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ITR 2018: प्रिजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम के अंतर्गत कैसे फाइल करें रिटर्न, जानिए

जिन व्यवसाइयों का टर्नओवर 2 करोड़ रुपये से नीचे का होता है तो वो प्रिजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम (पीटीएस) को चुन सकते हैं

By Praveen DwivediEdited By: Published: Thu, 19 Jul 2018 03:24 PM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 02:17 PM (IST)
ITR 2018: प्रिजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम के अंतर्गत कैसे फाइल करें रिटर्न, जानिए
ITR 2018: प्रिजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम के अंतर्गत कैसे फाइल करें रिटर्न, जानिए

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। आमतौर पर छोटे कारोबारी या पेशेवर किसी बही खाते एवं वित्तीय रिकॉर्ड को नहीं रखते हैं और न ही वो किसी अकाउंटेंट की नियुक्ति करने की स्थिति में होते हैं, जो कि उनके लिए आईटीआर फाइलिंग कर सके। ऐसे लोगों के लिए मुश्किल होती है कि वो उन्हें आय का खुलासा न करने और कम कर अनुपालन की स्थितियों का सामना भी करना पड़ सकता है। इसी तरह के प्रोफेशनल्स और बिजनेस के लिए प्रिजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम (पीटीएस) बहुत काम की होती है। इसमें आपको अपनी आमदनी या प्रॉफिट के आधार पर टैक्स की अनुमानित गणना करने क सुविधा मिलती है।

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कौन सा आईटीआर भरते हैं ऐसे लोग?

इस तरह के लोगों को ITR-4 फॉर्म के जरिए अपना रिटर्न फाइल करना होता है। इस तरह का फॉर्म बिजनेसमैन या प्रोफेशनल्स भरते हैं।

प्रोफेशनल्स: प्रोफेशनल्स में आमतौर पर डॉक्टर या सीए आते हैं। उदाहरण के तौर पर मान लीजिए आपके पास 40 लाख की रिसीप्ट है तो इसके 50 फीसद हिस्से को आपकी आय मान लिया जाएगा। यानी 20 लाख की रकम पर आपकी टैक्सेबल इनकम निकाली जाएगी और आपको इसी पर कर भुगतान करना होगा।

बिजनेस: जिन व्यवसाइयों का टर्नओवर 2 करोड़ रुपये से नीचे का होता है तो वो प्रिजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम (पीटीएस) को चुन सकते हैं। आयकर की धारा 44AD में इसका उल्लेख है। उदाहरण से समझिए, अगर आपकी रिसीप्ट 90 लाख है तो इसका 8 फीसद हिस्सा आपकी आय माना जाएगा और आपको इसी पर टैक्स का भुगतान करना होगा।

संशोधन: हाल ही में इस पर संशोधन हुआ है जिसके मुताबिक रिसीप्ट को अगर ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म या डायरेक्ट मोड माध्यम से प्राप्त किया जाता है तो सिर्फ 6 फीसद हिस्से को ही आपकी आय माना जाएगा।

प्रिजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम के अंतर्गत आईटीआर फाइलिंग में देनी होती है कौन सी जानकारियां?

प्रिजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम के अंतर्गत आपको निम्नलिखित जानकारियां देनी होती हैं।

  • किससे कर्ज लिया है
  • किसको कर्ज दिया है
  • कैश बैलेंस (31 मार्च 2018 तक)
  • स्टॉक्स से जुड़ी जानकारियां
  • साथ ही आयकर विभाग को यह जानकारी देनी होती है कि आप क्या काम करते हैं,किस कंपनी में काम करते हैं और फर्म का नाम क्या है इत्यादि।

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