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म्यूचुअल फंड पर कैसे करें लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की गणना, समझिए

म्युचुअल फंड निवेशक के लिए यह नया टैक्स उस वित्त वर्ष में लगाया जाएगा जब भी वह एमएफ यूनिट्स को कम से कम 12 महीने रखने के बाद बेचता है।

By Surbhi JainEdited By: Published: Thu, 12 Apr 2018 12:45 PM (IST)Updated: Sat, 14 Apr 2018 10:33 AM (IST)
म्यूचुअल फंड पर कैसे करें लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की गणना, समझिए
म्यूचुअल फंड पर कैसे करें लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की गणना, समझिए

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। 1 अप्रैल 2018 के बाद अगर आपको इक्विटी पर आधारित म्यूचुअल फंड की बिक्री से 1 लाख से ज्यादा का प्रॉफिट होता है तो आपको प्रॉफिट में से 10 फीसद का टैक्स देना होगा, जिसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स कहा जाता है। यह टैक्स तभी देना होगा जब आपके म्युचूअल फंड का 65 फीसद या उससे ज्यादा हिस्सा शेयर बाजार में निवेश किया जाता हो। हालांकि 31 जनवरी, 2018 तक कमाए गए मुनाफे पर एलटीजीसी नहीं लगेगा।

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जानकारी के लिए बता दें कि न केवल एक अप्रैल, 2018 के बाद किये गये निवेश एलटीसीजी के दायरे में आएंगे बल्कि एक फरवरी, 2018 से 31 मार्च, 2018 के बीच या उसके बाद की गई कोई खरीद पर भी एलटीजीसी लगाया जाएगा अगर 12 महीने से ज्यादा की अवधि के लिए होल्ड किया गया है।

म्युचुअल फंड निवेशक के लिए यह नया टैक्स उस वित्त वर्ष में लगाया जाएगा जब भी वह एमएफ यूनिट्स को कम से कम 12 महीने रखने के बाद बेचता है। निवेशक इसमें या तो लंपसम निवेश कर सकते हैं या फिर सिस्टेमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिए निवेश कर सकते हैं। हालांकि इसे रिडीम करते हुए भी आप या तो एक बार में सारा पैसा रीडीम कर सकते हैं या फिर सिस्टेमैटिक विड्रॉल प्लान का चयन कर सकते हैं।

जानिए कैसे आप म्युचुअल फंड यूनिट्स पर एलटीसीजी की गणना कर सकते हैं-

एसआईपी के जरिए निवेश लेकिन लंपसम में बिकवाली-

अगर निवेशक एसआईपी के जरिए निवेश किये गये म्युचुअल फंड्स को रीडीम कर रहा है तो इसमें पहले खरीदी गईं यूनिट्स की बिकवाली पहले होगी। बेची गईं यूनिट्स के आधार पर सबसे पहले यह पता लगाएं कि किस डेट को कितनी संख्या में यूनिट्स खरीदी गईं थी। इसमें एक तारीख से ज्यादा की गई खरीद शामिल की जा सकती हैं। इसके बाद नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) की गणना करें। साथ ही इसके आपको हर पर्चेस डेट के लिए होल्डिंग पीरियड का भी पता लगाना होगा ताकि ये पता किया जा सके कि यह लॉन्ग टर्म था या शॉर्ट टर्म।

उदाहरण से समझें-

मान लीजिए आपकी मंथली एसआईपी 20,000 रुपये की चल रही है। एक मई, 2017 को 400 यूनिट्स खरीदी गईं जिनकी एनएवी 50 रुपये थी। इसके बाद एक जून, 2017 को 444 यूनिट्स खरीदी गईं जिनकी एनएवी 45 रुपये थी। फिर तीसरे महीने एक जुलाई, 2017 को 333 यूनिट्स खरीदी गईं जिनकी एनएवी 60 रुपये थी।

