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आईटीआर 2018 फाइलिग के दौरान जरूर ध्यान में रखें ये तीन बातें, होगा फायदा

ईएलएसएस या इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम म्युचुअल फंड के ऐसे प्रकार हैं जो इनकम टैक्स बचाने में आपकी मदद कर सकती हैं

By Praveen DwivediEdited By: Published: Mon, 16 Jul 2018 06:28 PM (IST)Updated: Wed, 18 Jul 2018 08:48 AM (IST)
आईटीआर 2018 फाइलिग के दौरान जरूर ध्यान में रखें ये तीन बातें, होगा फायदा
आईटीआर 2018 फाइलिग के दौरान जरूर ध्यान में रखें ये तीन बातें, होगा फायदा

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वित वर्ष 2017-18 (आकलन वर्ष 2018-19) के लिए आईटीआर फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2018 निर्धारित है। करदाताओं को कोशिश करनी चाहिए को वो इस तारीख से पहले अपना आईटीआर फाइल कर लें। ऐसे में अगर आप सोच रहे हैं कि आप किन निवेश/खर्चों को आईटीआर में बता कर अपना टैक्स बचा सकते हैं तो यह खबर बेशक आपके काम की है।

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आयकर की धारा 80सी के अंतर्गत हर करदाता 1,50,000 रुपये की कर छूट प्राप्त कर सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि एक वित्त वर्ष के दौरान आपकी कुल आमदनी में से 1,50,000 रुपये की कटौती करके ही आपकी कर योग्य राशि तय की जाएगी। वहीं अगर आप नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में निवेश करते हैं तो यह आपको 50,000 रुपये की अतिरिक्त कर कटौती की छूट देता है। हम अपनी इस खबर में आपको कुछ ऐसे निवेश/खर्चों के बारे में जानकारी दे रहे हैं जो कि आईटीआर के दौरान आपकी मदद कर सकते हैं।

मकान के किराए से बचा सकते हैं टैक्स: अगर आप किराए के मकान में रहते हैं तो आप इस किराए को अपने आईटीआर में क्लेम कर टैक्स बचा सकते हैं। यह छूट आयकर की धारा 80GG के अंतर्गत मिलती है। हाउस रेंट अलाउंट यानी एचआरए आपके सैलरी स्ट्रक्चर का ही हिस्सा होता है। यह इनकम टैक्स बचाने का एक महत्वपूर्ण सोर्स होता है। हालांकि इसके लिए आपको अपने मकान मालिक की ओर से दी जाने वाली रेंट रिसीप्ट अपनी कंपनी के एचआर को देनी होगी। हां अगर किराए की राशि साल में 1 लाख रुपये से ज्यादा होगी तो आपको अपने मकान मालिक का पैन कार्ड भी उपलब्ध करवाना होगा।

डोनेशन से भी बचा सकते हैं टैक्स: अगर आप डोनेशन या चैरिटी करते हैं तो भी आप आयकर की बचत कर सकते हैं। यह छूट भी आयकर की धारा 80G के अंतर्गत मिलती है। आप अगर कोई चैरिटी करते हैं तो आप अपनी कुल सकल आय में से 10 फीसद की कटौती कर सकते हैं। इसके बाद ही आपकी कर योग्य आय तय होगी।

ईएलएसएस के माध्यम से म्युचुअल फंड में करें निवेश: ईएलएसएस या इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम म्युचुअल फंड के ऐसे प्रकार हैं जो इनकम टैक्स बचाने में आपकी मदद कर सकती हैं। ईएलएसएस में निवेशकों को तीन साल के लॉक इन पीरियड के लिए अपना पैसा निवेश करना होता है। ईएलएसएस पर मिलने वाला रिटर्न आमतौर पर अन्य स्कीम्स की तुलना में ज्यादा होता है और आंशिक रूप से कर योग्य होता है। ईएलएसएस के अंतर्गत मिलने वाले आयकर के फायदे आयकर की धारा 80 C के अंतर्गत मिलते हैं।


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