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ITR 2018: नॉन रेजिडेंट (NR) हैं तो कैसे भरें रिटर्न, जान लें

वित्त वर्ष 2017-18 के लिए आईटीआर फाइलिंग की आखिरी तारीख को बढ़ाकर 31 अगस्त 2018 निर्धारित कर दिया गया है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Wed, 08 Aug 2018 03:40 PM (IST)Updated: Sat, 11 Aug 2018 02:36 PM (IST)
ITR 2018: नॉन रेजिडेंट (NR) हैं तो कैसे भरें रिटर्न, जान लें
ITR 2018: नॉन रेजिडेंट (NR) हैं तो कैसे भरें रिटर्न, जान लें

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। आयकर के नियमों के मुताबिक नॉन रेजिडेंट भी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकता है। हालांकि इसके नियमों में रेजिडेंट इंडियन के आईटीआर फाइलिंग की तुलना में ज्यादा अंतर नहीं होता है। गौरतलब है केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने वित्त वर्ष 2017-18 के लिए आईटीआर फाइलिंग की आखिरी तारीख को बढ़ाकर 31 अगस्त 2018 निर्धारित कर दिया है। हमने इस संबंध में ईमुंशी के टैक्स एक्सपर्ट अंकित गुप्ता से बात की है।

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पहले जान लें कौन हैं नॉन रेजिडेंट:

  • रेजिडेंट या ऑर्डिनियरी रेजिडेंट
  • रेडिडेंट या नॉन ऑर्डिनियरी रेजिडेंट

आयकर की धारा (6) के प्रावधानों को जो भी पूरा नहीं करता है उसे नॉन रेजिडेंट मान लिया जाता है।

टैक्सेबल होती है नॉन रेजिडेंट की आय?

नॉन रेजिडेंट की आय आयकर की धारा (9) के अंतर्गत कर भुगतान के दायरे में आती है। फिर भले ही उसे भारत में किसी व्यवसाय के जरिए आमदनी हुई हो या फिर भारत के जरिए उसे कोई आमदनी हुई हो। उसे भी आम भारतीय के हिसाब के आयकर स्लैब के हिसाब से टैक्स का भुगतान करना होता है लेकिन उसे आम भारतीय के मुकाबले कई प्रावधानों के तहत लाभ नहीं मिलता है। यानी इन्हें भी 2.5 लाख रुपये की सीमा से अधिक आय पर कर का भुगतान करना होता है। ऐसे लोगों को आईटीआर-1 और आईटीआर-2 के जरिए आयकर का भुगतान करना होता है।

रिफंड क्लेम करने की भी मिलती है सुविधा?

नॉन रेजिडेंट को आईटीआर के जरिए रिफंड क्लेम करने की भी सुविधा मिलती है। मान लीजिए अगर आपने अमेरिका के किसी व्यक्ति से सेवाएं ली हैं तो आप जब भी उसकी सेवा के लिए भुगतान करेंगे तो आपको आयकर की धारा 195 के मुताबिक 5 फीसद का टीडीएस काटना होगा।

NR को क्या देना जरूरी और क्या नहीं?

  • NR को अपने विदेशी बैंक अकाउंट की जानकारी हर हाल में देनी होती है।
  • NR को अपने आधार नंबर की जानकारी देना जरूरी नहीं है।

समझ लें क्या होता है डबल टैक्सेशन एवॉयडेंस एग्रीमेंट (डीटीएए):

उदाहरण से समझिए। मान लीजिए आपने अमेरिकी में कोई चीज खरीदी और उस पर वहीं 5 फीसद का टैक्स भुगतान कर दिया। इसके बाद जब आप भारत आते हैं तो यहां की सरकार भी आपसे उतने ही फीसद यानी 5 फीसद का टैक्स वसूलती है, इसे दोहरा कराधान कहते हैं। इससे बचने के लिए ही भारत सरकार ने कई देशों के साथ करार कर रखा है जिससे आपको सिर्फ एक जगह ही टैक्स का भुगतान करना होता है, वहीं जहां आपने वस्तु खरीदी होती है। ऐसे में दोहरे कराधान से बचने के लिए आपको आईटीआर फाइल करना चाहिए।


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