ने विदेशी बैंकों में अकूत धन जमा करवाया है। इस पर वीपी सिंह ने ऐसे भारतीयों का पता लगाने के लिए अमेरिका की एक जासूस संस्था फ़ेयरफ़ैक्स की नियुक्ति कर दी। इसी बीच स्वीडन ने 16 अप्रैल 1987 को यह समाचार प्रसारित किया कि भारत के बोफोर्स कंपनी की 410 तोपों का सौदा हुआ था, उसमें 60 करोड़ की राशि कमीशन के तौर पर दी गई थी। वक्त-बे वक़्त बोफोर्स का जीन आज भी बोतल से बाहर निकल आता है। विश्वनाथ प्रताप सिंह भारत गणराज्य के आठवें प्रधानमंत्री थे और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके है। हालांकि उनका शासन एक साल से कम चला।
व्यक्तिगत तौर पर विश्वनाथ प्रताप सिंह बेहद निर्मल स्वभाव के थे और प्रधानमंत्री के रूप में उनकी छवि एक मजबूत और सामाजिक राजनैतिक दूरदर्शी व्यक्ति की थी। उन्होंने मंडल कमीशन की सिफारिशों को मानकर देश में वंचित समुदायों की सत्ता में हिस्सेदारी पर मोहर लगा दी। 27 नवम्बर 2008 को 77 वर्ष की अवस्था में वी पी सिंह का निधन दिल्ली के अपोलो हॉस्पीटल में हो गया।