GST Council: मामूली बातों पर कंपनी के CMD और CEO को नहीं बुलाएगा जीएसटी विभाग, टैक्स चोरी करने पर होगी कड़ी कार्रवाई
विभाग के मुताबिक कई बार सीएमडी और सीईओ कंपनी के कई ऐसे फैसले से अनजान होते हैं जिससे जीएसटी विभाग को राजस्व का नुकसान हो रहा होता है। ऐसी स्थिति में कंपनी के सीएमडी और सीईओ को विभाग के सामने पेश होने के लिए नहीं बुलाया जाएगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मामूली बातों के लिए जीएसटी विभाग कंपनी के सीएमडी या सीईओ को पेशी के लिए नहीं बुलाएगा। वहीं अगर कोई कारोबारी जीएसटी नियम को नहीं समझने की वजह से जीएसटी का भुगतान नहीं कर रहा है तो उसकी गिरफ्तारी भी नहीं होगी। हाल ही में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) की तरफ से इस प्रकार के निर्देश जारी किए गए हैं। विभाग के मुताबिक कई बार सीएमडी और सीईओ कंपनी के कई ऐसे फैसले से अनजान होते हैं जिससे जीएसटी विभाग को राजस्व का नुकसान हो रहा होता है। ऐसी स्थिति में कंपनी के सीएमडी और सीईओ को विभाग के सामने पेश होने के लिए नहीं बुलाया जाएगा।
जानें सीजीएसटी का सेक्शन 69 (1) है क्या
लेकिन अगर सीईओ और सीएमडी ने जानबूझकर जीएसटी की चोरी की है या गलत तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट लिया है तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। सीबीआईसी के इन निर्देशों से कारोबारियों को बड़ी राहत मिलेगी। टैक्स विशेषज्ञों के मुताबिक कई बार टैक्स की गणना या उसे समझने में गलती हो जाती है। अब ऐसी स्थिति में गिरफ्तारी नहीं होगी। सीजीएसटी का सेक्शन 69 (1) आयुक्त को टैक्स चोरी करने पर गिरफ्तारी का अधिकार देता है। लेकिन किसी भी गिरफ्तारी से पहले यह आश्वस्त करना होगा कि टैक्स चोरी की उचित जांच के लिए गिरफ्तारी जरूरी है या गिरफ्तारी नहीं होने पर वह व्यक्ति साक्ष्य को प्रभावित कर सकता है।
बता दें कि जीएसटी वस्तुओं की खरीदारी करने पर या सेवाओं का इस्तेमाल करने पर चुकाना पड़ता है। पहले मौजूद कई तरह के टैक्सों (Excise Duty, VAT, Entry Tax, Service Tax वगैरह ) को हटाकर, उनकी जगह पर एक टैक्स GST लाया गया है। भारत में इसे 1 जुलाई 2017 से लागू किया गया है। सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में जीएसटी लागू हो चुका है।
जीएसटी लागू करने से पहले कई शुल्क चुकाना पड़ता था
जुलाई 2017 के पहले, देश और राज्यों में जो टैक्स सिस्टम लागू था, उसमें कारोबारियों को उत्पादन से लेकर बिक्री तक के बीच में, अलग-अलग स्टेजों पर, तरह के टैक्सों का भुगतान करना पड़ता था। उदाहरण के लिए जैसे ही माल Factory से निकलता था, सबसे पहले उस पर उत्पाद शुल्क (Excise Duty) चुकाना पड़ता था। कई सामानों पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (Additional Excise Duty), अलग से लगता था। वही माल अगर एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजा जा रहा है तो राज्य में घुसते ही Entry Tax लगता था। इसके बाद जगह-जगह चुंगियां अलग से।