Move to Jagran APP

R&D पर खर्च करने में भारतीय कंपनियां कंजूस, इजरायल करता है सबसे ज्‍यादा खर्च

आरएंडडी पर पर्याप्त निवेश के अभाव के चलते भारतीय प्रोडक्ट्स ग्लोबल ट्रेड में पहचान नहीं बना पाते हैं (Pic Pixabay.com)

By Manish MishraEdited By: Published: Fri, 23 Aug 2019 09:44 AM (IST)Updated: Fri, 23 Aug 2019 09:44 AM (IST)
R&D पर खर्च करने में भारतीय कंपनियां कंजूस, इजरायल करता है सबसे ज्‍यादा खर्च
R&D पर खर्च करने में भारतीय कंपनियां कंजूस, इजरायल करता है सबसे ज्‍यादा खर्च

नई दिल्ली, हरिकिशन शर्मा। इकोनॉमी की रफ्तार जरा सी धीमी पड़ने पर मंदी का हौवा दिखाकर भारतीय कंपनियां अपनी सेल बढ़ाने को सरकार से प्रोत्साहन पैकेज की मांग तो करती हैं। लेकिन वे ग्राहकों की अपेक्षा के अनुरूप प्रोडक्ट्स की क्वालिटी सुधारने को आरएंडडी पर खर्च करने में कंजूसी बरतती हैं। भारत में आरएंडडी पर जितनी राशि खर्च होती है उसमें इंडस्ट्री का योगदान काफी कम है जबकि अमेरिका व इजरायल जैसे विकसित देशों और पड़ोसी चीन में यह काफी अधिक है। आरएंडडी पर पर्याप्त निवेश के अभाव के चलते भारतीय प्रोडक्ट्स ग्लोबल ट्रेड में पहचान नहीं बना पाते हैं।

loksabha election banner

यूनेस्को के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2015 में भारत में आरएंडडी पर खर्च (पीपीपी आधार पर) 48.1 अरब डॉलर था जिसमें 29 अरब डॉलर सरकार ने खर्च किया और मात्र 17 अरब डॉलर इंडस्ट्री ने खर्च किए। दूसरी ओर चीन के कुल 371 अरब डॉलर आरएंडडी खर्च में सरकार ने सिर्फ 59 अरब डॉलर खर्च किए, जबकि कंपनियों का खर्च 286 अरब डॉलर रहा। इसी तरह अमेरिका में भी आरएंडडी पर हुए कुल 479 अरब डॉलर के खर्च में 54 अरब डॉलर सरकार की ओर से खर्च हुए जबकि बिजनेस एंड इंडस्ट्री सेक्टर ने 341 अरब डॉलर खर्च किए। इसी प्रकार इजरायल के भी कुल आरएंडडी खर्च में लगभग 80 परसेंट बिजनेस सेक्टर ने ही खर्च किया।

आरएंडडी पर खर्च के संबंध में यूनेस्को के इन आंकड़ों का जिक्र करते हुए इकोनॉमिक सर्वे 2017-18 में यह तथ्य रेखांकित किया गया है कि बीते दो दशकों में भारत के आरएंडडी खर्च में कुछ खास वृद्धि नहीं हुई है।

लोकल सर्किल्स के फाउंडर एंड चेयरमैन सचिन तापड़िया का कहना है, ‘भारत में सरकार और कारोबार जगत दोनों ही जगह रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर फोकस सीमित है, ऐसी स्थिति में जब भी घरेलू इकोनॉमी की रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ती है तो कारोबारियों के पास सीमित विकल्प होते हैं और वे सरकार से प्रोत्साहन पैकेज की मांग उठाना शुरू कर देते हैं। हमारी अधिकांश व्यवसायिक इकाइयां निचले और मध्यम दर्जे के उत्पादन और वैल्यू एडीशन के मामले में अच्छा काम करती हैं। लेकिन ग्राहकों को जिन नए और इनोवेटिव प्रोडक्ट की तलाश रहती है, उसका उनके पास सर्वथा अभाव है। इस स्थिति में तभी बदलाव संभव है जब सरकार और इंडस्ट्री एक साथ आकर एक एक्शन प्लान बनाकर इनोवेशन को प्रोत्साहित करें।’

यूनेस्को के अनुसार जीडीपी के अनुपात में आरएंडडी पर सबसे ज्यादा खर्च इजरायल का है। वर्ष 2015 में इजरायल ने आरएंडडी पर उसके जीडीपी का 4.28 परसेंट खर्च किया। इसी तरह जापान अपने जीडीपी का 3.28, डेनमार्क 3.07, ऑस्टिया 3.05, जर्मनी 2.92 और चीन 2.06 परसेंट राशि आरएंडडी पर खर्च करता है। हालांकि भारत अपने जीडीपी का मात्र 0.62 परसेंट ही आरएंडडी पर खर्च करता है। चौंकाने वाली बात यह है कि बीते दो दशकों से भारत का आरएंडडी खर्च जीडीपी के अनुपात में लगभग स्थिर बना हुआ है। इस अवधि में जहां अन्य देशों ने आरएंडडी पर खर्च बढ़ाया है वहीं भारत में यह स्थिर रहा है।

उदाहरण के लिए 1996 में भारत अपने जीडीपी के अनुपात में आरएंडडी पर 0.65 परसेंट राशि खर्च करता था जबकि चीन का खर्च मात्र 0.56 परसेंट था। हालांकि 1999 में चीन ने इस मामले में भारत को पीछे छोड़ दिया और अब वह काफी आगे निकल चुका है। इस अवधि में चीन कारोबारी गतिविधियों के मामले में भी भारत से काफी आगे निकल गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.