अब तीन महीनों की आपकी कुल 1177 यूनिट्स हो गई हैं और मान लीजिए कि एक मई, 2018 को एनएवी 75 रुपये है। अब आप एक मई, 2018 को 500 यूनिट्स बेचना चाहते हैं। इसके लिए एक मई, 2017 की 400 यूनिट्स और एक जून, 2017 की 100 यूनिट्स ली जाएंगी। अब एक मई, 2017 वाली 400 यूनिट्स का 12 महीने का होल्डिंग पीरीयड पूरा हो गया है तो इनपर एलटीजीसी लगाया जाएगा हालांकि, शेष 100 यूनिट्स पर कमाया गया मुनाफा एलटीसीजी के दायरे से बाहर रहेगा क्योंकि इनका होल्डिंग पीरीयड 11 महीने ही हुआ है।

लेकिन एसआईपी पर कुछ अगर मुनाफा 31 जनवरी, 2018 तक भी कमाया गया होगा तो वो इनकम टैक्स नियमों के हिसाब से टैक्स दायरे से बाहर रहेगा। इसलिए निवेशक को 31 जनवरी की एनएवी और सेल वैल्यू की तुलना करनी होगी। इनमें से जो भी वैल्यू कम होगी उसकी तुलना असल पर्चेस एनएवी की करनी होगी। अब इनमें से जो भी वैल्यू ज्यादा है वो इंवेस्टमेंट कॉस्ट बन जाएगी। कैपिटल गेन सेल वैल्यू और इंवेस्टमेंट कॉस्ट के बीच का अंतर होगा। यह गणना आपको हर एक खरीदी गई एनएवी के लिए करनी होगी।

जाहिर सी बात है 31 जनवरी, 2018 के बाद किये गये निवेश के लिए ये करने की जरूरत नहीं है।

अगर निवेशक एसडब्ल्यूपी (सिस्टेमैटिक विद्रॉल प्लान) का चयन करता है तो गणना करने का तरीका यही रहेगा यदि सभी यूनिट्स की खरीद 31 जनवरी, 2018 से पहले या कुछ हिस्सा या पूरी खरीद इस तारीख के बाद की गई है।

31 जनवरी, 2018 को एनएवी-

कंप्यूटर एज मैनेजमेंट सर्विसेज (कैम्स- इंडियन म्युचुअल फंड इंडस्ट्री के 22 ट्रिलियन रुपयों का सबसे बड़ा रजिस्ट्रार और ट्रांस्फर एजेंट) दो स्टेटमेंट्स देता है।

बीते हफ्ते के अंत तक कैम्स ने दो स्टेटमेंट्स देनी शुरू कर दी हैं, जिससे म्युचुअल फंड निवेशक अपना एलटीसीजी टैक्स कैल्कुलेट कर सकते हैं। पहली स्टेटमेंट आपको एनएवी और 31 जनवरी 2018 को आपके इक्विटी फंड्स की टोटल वैल्यू बताती है। यह एक तरह से आपके मौजूदा इक्विटी निवेश के लिए वैल्यूएशन स्टेटमेंट होती है। यह आप कभी भी कैम्स की वेबसाइट पर आवेदन कर हासिल कर सकते हैं। इसके लिए आपको केवल अपना ईमेल और पैन देना होगा। इसके जरिए आप अपना एलटीसीजी या नुकसान का पता लगा सकते हैं अगर आप अपनी यूनिट्स बेचने की सोच रहे हैं।

दूसरी स्टेटमेंट आपको आपके मुनाफे और नुकसान के बार में बताती है। यह गणना आपके यूनिट्स के बेचने के बाद और छूट को देखते हुए की जाती है। हालांकि ये आपको ये बताता है कि कौन से गेन छूट के दायरे में आते हैं और कौन से नहीं आते। आपको केवल अपने कैपिटल गेन और लॉस की फाइनल टैली देखनी होती है ताकि आपको यह पता चल सके कि आपको टैक्स देना है या नहीं। ये दोनो स्टेटमेंट्स कैम्स सर्विस्ड फंड्स के लिए ही है।

इसकी गणना के लिए और क्या तरीका है-

अगर किसी को 31 जनवरी, 2018 की एनएवी के बारे में पता करना है तों वह एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एमफी) की वेबसाइट पर जाकर भी कर सकता है। उम्मीद की जा रही है कि एसेट मैनेजमेंट कंपनियां भी जल्द ही 31 जनवरी 2018 तक की एनएवी अपने वेबसाइट पर दिखाना शुरू करेंगी।


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